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MMMTU हर साल सौ चिप डिजाइन विशेषज्ञ तैयार करेगा, प्रोजेक्ट को मिली मंजूरी

भारत सरकार के चिप डिजाइन एवं शोध कार्य के स्टार्टअप के लिए चुने गए 30 तकनीकी विश्वविद्यालयों में गोरखपुर के मदन मोहन मालवीय प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय का नाम भी शामिल किया गया है. विश्वविद्यालय का लक्ष्य है कि वो 85,000 योग्य और गुणवत्ता वाले इंजीनियर तैयार करेगा.

chip design and research work in MMMTU
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Published : Aug 9, 2023, 1:24 PM IST

गोरखपुरः मदन मोहन मालवीय प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय (MMMTU) में अब सेमीकंडक्टर में लगाई जाने वाली चिप का भी निर्माण होगा. केंद्र सरकार ने विश्वविद्यालय के इस तकनीकी प्रोजेक्ट को अपनी स्वीकृति प्रदान कर दी है. इस प्रोजेक्ट पर 85 लाख रुपये खर्च होगा. यह यूपी का यह पहला तकनीकी विश्वविद्यालय है, जिसे भारत सरकार ने अपने चिप डिजाइन एवं शोध कार्य के स्टार्टअप के साथ देश के अन्य 30 तकनीकी विश्वविद्यालयों के साथ जोड़ा है.

प्रोजेक्ट की जानकारी देते समन्वयक प्रोफेसर आरके चौहान.

योजना के समन्वयक प्रोफेसर आरके चौहान ने बताया कि विश्वविद्यालय की तरफ से इस क्षेत्र में साल 2021 से प्रयास चल रहा था. मई 2022 में इसका आवेदन स्वीकार कर लिया गया और जुलाई में कार्यक्रम की सूची में इसके शामिल होने की इसकी घोषणा भी हो गई. इसकी स्वीकृति ही इसकी सफलता है. केंद्र सरकार इस कार्य के लिए 85 लाख के बजट के साथ चिप बनाने का सॉफ्टवेयर भी उपलब्ध कराएगी. इससे छात्रों को विशेषज्ञ के रूप में तैयार किया जा सकेगा.

प्रो. चौहान ने कहा कि केंद्र सरकार के निर्देश पर कार्यक्रम की वेबसाइट भी पंजीकृत हो गई है. सरकार द्वारा स्वीकृत राशि अब तक विश्वविद्यालय के इलेक्ट्रॉनिक एवं कम्युनिकेशन विभाग को प्राप्त हो गया होता, लेकिन, कुछ बैंकिंग व्यवस्था और विश्वविद्यालय के पास स्थाई वित्त अधिकारी के न होने से इसमें देरी हुई. जैसे ही विभाग को धन प्राप्त होता है. इससे संबंधित जूनियर रिसर्च फैलोशिप और सीनियर रिसर्च फैलोशिप की तैनाती करने के साथ, शोध और डिजाइन के प्रोग्राम को आगे बढ़ाया जाएग. यह प्रोजेक्ट 5 वर्ष में पूरा किया जाएगा.

प्रो. ने बताया कि इस तरह के शोध कार्य के लिए पूरे देश में तीन श्रेणी में तकनीकी विश्वविद्यालयों का चयन हुआ था. जिसमें तृतीय श्रेणी में मदन मोहन मालवीय प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय का चयन हुआ. लेकिन, यह गौरव की बात है कि उत्तर प्रदेश का यह इकलौता इस श्रेणी का विश्वविद्यालय है. उन्होंने उम्मीद जताई है कि विश्वविद्यालय इस परियोजना पर बेहतर कार्य करते हुए प्रथम श्रेणी में आने वाले समय में अपनी उपस्थिति दर्ज कराएगा. भविष्य के शोध कार्य को आगे बढ़ाने के लिए 5 करोड़ का बजट भी प्राप्त करने में सक्षम होगा.

प्रोफेसर चौहान ने बताया कि चिप टू स्टार्टअप कार्यक्रम की स्थापना बड़े पैमाने पर, इंटीग्रेटेड और एंबेडेड सिस्टम डिजाइन के क्षेत्र में 85,000 योग्य और गुणवत्ता वाले इंजीनियर तैयार करने के उद्देश्य की गई है. चिप डिजाइन में आत्मनिर्भरता की दिशा में यह कार्यक्रम भारत का बड़ा कदम है. उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अहमदाबाद में एक इलेक्ट्रॉनिक सिटी कि जो स्थापना कर रहे हैं, उसके तैयार होने में करीब 5 वर्ष का समय लगेगा. जब तक यह सिटी बनकर तैयार होगी वहां सेमीकंडक्टर चिप तैयार करने समेत अन्य शोध कार्य को गति देने के लिए, इस प्रोजेक्ट के तहत विश्वविद्यालयों में तैयार होने वाले शोधार्थी भी बड़ी संख्या में तैयार होंगे.

इससे देश की निर्भरता दूसरे देशों पर सेमीकंडक्टर और अन्य चिप के मामले में जो बनी हुई है. उसमें काफी कमी आ जाएगी. उन्होंने कहा कि यह प्रोजेक्ट मिनिस्ट्री ऑफ इलेक्ट्रॉनिक्स के तहत न सिर्फ संचालित होगा, बल्कि इसका ऑब्जर्वेशन बड़ी बारीकी के साथ किया जाएगा. इससे चिप निर्माण के क्षेत्र में देश को बड़ी सफलता मिल सकती है.

