गोरखपुर: सीएम सिटी में इन दिनों लोग बिजली की बेतहाशा कटौती से परेशान हैं. पिछले कई महीने से स्थिति बदतर हो गई है. लगातार ट्रांसफार्मर फुंक रहे हैं तो उन्हें बदलने में विभाग की हालत खराब हो रही है. खराब ट्रांसफार्मरों की संख्या इतनी है कि उनकी मरम्मत नहीं हो पा रही है. साथ ही नए ट्रांसफार्मर भी लग नहीं पा रहे हैं. इस पीछे सबसे बड़ी वजह 'सौभाग्य योजना' बताई जा रही है.
योगी के शहरवासियों के लिए दुर्भाग्य बनी मोदी की 'सौभाग्य योजना' ! - सौभाग्य योजना उत्तर प्रदेश
गोरखपुर की पहचान मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के शहर के रूप में कायम हो चुकी है. योगी सरकार यहां 24 घंटे बिजली के दावे करती है, लेकिन हकीकत इससे कोसों दूर है. शहरवासी महीनों से बिजली की समस्या से परेशान हैं और पीएम मोदी की महत्वाकांक्षी सौभाग्य योजना इसका सबसे बड़ा कारण है.
गोरखपुर में सौभाग्य योजना ने बढ़ाई लोगों की परेशानी.
गोरखपुर: सीएम सिटी में इन दिनों लोग बिजली की बेतहाशा कटौती से परेशान हैं. पिछले कई महीने से स्थिति बदतर हो गई है. लगातार ट्रांसफार्मर फुंक रहे हैं तो उन्हें बदलने में विभाग की हालत खराब हो रही है. खराब ट्रांसफार्मरों की संख्या इतनी है कि उनकी मरम्मत नहीं हो पा रही है. साथ ही नए ट्रांसफार्मर भी लग नहीं पा रहे हैं. इस पीछे सबसे बड़ी वजह 'सौभाग्य योजना' बताई जा रही है.
सौभाग्य योजना प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का सपना था. इस योजना के तहत गरीबों को मुफ्त में बिजली कनेक्शन दिए जाने थे. इस योजना के तहत काम भी खूब तेजी से हुआ और कनेक्शन भी खूब बांटे गए. गोरखपुर मंडल में करीब साढे़ छह लाख कनेक्शन दिए गए. इसके बाद बिजली आपूर्ति करने के लिए विभिन्न क्षमता के 49 हजार ट्रांसफार्मरों की जरूरत थी. यह योजना 31 मार्च 2019 को समाप्त कर दी गई और कार्यदायी संस्थाओं ने जो सामान खरीदा था उसे लगा कर चलती बनीं. चुनावी माहौल और कनेक्शनधारियों के दबाव में विभाग ने इन सभी का लोड पुराने ट्रांसफार्मरों पर लाद दिया. इसकी वजह से ट्रांसफार्मर फटने लगे और उपभोक्ताओं की समस्या बढ़ने लगी. भीषण गर्मी में बिजली की कटौती ने आम लोगों को ही परेशान नहीं बल्कि किया सरकारी कार्यालयों में काम करने वाले कर्मचारी भी परेशान थे.
आम लोगों के साथ-साथ बिजली विभाग भी परेशान
बिजली की कटौती से लोग परेशान हैं तो विभागीय अधिकारियों की भी परेशानी बढ़ी हुई है. उन्हें ठेकेदारों का सहयोग नहीं मिल पा रहा तो मौसम भी ट्रांसफार्मरों की मरम्मत में बाधक बना हुआ है. मुख्य अभियंता की मानें तो बरसात में हवा और नमी के कारण मरम्मत किए जाने वाले ट्रांसफार्मरों में इंसुलेशन फेल्योर हो जाता है. ज्यादा खराबी आने की वजह से कार्य की अधिकता हो गई है. जिले में 63 केवीए ट्रांसफार्मर की कमी है और इन्हीं के जलने की संख्या ज्यादा है. इस हाय-तौबा के बीच 100 केवीए के ट्रांसफार्मर को लगाकर विद्युत आपूर्ति को बहाल करने की कोशिश की जा रही है.
