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गोरखपुर के 31 माफियाओं को सबक सिखाने की तैयारी, खोली गयी हिस्ट्रीशीट - shree prakaash shukla

माफिया अतीक अहमद और अशरफ अहमद की हत्या के बाद प्रदेश सरकार ने सूबे के 61 बदमाशों की सूची जारी की थी. इन पर शिंकजा कसा जाना है. इस लिस्ट कई नाम गोरखपुर मंडल के माफियाओं के भी शामिल हैं, जो मंडल के टॉप 10 बदमाशों में शुमार होते हैं.

Operation Shikanja campaign
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Published : May 10, 2023, 11:20 AM IST

गोरखपुरः माफियाओं पर शिकंजा कसने के लिए गोरखपुर पुलिस ने जिले के माफियाओं की हिस्ट्रीशीट एक बार फिर खोल दी है. ये माफिया वर्षों से अपनी दादागिरी के लिए मशहूर थे. ये जेल के अंदर और बाहर दोनों जगहों से अक्सर वारदातों को अंजाम देते रहे हैं. अकेले गोरखपुर में इनकी संख्या 31 है. वहीं, मंडल में इनकी गिनती 41 बतायी जा रही है. इन पर कार्रवाई के लिए डीआईजी जे रविंद्र गौड़ के निर्देश पर पैरवी तेज कर दी गई है. ताकि, इनकी दादागिरी खत्म करके इन्हें सजा दिलाई जा सके. इसके लिए पुलिस ने 'ऑपरेशन शिकंजा अभियान' चलाया है.

इन माफिया में बिहार के मोतिहारी से 2 बार विधायक रह चुके राजन तिवारी का भी नाम शामिल है, जो गोरखपुर का रहने वाला है. हिस्ट्रीशीट खोलने के बाद से पुलिस ने इन पर शिकंजा कसना शुरू कर दिया है. वहीं, जिले को अपराध मुक्त बनाने के लिए पुलिस की कार्रवाई उन माफियों पर तेजी से हो रही है, जो टॉप 10 की सूची में शामिल हैं. वहीं, राजन तिवारी, सुधीर सिंह, विनोद उपाध्याय प्रदेश के टॉप 61 बदमाशों की सूची में शामिल हैं. जो लिस्ट माफिया अतीक अहमद और अरशद अहमद की हत्या के बाद जारी की गई थी.

टॉप 10 अपराधीः इसके अलावा गोरखपुर मंडल में चिन्हित किए गए 41 माफियाओं में देवरिया, कुशीनगर, महाराजगंज के माफिया भी शामिल हैं. पिछले 6 महीने में अकेले गोरखपुर में सबसे ज्यादा मुकदमे में प्रभावी पैरवी कर पुलिस ने ऑपरेशन शिकंजा के तहत कई को सजा दिलाई है. गगहा थाना क्षेत्र के रहने वाले राजन तिवारी के अलावा टॉप 10 में झंगहा थाना क्षेत्र का राघवेंद्र यादव, गुलरिहा का राकेश यादव, बेलघाट थाने का शैलेंद्र प्रताप सिंह, और बांसगांव थाने का राधे और राधेश्याम यादव, कैंट थाना क्षेत्र का सत्यव्रत राय, अजीत शाही, खजनी थाने का सुभाष शर्मा, गीडा थाना क्षेत्र का प्रदीप सिंह, शाहपुर थाने का सुधीर सिंह और गोरखनाथ थाने के विनोद उपाध्याय का नाम इस लिस्ट में शामिल है.

पुलिस की पैरवी तेजः पुलिस इन माफिया के खिलाफ दर्ज मुकदमों की सूची तैयार कर मॉनिटरिंग सेल की मदद से मुकदमों के ट्रायल की बराबर निगरानी कर रही है, ताकि कोर्ट में मजबूत पैरवी कर उन्हें सजा दिलाई जा सके. अपराधियों पर ऐसी कार्रवाई के संबंध में डीआइजी जे रविन्द्र गौड़ का कहना है कि टॉप 10 माफिया को सजा दिलाने के लिए ऑपरेशन शिकंजा चल रहा है. माफिया के मुकदमों में पुलिस की पैरवी तेज हुई है. एडीजीसी के साथ संबंधित थाना क्षेत्र के थानाध्यक्ष, अपराधी के आपराधिक रिकॉर्ड के साथ समन्वय स्थापित कर, कोर्ट में पैरवी कर रहे हैं. ताकि समाज से माफिया कम हों.

40 से अधिक मुकदमे हैं दर्जः पुलिस के अनुसार, माफिया राजन तिवारी के ऊपर 40 मुकदमे दर्ज हैं. वहीं, विनोद उपाध्याय के ऊपर 30 से ज्यादा मुकदमे हैं. सत्यव्रत राय पर 20 से ज्यादा मुकदमे दर्ज हैं, जो श्री प्रकाश शुक्ला का साथी रहा है और सजायाफ्ता भी है. सुधीर सिंह बसपा प्रत्याशी रह चुका है और उसके ऊपर 29 से ज्यादा केस दर्ज हैं. इसी प्रकार राघवेंद्र यादव पर 4 हत्याओं का आरोप है. वह 2016 से फरार है. उसका नाम प्रदेश का मोस्ट वांटेड अपराधियों में भी शामिल है. पुलिस ने उसके ऊपर 2.5 लाख का इनाम रखा है. वहीं, अजीत शाही पर जैतपुर तिहरे हत्याकांड का आरोपी है. इसके अलावा प्रदीप सिंह के खिलाफ 48 से ज्यादा मामले दर्ज हैं. फिलहाल यह माफिया अपनी किसी गतिविधि को लेकर हाल में पुलिस के शिकंजे में नहीं आए हैं. लेकिन उनके पुराने रिकॉर्ड खुलने से इनकी मुसीबत बढ़ गई है.

