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गोरखपुर सामान्य सीट पर पिछड़ी जाति के नेताओं को उतारकर कलह में फंसी भाजपा - गोरखपुर भाजपा

यूपी में निकाय चुनाव की बिसात बिछ चुकी है. सभी राजदनीतिक दलों ने जिताऊ प्रत्याशियों को तरजीह देने के फेर पुराने और कर्मठ कार्यकर्ताओं को नजरअंदाज भी किया है. गोरखपुर भाजपा में सामान्य सीट पर पिछड़े वर्ग के प्रत्याशियों पर दांव लगाया है. ऐसे में यहां के सामान्य वर्ग के वह बीजेपी कार्यकर्ता बेहद नाराज हैं.

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Published : Apr 28, 2023, 7:48 PM IST

गोरखपुर सामान्य सीट पर पिछड़ी जाति के नेताओं को उतारकर कलह में फंसी भाजपा.

गोरखपुर : निकाय के चुनाव में भाजपा भले ही अपनी साख जमाने की कोशिश में लगी है, लेकिन वह अंदर अंदर परेशान भी बहुत है. वजह यह है कि अनारक्षित यानी कि सामान सीट पर बीजेपी ने पिछड़े वर्ग के नेताओं को बड़ी संख्या में टिकट दिया है. ऐसे में वार्डों में सामान्य वर्ग के वह बीजेपी कार्यकर्ता बेहद नाराज हैं, जो वर्षों से मेहनत करते हुए इस दिन का सपना देख रहे थे. 51 सामान्य सीटों में 27 पर पिछड़े वर्ग के नेता व कार्यकर्ता चुनाव लड़ रहे हैं. जिससे बीजेपी में घमासान मचा है.

पार्टी के क्षेत्रीय अध्यक्ष सहजानंद राय कहते हैं कि पार्टी सभी हालात से निपट लेगी जो कैंडिडेट जीतने की स्थित में था, टिकट उसे दिया गया है. इसके लिए वार्ड स्तर से लेकर बूथ और महानगर से लेकर स्क्रीनिंग कमिटी में पूरा मंथन हुआ था. जातियों की संख्या के हिसाब से भी प्रत्याशियों को तय किया गया. बहरहाल सामान्य सीट पर आरक्षित वर्ग के प्रत्याशियों के मैदान में आ जाने से भाजपा के ऐसे कार्यकर्ता नाराज हैं जो पिछले कई वर्षों से कड़ी मेहनत अपने क्षेत्र में कर रहे थे. बिछिया वार्ड के गोपाल मिश्रा कहते हैं कि उनके यहां तो अन्याय हो गया. समाजवादी पार्टी के नेता को आननफानन भाजपा से टिकट दिया गया. वह भी पिछड़ी जाति का है जबकि सीट सामान्य है. नंदानगर वार्ड से चुनाव लड़ने की वर्षों से उम्मीद लगाए जितेंद्र वर्मा पल्लू को जब टिकट नहीं मिला. उन्होंने कहा कि जनता का आशीर्वाद और समर्थन लेकर वह चुनावी मैदान में हैं. जनता उन्हें बड़े मतों से जीत दिलाएगी. ऐसे ही कुछ बागी सामने हैं तो तमाम कार्यकर्ता ऐसे हैं जो वार्ड में पार्टी के लिए संकट बने हैं. वहीं समाजवादी पार्टी की बात करें तो उसके प्रवक्ता भी ऐसे मामले में बड़ा सधा जवाब देते हैं. वह कहते हैं कि जीत की स्थिति को देखते हुए कोई भी दल प्रत्याशी का चयन करता है.

नियमानुसार अनारक्षित सीट पर किसी भी जाति वर्ग का व्यक्ति चुनाव लड़ सकता है, लेकिन यहां द्वंद्व इस बात का है कि आखिर में सामान्य जाति के कार्यकर्ता चुनाव कब लड़ेंगे. अब तो बगावत का बिगुल बजाने वाले सामान्य वर्ग के दावेदार पार्षद चुनाव परिणाम का इंतजार कर रहे हैं. क्योंकि वह अपने मिशन में लगे हैं तो बीजेपी उनके विरोध को रोकने में. परिणाम 13 मई को आएगा जिस पर सबकी नजर है. पार्षद की 80 सीटों में 34 अनारक्षित सीट में से 18 सीट पर बीजेपी ने आरक्षित वर्ग का प्रत्याशी उतारा है. जिसमें 16 पिछड़ा वर्ग, एक अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति का प्रत्याशी है. इसी प्रकार 19 महिला सीट में से 9 सीट पर पार्टी ने आरक्षित वर्ग की महिलाओं को उतार दिया है. जिससे महिला नेताओं में भी काफा नाराजगी है.

