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खबर का असर, संवारा जाएगा बिस्मिल की याद से जुड़ा घंटाघर - गुरु कृपा संस्थान

ईटीवी भारत की पहल और गुरु कृपा संस्थान के 11 वर्षों के संघर्ष के बाद पंडित राम प्रसाद बिस्मिल की यादों से जुड़ा गोरखपुर का घंटाघर चौक अब पर्यटन के केंद्र के रूप में विकसित होगा. बिस्मिल से जुड़ी ईटीवी भारत द्वारा प्रकाशित की गई खबरों का मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने संज्ञान लिया है.

गोरखपुर का घंटाघर चौक
गोरखपुर का घंटाघर चौक
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Published : Dec 22, 2020, 3:55 PM IST

गोरखपुर: ईटीवी भारत की पहल और गुरु कृपा संस्थान के 11 वर्षों के संघर्ष के बाद, पंडित राम प्रसाद बिस्मिल की यादों से जुड़ा, गोरखपुर का घंटाघर चौक आने वाले दिनों में पर्यटन के केंद्र के रूप में विकसित होगा. यहां पर बिस्मिल की यादें भी सहेजी जाएंगी. बिस्मिल से जुड़ी ईटीवी भारत द्वारा प्रकाशित की गई खबरों का मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने संज्ञान लिया है, साथ ही अखिल भारतीय क्रांतिकारी संघर्ष मोर्चा और गुरु कृपा संस्थान की मांगों को भी उन्होंने सम्मान दिया है, जो पिछले कई वर्षों से चली आ रही थी.

इसे भी पढ़े- जेल की जिस कोठरी में कैद थे बिस्मिल, उस जगह की जानिए पूरी कहानी

सीएम की घोषणा के बाद घंटाघर चौक पर क्रांतिकारी मोर्चा के साथियों और पदाधिकारियों ने घंटाघर चौक की परिक्रमा किया, आतिशबाजी की और इस दौरान एक दूसरे को मिठाई खिलाकर खुशियों का इजहार किया. मोर्चा के लोगों ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के इस तोहफे के लिए उन्हें धन्यवाद भी दिया.

बिस्मिल की मां ने इस चौक से अपना मार्मिक उद्बोधन दिया था

इसे भी पढ़े- गोरखपुर जेल का वह कमरा जहां बिस्मिल ने लिखी आत्मकथा

गोरखपुर के घंटाघर चौक और घंटाघर का इतिहास
गोरखपुर का घंटाघर चौक मौजूदा समय में जिस स्थान पर बना है अंग्रेजी हुकूमत के दौरान वहां पाकड़ का पेड़ हुआ करता था. इस पाकड़ के पेड़ पर अंग्रेजों ने अली हसन सहित कई क्रांतिकारियों को फांसी पर लटकाया था. वहीं 19 दिसंबर 1927 को जब पंडित राम प्रसाद बिस्मिल को गोरखपुर जेल में फांसी दी गई और उनकी अंत्येष्टि के लिए शव यात्रा निकाली गई थी. इसी घंटाघर चौक पर बिस्मिल की शव यात्रा रुकी थी. करीब डेढ़ लाख लोगों ने उसमें शामिल होकर उन्हें अपनी श्रद्धांजलि दी थी. इस दौरान बिस्मिल की माताजी ने इस चौक से अपना मार्मिक उद्बोधन भी दिया था, जो पूर्वांचल ही नहीं देश को आजाद कराने में जुटे हुए हर क्रांतिकारी नौजवान के लिए प्ररेणा का विषय बना.

इसे भी पढ़े- 'बिस्मिल' की शहादत पर उनकी मां ने दिया था इस चौक से मार्मिक भाषण

'आने वाली पीढ़ी हमेशा याद रखेगी'

आज जब मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस स्थान के जीर्णोद्धार और सौंदर्यीकरण की बात कही है तो बिस्मिल के बलिदान और उनके स्थानों को विशिष्ट पहचान दिलाने के लिए वर्षो से संघर्ष करने वाले गुरुकृपा संस्थान के संयोजक और उनके साथी खुशी से झूम उठे. उन्होंने इस दौरान ईटीवी भारत की भी जमकर प्रशंसा की, जो उनके इस अभियान में बिस्मिल से जुड़ी खबरों की सीरीज चलाकर एक जन जागरण का रूप दिया. बृजेश त्रिपाठी ने कहा कि "प्रदेश की बागडोर जबसे मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के हाथ में आई है क्रांतिकारी साथियों को निरंतर सम्मान मिलता जा रहा है. उन्होंने कहा कि फैजाबाद जेल में अशफाक उल्ला खान प्रयागराज में ठाकुर रोशन सिंह गोंडा में राजेंद्र नाथ लाहिड़ी और गोरखपुर में पंडित राम प्रसाद बिस्मिल को जो सम्मान योगी सरकार ने दिया है वह निश्चित रूप से आने वाली पीढ़ी हमेशा याद रखेगी. उन्होंने कहा कि जब-जब क्रांतिकारियों को सम्मान को पुनर्स्थापित करने की बात होगी तो उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का नाम सबसे ऊपर लिया जाएगा."

