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गोरखपुर की बेटी ने लीबिया में 7 भारतीयों को कराया अपहरणकर्ताओं से मुक्त

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Published : Oct 16, 2020, 5:53 PM IST

लीबिया में रह रहीं और भारत में पैदा हुईं एक स्कूल की प्रिंसिपल 58 वर्षीय तबस्सुम मंसूर ने युद्धग्रस्त देश में एक मिलिशिया समूह की कैद से 7 भारतीयों की सुरक्षित रिहाई कराने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है. दरअसल 14 सितंबर को भारतीय नागरिकों को उस वक्त अगवा कर लिया गया था, जब वे भारत लौटने के लिए त्रिपोली हवाई अड्डे की तरफ जा रहे थे.

तबस्सुम मंसूर.
तबस्सुम मंसूर.

गोरखपुर: लीबिया में रह रही भारतीय मूल की एक बेटी के प्रयास से 7 भारतीयों को अपहरणकर्ताओं के चंगुल से सुरक्षित मुक्त करा लिया गया है. तबस्सुम मंसूर नाम की यह बेटी लीबिया में एक स्कूल की प्रिंसिपल हैं, जिनकी उम्र 58 वर्ष है.

तबस्सुम मंसूर के प्रयास से 7 लोगों को लीबिया के मिलिशिया समूह की कैद से मुक्त कराया गया है. इनका अपहरण 14 सितंबर को किया गया था, जब ये लोग भारत लौटने के लिए त्रिपोली हवाई अड्डे की तरफ जा रहे थे. गोरखपुर की बेटी के प्रयास से भारत सरकार भी गौरवान्वित हुई है और साथ ही गोरखपुर जिले का भी मान बढ़ा है. तबस्सुम के पिता गोरखपुर के जाने माने चार्टर्ड अकाउंटेंट हैं, जो कि अधिकांश समय लखनऊ में रहते हैं.

तबस्सुम ने जिन 7 लोगों को मुक्त कराया है, उनमें एक कुशीनगर का रहने वाले मुन्ना चौहान भी हैं और बाकी साथी बिहार और आंध्र प्रदेश के हैं. तबस्सुम की प्रारंभिक शिक्षा गोरखपुर के मॉडल नर्सरी और माउंट कार्मल से हुई है. इसके बाद उन्होंने अलीगढ़ विश्वविद्यालय से B.Ed की डिग्री हासिल की थी. तबस्सुम के पति लीबिया में जॉब करते थे, जिस वजह से शादी के बाद तबस्सुम लीबिया चली गई. उन्होंने खुद वहां पर इंडियन पब्लिक स्कूल की नींव डाल दी और अपने कार्यों से पहचान बनाना शुरू कर दिया.

तबस्सुम पिछले 30 साल से लीबिया में रह रही हैं और इससे पहले 2011 में मुअम्मर गद्दाफी के शासन के बाद फंसे 3,000 भारतीयों को भी निकालने में मदद की थी. तबस्सुम मंसूर ने भारतीयों को छुड़ाने के बाद बताया कि इनका अपहरण लूट की नीयत से किया गया था. साथ ही बताया कि उस वक्त ये लोग त्रिपोली हवाई अड्डे से भारत जाने के लिए निकले थे.

तबस्सुम के भाई डॉ. ओसामा हबीब ने बताया कि वह करीब 18 महीने पहले गोरखपुर आई थीं, जब उनके मां की मृत्यु हो गई थी. 2017 में उत्तर प्रदेश अप्रवासी भारतीय रत्न से भी तबस्सुम को सम्मानित किया जा चुका है. तबस्सुम बेहद हिम्मत वाली हैं और जरूरतमंदों की मदद के लिए खड़ी रहती हैं. साथ ही वह यूनिसेफ के साथ मिलकर शिक्षा के क्षेत्र में काम करती हैं. तबस्सुम युद्ध जैसे हालात झेल रहे लीबिया के सैकड़ों बच्चों को पढ़ाई का अवसर मुहैया करा रही है.

