गोरखपुर: आषाढ़ माह की गुप्त नवरात्रि का शुभारंभ 19 जून यानी सोमवार से हो रहा है. यह 28 जून को विधिपूर्वक हवन पूजन के साथ पूर्ण होगी. वैसे तो आम सनातनियों में अश्वनी और चैत्र मास की नवरात्रि ही प्रचलन में रहती है. किंतु मां आदि पराशक्ति दुर्गा के साधकों और तंत्र साधना से मां भगवती की उपासना करने वाले मां के भक्तों को माघ और आषाढ़ मास में पड़ने वाली इस गुप्त नवरात्रि की विशेष प्रतीक्षा रहती है.
मां भगवती की सिद्धि और साधना के लिए गुप्त रूप से उपासना का विशेष महत्व के कारण इस नवरात्रि को गुप्त नवरात्रि की संज्ञा दी गई है. जहां प्रगट नवरात्रि में मां दुर्गा के नव रूपों की उपासना का महत्व हैं, वहीं गुप्त नवरात्रि में साधक मां काली के दस रूपों की विभिन्न प्रकार से उपासना करते हैं. ज्योतिषाचार्य पंडित सतीश त्रिपाठी कहते हैं कि इसमें मां काली, मां तारा, मां छिन्नमस्ता, मां त्रिपुर सुंदरी, माता भैरवी, मां पीतांबरा (मां बगलामुखी) माता धूमावती, मां मातंगी, भुनेश्वरी, मां कमला की उपासना का विशेष महत्व है.
उन्होंने कहा कि तंत्र साधकों के लिए गुप्त नवरात्रि के मुहूर्त की विशेष तौर पर प्रतीक्षा रहती है. यह समय मां आदि पराशक्ति की सिद्धि और साधना के लिए सर्वोत्तम माना गया है. इसकी शुरुआत आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष से होती है और समापन नवमी तिथि को होगा. जो 28 जून को पड़ेगी. इस नवरात्रि में मां दुर्गा के नौ रूपों के अलावा दस महाविद्याओं का भी पूजन किया जाता है. इस बार आषाढ़ माह की यह गुप्त नवरात्रि पूरे नौ दिन की है, जो शुभ है. हालांकि, शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि 18 जून रविवार से ही शुरू हो रही है, जो सोमवार 19 जून को 11 बजकर 25 मिनट तक मान्य रहेगी. इसलिए आषाढ़ गुप्त नवरात्रि की शुरुआत इसी दिन से होगी.