गोरखपुर: ईटीवी भारत की पहल और गुरु कृपा संस्थान के 11 वर्षों के संघर्ष के बाद, पंडित राम प्रसाद बिस्मिल की यादों से जुड़ा, गोरखपुर का घंटाघर चौक आने वाले दिनों में पर्यटन के केंद्र के रूप में विकसित होगा. यहां पर बिस्मिल की यादें भी सहेजी जाएंगी. बिस्मिल से जुड़ी ईटीवी भारत द्वारा प्रकाशित की गई खबरों का मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने संज्ञान लिया है, साथ ही अखिल भारतीय क्रांतिकारी संघर्ष मोर्चा और गुरु कृपा संस्थान की मांगों को भी उन्होंने सम्मान दिया है, जो पिछले कई वर्षों से चली आ रही थी.

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सीएम की घोषणा के बाद घंटाघर चौक पर क्रांतिकारी मोर्चा के साथियों और पदाधिकारियों ने घंटाघर चौक की परिक्रमा किया, आतिशबाजी की और इस दौरान एक दूसरे को मिठाई खिलाकर खुशियों का इजहार किया. मोर्चा के लोगों ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के इस तोहफे के लिए उन्हें धन्यवाद भी दिया.

बिस्मिल की मां ने इस चौक से अपना मार्मिक उद्बोधन दिया था

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गोरखपुर के घंटाघर चौक और घंटाघर का इतिहास
गोरखपुर का घंटाघर चौक मौजूदा समय में जिस स्थान पर बना है अंग्रेजी हुकूमत के दौरान वहां पाकड़ का पेड़ हुआ करता था. इस पाकड़ के पेड़ पर अंग्रेजों ने अली हसन सहित कई क्रांतिकारियों को फांसी पर लटकाया था. वहीं 19 दिसंबर 1927 को जब पंडित राम प्रसाद बिस्मिल को गोरखपुर जेल में फांसी दी गई और उनकी अंत्येष्टि के लिए शव यात्रा निकाली गई थी. इसी घंटाघर चौक पर बिस्मिल की शव यात्रा रुकी थी. करीब डेढ़ लाख लोगों ने उसमें शामिल होकर उन्हें अपनी श्रद्धांजलि दी थी. इस दौरान बिस्मिल की माताजी ने इस चौक से अपना मार्मिक उद्बोधन भी दिया था, जो पूर्वांचल ही नहीं देश को आजाद कराने में जुटे हुए हर क्रांतिकारी नौजवान के लिए प्ररेणा का विषय बना.

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'आने वाली पीढ़ी हमेशा याद रखेगी'

आज जब मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस स्थान के जीर्णोद्धार और सौंदर्यीकरण की बात कही है तो बिस्मिल के बलिदान और उनके स्थानों को विशिष्ट पहचान दिलाने के लिए वर्षो से संघर्ष करने वाले गुरुकृपा संस्थान के संयोजक और उनके साथी खुशी से झूम उठे. उन्होंने इस दौरान ईटीवी भारत की भी जमकर प्रशंसा की, जो उनके इस अभियान में बिस्मिल से जुड़ी खबरों की सीरीज चलाकर एक जन जागरण का रूप दिया. बृजेश त्रिपाठी ने कहा कि "प्रदेश की बागडोर जबसे मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के हाथ में आई है क्रांतिकारी साथियों को निरंतर सम्मान मिलता जा रहा है. उन्होंने कहा कि फैजाबाद जेल में अशफाक उल्ला खान प्रयागराज में ठाकुर रोशन सिंह गोंडा में राजेंद्र नाथ लाहिड़ी और गोरखपुर में पंडित राम प्रसाद बिस्मिल को जो सम्मान योगी सरकार ने दिया है वह निश्चित रूप से आने वाली पीढ़ी हमेशा याद रखेगी. उन्होंने कहा कि जब-जब क्रांतिकारियों को सम्मान को पुनर्स्थापित करने की बात होगी तो उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का नाम सबसे ऊपर लिया जाएगा."

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