ये भी पढ़ेंः मथुरा में शोभायात्रा रोकने पर पुलिस पर पथराव, दो पुलिसकर्मी घायल

गोरखपुरः माफियाओं पर शिकंजा कसने के लिए गोरखपुर पुलिस ने जिले के माफियाओं की हिस्ट्रीशीट एक बार फिर खोल दी है. ये माफिया वर्षों से अपनी दादागिरी के लिए मशहूर थे. ये जेल के अंदर और बाहर दोनों जगहों से अक्सर वारदातों को अंजाम देते रहे हैं. अकेले गोरखपुर में इनकी संख्या 31 है. वहीं, मंडल में इनकी गिनती 41 बतायी जा रही है. इन पर कार्रवाई के लिए डीआईजी जे रविंद्र गौड़ के निर्देश पर पैरवी तेज कर दी गई है. ताकि, इनकी दादागिरी खत्म करके इन्हें सजा दिलाई जा सके. इसके लिए पुलिस ने 'ऑपरेशन शिकंजा अभियान' चलाया है.

इन माफिया में बिहार के मोतिहारी से 2 बार विधायक रह चुके राजन तिवारी का भी नाम शामिल है, जो गोरखपुर का रहने वाला है. हिस्ट्रीशीट खोलने के बाद से पुलिस ने इन पर शिकंजा कसना शुरू कर दिया है. वहीं, जिले को अपराध मुक्त बनाने के लिए पुलिस की कार्रवाई उन माफियों पर तेजी से हो रही है, जो टॉप 10 की सूची में शामिल हैं. वहीं, राजन तिवारी, सुधीर सिंह, विनोद उपाध्याय प्रदेश के टॉप 61 बदमाशों की सूची में शामिल हैं. जो लिस्ट माफिया अतीक अहमद और अरशद अहमद की हत्या के बाद जारी की गई थी.

टॉप 10 अपराधीः इसके अलावा गोरखपुर मंडल में चिन्हित किए गए 41 माफियाओं में देवरिया, कुशीनगर, महाराजगंज के माफिया भी शामिल हैं. पिछले 6 महीने में अकेले गोरखपुर में सबसे ज्यादा मुकदमे में प्रभावी पैरवी कर पुलिस ने ऑपरेशन शिकंजा के तहत कई को सजा दिलाई है. गगहा थाना क्षेत्र के रहने वाले राजन तिवारी के अलावा टॉप 10 में झंगहा थाना क्षेत्र का राघवेंद्र यादव, गुलरिहा का राकेश यादव, बेलघाट थाने का शैलेंद्र प्रताप सिंह, और बांसगांव थाने का राधे और राधेश्याम यादव, कैंट थाना क्षेत्र का सत्यव्रत राय, अजीत शाही, खजनी थाने का सुभाष शर्मा, गीडा थाना क्षेत्र का प्रदीप सिंह, शाहपुर थाने का सुधीर सिंह और गोरखनाथ थाने के विनोद उपाध्याय का नाम इस लिस्ट में शामिल है.

पुलिस की पैरवी तेजः पुलिस इन माफिया के खिलाफ दर्ज मुकदमों की सूची तैयार कर मॉनिटरिंग सेल की मदद से मुकदमों के ट्रायल की बराबर निगरानी कर रही है, ताकि कोर्ट में मजबूत पैरवी कर उन्हें सजा दिलाई जा सके. अपराधियों पर ऐसी कार्रवाई के संबंध में डीआइजी जे रविन्द्र गौड़ का कहना है कि टॉप 10 माफिया को सजा दिलाने के लिए ऑपरेशन शिकंजा चल रहा है. माफिया के मुकदमों में पुलिस की पैरवी तेज हुई है. एडीजीसी के साथ संबंधित थाना क्षेत्र के थानाध्यक्ष, अपराधी के आपराधिक रिकॉर्ड के साथ समन्वय स्थापित कर, कोर्ट में पैरवी कर रहे हैं. ताकि समाज से माफिया कम हों.

40 से अधिक मुकदमे हैं दर्जः पुलिस के अनुसार, माफिया राजन तिवारी के ऊपर 40 मुकदमे दर्ज हैं. वहीं, विनोद उपाध्याय के ऊपर 30 से ज्यादा मुकदमे हैं. सत्यव्रत राय पर 20 से ज्यादा मुकदमे दर्ज हैं, जो श्री प्रकाश शुक्ला का साथी रहा है और सजायाफ्ता भी है. सुधीर सिंह बसपा प्रत्याशी रह चुका है और उसके ऊपर 29 से ज्यादा केस दर्ज हैं. इसी प्रकार राघवेंद्र यादव पर 4 हत्याओं का आरोप है. वह 2016 से फरार है. उसका नाम प्रदेश का मोस्ट वांटेड अपराधियों में भी शामिल है. पुलिस ने उसके ऊपर 2.5 लाख का इनाम रखा है. वहीं, अजीत शाही पर जैतपुर तिहरे हत्याकांड का आरोपी है. इसके अलावा प्रदीप सिंह के खिलाफ 48 से ज्यादा मामले दर्ज हैं. फिलहाल यह माफिया अपनी किसी गतिविधि को लेकर हाल में पुलिस के शिकंजे में नहीं आए हैं. लेकिन उनके पुराने रिकॉर्ड खुलने से इनकी मुसीबत बढ़ गई है.

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