गोरखपुर: कोरोना से जंग में आम और खास सब एक दूसरे की मदद के लिए उठ खड़े हुए हैं. जिससे जो बन पड़ रहा है, वह जरूरतमंदों की मदद कर रहा है. यह भारत की पहचान भी है. जब देश पर संकट आता है तो हमारी एकता और संस्कार ही पूरे विश्व को ताकत देते हैं. देश में लॉकडाउन है. सब अपने-अपने घरों में बंद हैं, लेकिन इन 21 दिन के लॉक डाउन की सबसे अधिक मार पड़ रही है, उन बेजुबान जानवरों पर जो खाने के लिए इंसान पर निर्भर हैं. सीएम सिटी का एक परिवार ऐसे ही बेजुबान जानवरों की भूख मिटाने के काम में लगा हुआ है है.
सीएम सिटी में भी बेजुबानों के लिए खाने का संकट
कोरोना वायरस के संक्रमण से पूरी दुनिया जंग लड़ रही है, हमारे देश में हुए 21 दिन के लॉकडाउन में ज्यादातर शहरों में सन्नाटा पसरा हुआ है. जहां शहरों की सड़कें सूनी हैं, वहीं जंगल जाने वाले रास्ते भी पूरी तरह से वीरान पड़े हुए हैं. शहर की गलियों से लेकर जंगल और उपवन में रहने वाले जानवर भूख से बेहाल हैं. सीएम सिटी का भी कुछ ऐसा ही हाल है. जहां सड़क पर घूमने वाले कुत्ते, बंदर और अन्य जानवर भूखे-प्यासे हैं तो वहीं शहर के पूर्व में स्थित कुसम्ही जंगल और विनोद वन के जानवरों के साथ ही ऐतिहासिक बुढ़िया माई के स्थान पर रहने वाले बंदर और अन्य जानवर भी भूख प्यास से तड़प रहे हैं.
ऐसे में शहर के बीच विजय चौक के पास स्थित एसएस एकेडमी स्कूल के संचालक कनक हरि अग्रवाल और उनकी पत्नी और इस स्कूल के अन्य कर्मचारी इन जानवरों को खानाखिलाने के लिए कुसम्ही जंगल और विनोद वन पहुंच गए. उन्होंने वहां जानवरों को खाना खिलाया खिलाया.
लॉकडाउन में बेजुबानों के लिए आगे आए कुछ समाजसेवी
इस मौके पर कनक हरि अग्रवाल ने बताया कि जरूरतमंदों की मदद के लिए हर कोई आगे आ रहा है, लेकिन बेजुबान जानवरों को भूख प्यास से तड़पते देखना उनके मन में खटक रहा था. उन्होंने पत्नी डॉ निशी अग्रवाल और नई आशा सामाजिक संगठन के संस्थापक आशीष छाबड़िया और एसएस एकेडमी के अध्यक्ष उनके पिता अरविंद अग्रवाल से इसके बारे में बात की. इसके बाद वह अपनी टीम के साथ अपनी गाड़ी में जानवरों के खाने के लिए चना, केला, बिस्किट, पूड़ी आदि लेकर कुसम्ही जंगल पहुंचे. यहां वह पिछले कई दिनों से इन स्थानों पर जानवरों के खाने का सामान लेकर अपने साथियों के साथ जा रहे हैं, और अपने संकल्प को पूरा करने में लगे हुए हैं.
रोज खिलाते हैं चना, केला, बिस्किट आदि
इस मौके पर मिले एक राहगीर संगम दुबे ने बताया इस वैश्विक महामारी कोरोना से पूरे देश में 21 दिन के लॉकडाउन में हर सार्वजनिक स्थलों को बंद कर दिया गया है. ऐसे में कुसम्ही जंगल, विनोद वन और बुढ़िया माई आदि जगहों पर कोई नहीं जा रहा. पहले जब लोग यहां आते थे तो यहां पर रहने वाले सैकड़ों बंदरों और अन्य जानवरों को कुछ ना कुछ खाने की चीजें खिलाया करते थे, लेकिन लॉक डाउन की वजह से लोगों का घरों से निकलना बिल्कुल बंद है. ऐसे में यहां पर मौजूद सैकड़ों जानवरों के लिए खाने-पीने का गंभीर संकट उत्पन्न हो गया है. यह लोग अपनी गाड़ियों में जानवरों के खाने-पीने के सामान को लेकर आते हैं और मौजूद जानवरों को खिलाते हैं.