गोरखपुर: कोरोना महामारी के बीच विश्व प्रसिद्ध गीताप्रेस संस्थान अगले साल अपनी स्थापना के 100 साल पूरे करने जा रहा है. इस मौके पर गीताप्रेस एक बार फिर श्रीमद्भागवत गीता का प्रकाशन करेगा, जिसमें इस धार्मिक पुस्तक से जुड़े 107 चित्र भी होंगे. अभी तक श्रीमद्भागवत गीता का ब्लैक एंड वॉइट संस्करण ही प्रकाशित किया गया था. इस खास संस्करण की छपाई के लिए गीताप्रेस प्रबंधन ने 5 करोड़ की कीमत वाली मशीन मंगवाई थी.
224 पृष्ठ का होगा गीता का रंगीन संस्करण
श्रीमद्भागवत गीता के प्रचार-प्रसार के उद्देश्य से ही वर्ष 1923 में गीता प्रेस की स्थापना हुई थी. तब से अभी तक श्रीमद्भगवत गीता समेत धार्मिक कार्यों में प्रयोग की जाने वाली कई पुस्तक यहां से विभिन्न भाषाओं में प्रकाशित हुईं हैं. धार्मिक पुस्तकों की छपाई का इकलौता विश्व प्रसिद्ध केंद्र है, जहां से चर्चित पुस्तकें न सिर्फ भारत में बल्कि दुनिया के कई देशों में डाक के जरिए भेजी जाती हैं. गीताप्रेस के ट्रस्टी देवीदयाल अग्रवाल ने बताया कि गीता प्रेस की स्थापना ही गीता के प्रचार-प्रसार के लिए की गई थी. प्रेस अपनी स्थापना के 100वें वर्ष में श्रीमद्भागवतगीता का रंगीन संस्करण छापने जा रहा है. पहले चरण में इसकी 3 हजार प्रतियां प्रकाशित होंगी. एक प्रति में 224 पृष्ठ होंगे और 107 रंगीन चित्र इसमें समाहित होंगे.
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एक घंटे में 8 हजार पुस्तकों की सिलाई करती है मशीन
ट्रस्टी ने बताया कि नए संस्करण के लिए गीता प्रेस ने 5 करोड़ रुपये की धनराशि इन्वेस्ट की है. खास संस्करण को छापने के लिए मार्च में जापान से कोमोरी नाम की मशीन मंगवाई गई थी. इस मशीन के कारण पुस्तकों की फोल्डिंग की रफ्तार 25 गुना बढ़ गई है. साथ ही, यह मशीन प्रति घंटे में 8,000 पुस्तकों की सिलाई करने में भी सक्षम है. उन्होंने कहा कि श्रीमद्भगवत गीता का रंगीन संस्करण पाठकों को लुभाएगा और चित्रों की प्रदर्शनी उन्हें आनंदित और आकर्षित भी करेगी.