गोरखपुर: सन 1962 में भारत और चीन के बीच हुए युद्ध के बाद देश में रेडियो स्टेशनों को स्थापित करने की जरूरत महसूस हुई थी. यह कहना है गोरखपुर आकाशवाणी केंद्र के पूर्व कार्यक्रम अधिकारी रविंद्र श्रीवास्तव उर्फ जुगानी भाई का. इसके बाद देश भर में 12 रेडियो स्टेशन स्थापित किए जाने की योजना बनी. इसी क्रम में 2 अक्टूबर 1972 को गोरखपुर का स्टेशन भी स्थापित हुआ, लेकिन अब शनिवार 21 नवंबर 2020 से इस सेंटर से ट्रांसमिशन बंद करने का प्रसार भारती ने फैसला लिया है.
गोरखपुर रेडियो स्टेशन बंद करने के फैसले पर उठे सवाल. इस फैसले पर गोरखपुर आकाशवाणी केंद्र के पूर्व कार्यक्रम अधिकारी रविंद्र श्रीवास्तव उर्फ जुगानी भाई बेहद दुखी हैं. उन्होंने कहा कि जिस कारण से भी यह फैसला लिया गया हो, पर यह उचित नहीं है. उन्होंने कहा कि यह सिर्फ एक सरकारी संस्था नहीं थी. यह लोगों की आत्मा थी, जिससे कलाकार, किसान, साहित्यकार, शिक्षा और स्वास्थ्य से जुड़े हुए लोग कई तरह से सबको लाभान्वित करते थे.
पूर्व कार्यक्रम अधिकारी और समाचार वाचक ने फैसले पर उठाए सवाल
ईटीवी भारत से बात करते हुए रविंद्र श्रीवास्तव ने गोरखपुर रेडियो ट्रांसमिशन केंद्र को बंद करने के फैसले पर अपनी पीड़ा जाहिर की. उन्होंने कहा कि इसको बंद करने के पीछे जरूर कोई साजिश हुई होगी. कार्यक्रम निर्माण और लोगों की जरूरत को जानने वाला सीईओ इसे बंद करने का कत्तई फैसला नहीं लेता. एक इंजीनियर के इस कुर्सी पर बैठने से यह फैसला हुआ है, जो उनकी नजर में गलत लग रहा है. उन्होंने कहा कि पीएम मोदी को रेडियो की ताकत मालूम है. वह हर महीने इसी के माध्यम से अपने मन की बात करते हैं, जो सुदूर गांव में बैठा हुआ व्यक्ति भी सुन लेता है. ऐसे में रेडियो स्टेशन ही बंद कर दिया जाय यह समझ से परे है. उन्होंने कहा कि 1962 के युद्ध में इसकी महत्ता को देश ने समझा था, लेकिन आज इसे मिटाया जा रहा है जो कहीं से भी उचित नहीं है.
रेडियो स्टेशन बंद करने के पीछे FM का बढ़ता दायरा
ईटीवी भारत से बात करते हुए आकाशवाणी के पूर्व उद्घोषक और 29 वर्षों तक समाचार पढ़ने का कार्य करने वाले मुमताज खान ने कहा कि यह उनके जैसे सैकड़ों कलाकारों और लिखने-पढ़ने वालों के साथ अन्याय है. उन्होंने कहा कि वह बचपन से इससे जुड़े हैं और बड़े होने के साथ इसकी विधाओं से परिचित होते गए. यह केंद्र लोगों को सिर्फ सूचना और मनोरंजन ही नहीं देता बल्कि कई मामलों में मार्गदर्शन भी करता है. इसे बंद करना 250 से ज्यादा लोगों के जीवन के साथ खिलवाड़ करना है. उन्होंने सरकार और प्रसार भारती से इस फैसले पर पुनर्विचार की मांग की है.
इसे लेकर विभागीय अधिकारी इस मुद्दे पर कैमरे पर कुछ बोलना नहीं चाहते. वह कहते हैं कि दिल्ली में बैठे अधिकारी इस पर जवाब देंगे. सूत्रों की मानें तो इस क्षेत्र में एफएम रेडियो के स्टेशन बढ़ाये जाने की कवायद में यह फैसला प्रसार भारती ने लिया है.