गोरखपुर: शहर वासियों को वाटर सप्लाई की सुविधा देने वाले जलकल विभाग पर जल ही खतरा बनकर मंडरा रहा है. भारी बारिश ने जलकल बिल्डिंग की हालत को बखूबी बयां किया है. इस कार्यालय का कोई भी कमरा ऐसा नहीं है, जहां पर भयंकर रूप से पानी न टपकता हो. अधिकारियों के कार्यालय में तो बैठने की व्यवस्था ही नहीं है. फाइलों को भी बचाना बहुत ही कठिन कार्य है. यहां का सुपरवाइजर कक्ष भी पूरी तरह जर्जर हो चुका है, जिसकी दरों-दीवार और छत अपनी गवाही खुद देते हैं. गोरखपुर में पिछले दिनों से लगातार बारिश हो रही है, जिससे जहां मोहल्लों में पानी भर रहा तो वहीं ऐसे सरकारी कार्यालयों की भी दशा खुल कर सामने आ रही है. जान जोखिम में डालकर कर्मचारी कार्य कर रहे हैं.
नहीं हो रही सुनवाई
जलकल विभाग की बिल्डिंग 1955 में बनी थी, जो अब जर्जर हो चुकी है. यह सिर्फ मरम्मत के भरोसे चल रही है. बीते दिनों से लगातार हो रही बारिश की वजह से जलकल भवन की छतों से पानी टपक रहा है. यहां के कर्मचारी बरामदे में कार्यालय का कार्य संपन्न कर रहे हैं. पूरी बिल्डिंग में बिजली के करंट दौड़ रहे हैं. आलम यह है कि बिजली रहते हुए भी बिजली का कनेक्शन काटकर जनरेटर से कार्य किया जा रहा है. कर्मचारियों को डर है कि कहीं बिजली की चपेट में आकर उनको अपनी जान न गंवानी पड़े. कर्मचारियों ने अपनी पीड़ा विभागीय अधिकारियों से भी कई बार कही है, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हो रही है.
किसी अप्रिय घटना का डर
कर्मचारी संघ के अध्यक्ष अशोक कुमार पाठक ने कहा कि जलकल विभाग का कार्यालय वर्ष 2017 से जर्जर है. इसकी शिकायत उच्च अधिकारियों से की गई. उच्च अधिकारियों ने भवन की मरम्मत कराने के आदेश भी दिए, लेकिन आज तक किसी भी अधिकारी ने इस बात को गंभीरता से नहीं लिया. आलम यह है कि विभाग के सभी कर्मचारी दहशत में हैं. कभी भी कोई अप्रिय घटना घटित हो सकती है. मार्ग प्रकाश विभाग के कर्मचारी जेपी कुशवाहा ने बताया कि हम लोग जान जोखिम में डालकर कार्य कर रहे हैं. पूरी बिल्डिंग में करंट दौड़ रहा है, जिस के डर से हम लोगों ने बिजली का कनेक्शन काट कर जनरेटर से काम कर रहे हैं. पूरी दो मंजिल बिल्डिंग पूरी तरह से जर्जर हो चुकी है.