गोरखपुर: पहली जून की रात 12 बजे जिला अस्पताल के मातृ एवं शिशु कल्याण अस्पताल में भर्ती 70 से ज्यादा प्रसूता महिलाओं के लिए जानलेवा बने इंजेक्शन और उसको बनाने वाली कंपनी पर शासन की नजर टेढ़ी हो गई है. शासन ने इंजेक्शन और संबंधित कंपनी का डिटेल जिला महिला अस्पताल के एसआईसी और प्रबंधन से जुड़े हुए लोगों से तलब किया है. साथ ही इस इंजेक्शन के प्रयोग पर बैन और स्टॉक को सील करने का निर्देश दिया है.
दरअसल, पहली जून की रात मातृ शिशु कल्याण अस्पताल में भर्ती प्रसूता महिलाओं को अस्पताल की नर्स द्वारा एक ऐसा इंजेक्शन लगाया गया, जिसके बाद एक-एक कर 50 से ज्यादा महिलाओं को अचानक से तेज बुखार और ठंड लगने लगी. कुछ की हालत खराब होने लगी. इसके बाद अस्पताल में हंगामा मच गया. इंजेक्शन लगाने वाली नर्स को परिजनों ने पकड़कर कमरे में बंद कर दिया और पुलिस को सूचना दी. मौके पर पहुंची कोतवाली पुलिस ने माहौल को संभालने के साथ जिला अस्पताल के अधिकारियों को संपर्क में लिया और फिर किसी तरह अन्य डॉक्टरों की मदद से स्थिति को काबू में किया. हालांकि, किसी भी महिला के साथ कोई अनहोनी नहीं हुई. दूसरी दवा के प्रयोग से उनके जीवन की रक्षा हुई. लेकिन, अस्पताल में इतने बड़े स्तर पर हुई लापरवाही ने अब कईयों की गर्दन को फंसा दिया है. देखना है कि शासन अपनी जांच रिपोर्ट में अंतिम फैसला क्या लेता है.
जांच में पता चला है कि महिलाओं को दो एंटीबायोटिक समेत तीन दवाएं दी गई थीं. जिनसे उनकी तबीयत बिगड़ी थी. तीनों दवाओं को मेडिकल सप्लाई कारपोरेशन को भेज दिया गया है. कारपोरेशन ने संबंधित दवाओं के वितरण और उपयोग पर जांच होने तक रोक लगा दी है. दूसरी तरफ ड्रग इंस्पेक्टर जय सिंह ने शुक्रवार को जिला महिला अस्पताल पहुंचकर दवाओं के नमूने लिए. इसमें जेंटामाइसिन और मेटोक्लोप्रामाइड के 200 एम्पुल और एमाक्सीक्लेवुलिनिक एसिड के 20 वायल उन्होंने लिए हैं. जिन्हें राजकीय प्रयोगशाला लखनऊ जांच के लिए भेजा जाएगा. यही दवाएं प्रसव के बाद भर्ती महिलाओं को दी गई थीं. इसके लगाने के बाद देखते-देखते 50 से ज्यादा प्रसूताओं की तबीयत बिगड़ गई. उनकी आंखों में जलन, बुखार, मिचली, उल्टी और खुजली होने लगी. इस घटना के बाद स्थानीय वेयरहाउस से एमाक्सीक्लेवुलिनिक एसिड के संबंधित बैच के 3500 वायल BRD मेडिकल कॉलेज भेजे जाने की सूचना थी. इसके उपयोग पर तत्काल रोक लगाने को कहा गया है.
वहीं महिला अस्पताल के प्रमुख अधीक्षक डॉ जय कुमार ने बताया कि ऐसी दिक्कत में जिन दूसरी दवाओं का उपयोग हो सकता है, उसे दूसरे बैच की मंगाने की व्यवस्था की गई है. जो आज गोरखपुर पहुंच जाएगी. इस मामले में बड़ी संख्या में महिलाओं की तबीयत बिगड़ने का मामला शासन तक पहुंचा तो शासन ने पूरे मामले की रिपोर्ट जिला अस्पताल प्रबंधन से मांगी है. इसके बाद प्रमुख अधीक्षक डॉ जय कुमार ने जांच कमेटी भी गठित कर दी है. अस्पताल प्रबंधन ने घटना के संबंध में जानकारी देने के बाद मेडिकल कॉरपोरेशन को नई दवाओं के वितरण और प्रयोग पर रोक लगा दी है. इसमें एमाक्सीक्लेवुलिनिक एसिड बैच नंबर 193009, जेंटामाइसिन बैच नंबर यूडी 32 और मेटोक्लोप्रैमाइड बैच नंबर 1249 शामिल है. उधर, एलआईयू की टीम ने भी मौके पर पहुंचकर पूरे घटनाक्रम की जानकारी ली. उसने भी अपने स्तर से फीडबैक उच्चाधिकारियों तक पहुंचाया.
यह भी पढ़ें: डीजीपी विजय कुमार ने फील्ड अफसरों की ली क्लास, कई समस्याओं पर हुई चर्चा