तबस्सुम के भाई ने बताया कि जब वह अपहरणकर्ताओं से 7 भारतीयों को मुक्त कराने के लिए निकल रही थीं तो थोड़ा डरी-सहमी जरूर थी, लेकिन बातचीत सफल रही और सभी बिना शर्त सभी छूट गए. इसके बाद वह बेहद खुश महसूस कर रही हैं.

गोरखपुर: लीबिया में रह रही भारतीय मूल की एक बेटी के प्रयास से 7 भारतीयों को अपहरणकर्ताओं के चंगुल से सुरक्षित मुक्त करा लिया गया है. तबस्सुम मंसूर नाम की यह बेटी लीबिया में एक स्कूल की प्रिंसिपल हैं, जिनकी उम्र 58 वर्ष है.

तबस्सुम मंसूर के प्रयास से 7 लोगों को लीबिया के मिलिशिया समूह की कैद से मुक्त कराया गया है. इनका अपहरण 14 सितंबर को किया गया था, जब ये लोग भारत लौटने के लिए त्रिपोली हवाई अड्डे की तरफ जा रहे थे. गोरखपुर की बेटी के प्रयास से भारत सरकार भी गौरवान्वित हुई है और साथ ही गोरखपुर जिले का भी मान बढ़ा है. तबस्सुम के पिता गोरखपुर के जाने माने चार्टर्ड अकाउंटेंट हैं, जो कि अधिकांश समय लखनऊ में रहते हैं.

तबस्सुम ने जिन 7 लोगों को मुक्त कराया है, उनमें एक कुशीनगर का रहने वाले मुन्ना चौहान भी हैं और बाकी साथी बिहार और आंध्र प्रदेश के हैं. तबस्सुम की प्रारंभिक शिक्षा गोरखपुर के मॉडल नर्सरी और माउंट कार्मल से हुई है. इसके बाद उन्होंने अलीगढ़ विश्वविद्यालय से B.Ed की डिग्री हासिल की थी. तबस्सुम के पति लीबिया में जॉब करते थे, जिस वजह से शादी के बाद तबस्सुम लीबिया चली गई. उन्होंने खुद वहां पर इंडियन पब्लिक स्कूल की नींव डाल दी और अपने कार्यों से पहचान बनाना शुरू कर दिया.

तबस्सुम पिछले 30 साल से लीबिया में रह रही हैं और इससे पहले 2011 में मुअम्मर गद्दाफी के शासन के बाद फंसे 3,000 भारतीयों को भी निकालने में मदद की थी. तबस्सुम मंसूर ने भारतीयों को छुड़ाने के बाद बताया कि इनका अपहरण लूट की नीयत से किया गया था. साथ ही बताया कि उस वक्त ये लोग त्रिपोली हवाई अड्डे से भारत जाने के लिए निकले थे.

तबस्सुम के भाई डॉ. ओसामा हबीब ने बताया कि वह करीब 18 महीने पहले गोरखपुर आई थीं, जब उनके मां की मृत्यु हो गई थी. 2017 में उत्तर प्रदेश अप्रवासी भारतीय रत्न से भी तबस्सुम को सम्मानित किया जा चुका है. तबस्सुम बेहद हिम्मत वाली हैं और जरूरतमंदों की मदद के लिए खड़ी रहती हैं. साथ ही वह यूनिसेफ के साथ मिलकर शिक्षा के क्षेत्र में काम करती हैं. तबस्सुम युद्ध जैसे हालात झेल रहे लीबिया के सैकड़ों बच्चों को पढ़ाई का अवसर मुहैया करा रही है.

तबस्सुम के भाई ने बताया कि जब वह अपहरणकर्ताओं से 7 भारतीयों को मुक्त कराने के लिए निकल रही थीं तो थोड़ा डरी-सहमी जरूर थी, लेकिन बातचीत सफल रही और सभी बिना शर्त सभी छूट गए. इसके बाद वह बेहद खुश महसूस कर रही हैं.

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