यह भी पढ़ें : Wrestlers Protest : क्या है कुश्ती संघ विवाद और क्यों धरने पर बैठे खिलाड़ी, एक क्लिक में समझें

गोरखपुर सामान्य सीट पर पिछड़ी जाति के नेताओं को उतारकर कलह में फंसी भाजपा.

गोरखपुर : निकाय के चुनाव में भाजपा भले ही अपनी साख जमाने की कोशिश में लगी है, लेकिन वह अंदर अंदर परेशान भी बहुत है. वजह यह है कि अनारक्षित यानी कि सामान सीट पर बीजेपी ने पिछड़े वर्ग के नेताओं को बड़ी संख्या में टिकट दिया है. ऐसे में वार्डों में सामान्य वर्ग के वह बीजेपी कार्यकर्ता बेहद नाराज हैं, जो वर्षों से मेहनत करते हुए इस दिन का सपना देख रहे थे. 51 सामान्य सीटों में 27 पर पिछड़े वर्ग के नेता व कार्यकर्ता चुनाव लड़ रहे हैं. जिससे बीजेपी में घमासान मचा है.

पार्टी के क्षेत्रीय अध्यक्ष सहजानंद राय कहते हैं कि पार्टी सभी हालात से निपट लेगी जो कैंडिडेट जीतने की स्थित में था, टिकट उसे दिया गया है. इसके लिए वार्ड स्तर से लेकर बूथ और महानगर से लेकर स्क्रीनिंग कमिटी में पूरा मंथन हुआ था. जातियों की संख्या के हिसाब से भी प्रत्याशियों को तय किया गया. बहरहाल सामान्य सीट पर आरक्षित वर्ग के प्रत्याशियों के मैदान में आ जाने से भाजपा के ऐसे कार्यकर्ता नाराज हैं जो पिछले कई वर्षों से कड़ी मेहनत अपने क्षेत्र में कर रहे थे. बिछिया वार्ड के गोपाल मिश्रा कहते हैं कि उनके यहां तो अन्याय हो गया. समाजवादी पार्टी के नेता को आननफानन भाजपा से टिकट दिया गया. वह भी पिछड़ी जाति का है जबकि सीट सामान्य है. नंदानगर वार्ड से चुनाव लड़ने की वर्षों से उम्मीद लगाए जितेंद्र वर्मा पल्लू को जब टिकट नहीं मिला. उन्होंने कहा कि जनता का आशीर्वाद और समर्थन लेकर वह चुनावी मैदान में हैं. जनता उन्हें बड़े मतों से जीत दिलाएगी. ऐसे ही कुछ बागी सामने हैं तो तमाम कार्यकर्ता ऐसे हैं जो वार्ड में पार्टी के लिए संकट बने हैं. वहीं समाजवादी पार्टी की बात करें तो उसके प्रवक्ता भी ऐसे मामले में बड़ा सधा जवाब देते हैं. वह कहते हैं कि जीत की स्थिति को देखते हुए कोई भी दल प्रत्याशी का चयन करता है.

नियमानुसार अनारक्षित सीट पर किसी भी जाति वर्ग का व्यक्ति चुनाव लड़ सकता है, लेकिन यहां द्वंद्व इस बात का है कि आखिर में सामान्य जाति के कार्यकर्ता चुनाव कब लड़ेंगे. अब तो बगावत का बिगुल बजाने वाले सामान्य वर्ग के दावेदार पार्षद चुनाव परिणाम का इंतजार कर रहे हैं. क्योंकि वह अपने मिशन में लगे हैं तो बीजेपी उनके विरोध को रोकने में. परिणाम 13 मई को आएगा जिस पर सबकी नजर है. पार्षद की 80 सीटों में 34 अनारक्षित सीट में से 18 सीट पर बीजेपी ने आरक्षित वर्ग का प्रत्याशी उतारा है. जिसमें 16 पिछड़ा वर्ग, एक अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति का प्रत्याशी है. इसी प्रकार 19 महिला सीट में से 9 सीट पर पार्टी ने आरक्षित वर्ग की महिलाओं को उतार दिया है. जिससे महिला नेताओं में भी काफा नाराजगी है.

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