ये भी पढ़ेंः Stork in Gorakhpur: राजकीय पक्षी सारस को भा रही गोरखपुर की आबोहवा, 3 साल में संख्या हुई दोगुनी

गोरखपुरः मदन मोहन मालवीय प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय (MMMTU) में अब सेमीकंडक्टर में लगाई जाने वाली चिप का भी निर्माण होगा. केंद्र सरकार ने विश्वविद्यालय के इस तकनीकी प्रोजेक्ट को अपनी स्वीकृति प्रदान कर दी है. इस प्रोजेक्ट पर 85 लाख रुपये खर्च होगा. यह यूपी का यह पहला तकनीकी विश्वविद्यालय है, जिसे भारत सरकार ने अपने चिप डिजाइन एवं शोध कार्य के स्टार्टअप के साथ देश के अन्य 30 तकनीकी विश्वविद्यालयों के साथ जोड़ा है.

प्रोजेक्ट की जानकारी देते समन्वयक प्रोफेसर आरके चौहान.

योजना के समन्वयक प्रोफेसर आरके चौहान ने बताया कि विश्वविद्यालय की तरफ से इस क्षेत्र में साल 2021 से प्रयास चल रहा था. मई 2022 में इसका आवेदन स्वीकार कर लिया गया और जुलाई में कार्यक्रम की सूची में इसके शामिल होने की इसकी घोषणा भी हो गई. इसकी स्वीकृति ही इसकी सफलता है. केंद्र सरकार इस कार्य के लिए 85 लाख के बजट के साथ चिप बनाने का सॉफ्टवेयर भी उपलब्ध कराएगी. इससे छात्रों को विशेषज्ञ के रूप में तैयार किया जा सकेगा.

प्रो. चौहान ने कहा कि केंद्र सरकार के निर्देश पर कार्यक्रम की वेबसाइट भी पंजीकृत हो गई है. सरकार द्वारा स्वीकृत राशि अब तक विश्वविद्यालय के इलेक्ट्रॉनिक एवं कम्युनिकेशन विभाग को प्राप्त हो गया होता, लेकिन, कुछ बैंकिंग व्यवस्था और विश्वविद्यालय के पास स्थाई वित्त अधिकारी के न होने से इसमें देरी हुई. जैसे ही विभाग को धन प्राप्त होता है. इससे संबंधित जूनियर रिसर्च फैलोशिप और सीनियर रिसर्च फैलोशिप की तैनाती करने के साथ, शोध और डिजाइन के प्रोग्राम को आगे बढ़ाया जाएग. यह प्रोजेक्ट 5 वर्ष में पूरा किया जाएगा.

प्रो. ने बताया कि इस तरह के शोध कार्य के लिए पूरे देश में तीन श्रेणी में तकनीकी विश्वविद्यालयों का चयन हुआ था. जिसमें तृतीय श्रेणी में मदन मोहन मालवीय प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय का चयन हुआ. लेकिन, यह गौरव की बात है कि उत्तर प्रदेश का यह इकलौता इस श्रेणी का विश्वविद्यालय है. उन्होंने उम्मीद जताई है कि विश्वविद्यालय इस परियोजना पर बेहतर कार्य करते हुए प्रथम श्रेणी में आने वाले समय में अपनी उपस्थिति दर्ज कराएगा. भविष्य के शोध कार्य को आगे बढ़ाने के लिए 5 करोड़ का बजट भी प्राप्त करने में सक्षम होगा.

प्रोफेसर चौहान ने बताया कि चिप टू स्टार्टअप कार्यक्रम की स्थापना बड़े पैमाने पर, इंटीग्रेटेड और एंबेडेड सिस्टम डिजाइन के क्षेत्र में 85,000 योग्य और गुणवत्ता वाले इंजीनियर तैयार करने के उद्देश्य की गई है. चिप डिजाइन में आत्मनिर्भरता की दिशा में यह कार्यक्रम भारत का बड़ा कदम है. उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अहमदाबाद में एक इलेक्ट्रॉनिक सिटी कि जो स्थापना कर रहे हैं, उसके तैयार होने में करीब 5 वर्ष का समय लगेगा. जब तक यह सिटी बनकर तैयार होगी वहां सेमीकंडक्टर चिप तैयार करने समेत अन्य शोध कार्य को गति देने के लिए, इस प्रोजेक्ट के तहत विश्वविद्यालयों में तैयार होने वाले शोधार्थी भी बड़ी संख्या में तैयार होंगे.

इससे देश की निर्भरता दूसरे देशों पर सेमीकंडक्टर और अन्य चिप के मामले में जो बनी हुई है. उसमें काफी कमी आ जाएगी. उन्होंने कहा कि यह प्रोजेक्ट मिनिस्ट्री ऑफ इलेक्ट्रॉनिक्स के तहत न सिर्फ संचालित होगा, बल्कि इसका ऑब्जर्वेशन बड़ी बारीकी के साथ किया जाएगा. इससे चिप निर्माण के क्षेत्र में देश को बड़ी सफलता मिल सकती है.

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