गोरखपुरः बांस का उत्पाद का प्रयोग अब भारत में सिर्फ शुभ और अशुभ कार्यों के लिए ही नहीं होगा. इसका उत्पादन बिजली पैदा करने से लेकर अचार बनाने तक में किया जाएगा. बांस की पहचान अब स्थानीय न होकर वैश्विक स्तर की बनाई जाएगी, जिसके लिए भारत सरकार ने 'बंबू मिशन' की शुरूआत की है.
शुरू किया गया बंबू मिशन
'बंबू' बांस का अंग्रेजी नाम है. गोरखपुर में इस मिशन की जानकारी प्रदेश के वन मंत्री दारा सिंह चौहान ने ईटीवी भारत से खासतौर पर साझा किया. उन्होंने कहा कि बंबू मिशन के बारे में बहुत से लोग जानते भी नहीं थे, लेकिन बांस के उत्पादन वाले मिर्जापुर से बुंदेलखंड क्षेत्र के किसानों को सब्सिडी देकर इसके उत्पादन को और बढ़ाने का प्रयास किया जाएगा. वन मंत्री की माने तो बंबू मिशन के तहत बहुत सारे रोजगार पैदा होंगे. इससे ऊर्जा पैदा करने के क्षेत्र में भी काम चल रहा है. उन्होंने कहा कि बांस से बोट और हट बनाई जा रही है, तो कई तरह के फर्नीचर भी बन रहे हैं, बंबू मिशन के तहत इसके उपयोग और प्रयोग को और विस्तार दिया जाएगा.
गोरखपुर को बनाया जाएगा नोडल सेंटर
कई नई तरह की चीजों को निर्मित करके इसका एक बड़ा मार्केट तैयार किया जाएगा. उन्होंने इसके अचार बनाने वाले फार्मूले पर भी यूपी में काम करने की बात कही. पूर्वांचल में बांस की खेती करने वाले किसानों के लिए गोरखपुर को नोडल सेंटर बनाया जाएगा. जहां से किसानों के बांस खरीदने से लेकर उसे मार्केट तक पहुंचाने में भी यह नोडल सेंटर काम करेगा. बांस के कार्यों में लगे हुए मजदूरों की माने तो, वह सूप से लेकर डलिया, घर में प्रयोग होने वाली बांस की सीढ़ी से लेकर शव यात्रा में प्रयोग आने वाली शैय्या का को भी बनाते हैं. सरकार उन्हें हुनरमंद बनाएगी तो और भी अच्छी चीजें बनाएंगे.
उत्पादन बढ़ाने के लिए जैव प्रौद्योगिकी का उपयोग
बांस का उत्पादन किसानों के अलावा देश में नेशनल हाईवे के किनारे भी करने की सरकार की योजना है. भारत में 130 लाख हेक्टेयर में बांस की खेती फिलहाल की जा रही है. जिससे प्रति हेक्टेयर 2 से 3 टन बांस पैदा होता है. इसके उत्पादन को बढ़ाने के लिए जैव प्रौद्योगिकी का उपयोग किया जाएगा. बांस से बनने वाला एथनॉल कच्चे तेल के आयात पर हो रहे भारी भरकम सरकारी खर्च को भी घटा सकता है. इससे निर्मित सामग्री को हस्तकला उत्पादों की बिक्री की श्रेणी में रखा जाएगा.और वैश्विक बाजार में भी इसे उतारा जाएगा.