सौभाग्य योजना प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का सपना था. इस योजना के तहत गरीबों को मुफ्त में बिजली कनेक्शन दिए जाने थे. इस योजना के तहत काम भी खूब तेजी से हुआ और कनेक्शन भी खूब बांटे गए. गोरखपुर मंडल में करीब साढे़ छह लाख कनेक्शन दिए गए. इसके बाद बिजली आपूर्ति करने के लिए विभिन्न क्षमता के 49 हजार ट्रांसफार्मरों की जरूरत थी. यह योजना 31 मार्च 2019 को समाप्त कर दी गई और कार्यदायी संस्थाओं ने जो सामान खरीदा था उसे लगा कर चलती बनीं. चुनावी माहौल और कनेक्शनधारियों के दबाव में विभाग ने इन सभी का लोड पुराने ट्रांसफार्मरों पर लाद दिया. इसकी वजह से ट्रांसफार्मर फटने लगे और उपभोक्ताओं की समस्या बढ़ने लगी. भीषण गर्मी में बिजली की कटौती ने आम लोगों को ही परेशान नहीं बल्कि किया सरकारी कार्यालयों में काम करने वाले कर्मचारी भी परेशान थे.
आम लोगों के साथ-साथ बिजली विभाग भी परेशान
बिजली की कटौती से लोग परेशान हैं तो विभागीय अधिकारियों की भी परेशानी बढ़ी हुई है. उन्हें ठेकेदारों का सहयोग नहीं मिल पा रहा तो मौसम भी ट्रांसफार्मरों की मरम्मत में बाधक बना हुआ है. मुख्य अभियंता की मानें तो बरसात में हवा और नमी के कारण मरम्मत किए जाने वाले ट्रांसफार्मरों में इंसुलेशन फेल्योर हो जाता है. ज्यादा खराबी आने की वजह से कार्य की अधिकता हो गई है. जिले में 63 केवीए ट्रांसफार्मर की कमी है और इन्हीं के जलने की संख्या ज्यादा है. इस हाय-तौबा के बीच 100 केवीए के ट्रांसफार्मर को लगाकर विद्युत आपूर्ति को बहाल करने की कोशिश की जा रही है.
Intro:ओपनिग पीटीसी... डे प्लान की खबर है।
गोरखपुर। गोरखपुर की पहचान देश और प्रदेश में मौजूदा दौर में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के शहर के रूप में कायम हो चुकी है। यह भी चर्चा है कि यहां की तमाम जन सुविधाओं में सुधार हो गया है तो बिजली 24 घंटे निर्बाध गति से लोगों को प्राप्त हो रही है। पर हकीकत इससे जुदा है। इस शहर में पिछले दो-तीन महीने से बिजली की बेतहाशा कटौती हो रही है। कब आएगी, कब जाएगी, कितने देर रहेगी कोई ठिकाना नहीं है। जुलाई महीने में तो हालत और भी खराब हो गई है। ट्रांसफार्मर जल जा रहे हैं तो उन्हें बदलने में विभाग की हालत खराब हो जा रही है। क्योंकि संख्या खराब ट्रांसफार्मरों की इतनी है उनकी मरम्मत नहीं हो पा रही है और नए ट्रांसफार्मर भी लग नहीं पा रहे हैं। इस सबके पीछे जो सबसे बड़ी वजह निकल कर के आई है वह है 'सौभाग्य योजना'।
नोट--कम्प्लीट विशेष पैकेज...वॉइस ओवर अटैच है।
Body:सौभाग्य योजना क्या है इसे यहां स्पष्ट कर देना जरूरी है यह वह योजना है जो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सपने से जुड़ी हुई है जिसमें निराश्रित निर्बल लोगों को मुफ्त में बिजली का कनेक्शन दिया जाना था इस योजना के तहत काम भी खूब तेजी से हुआ और कनेक्शन भी खूब बांटे गए गोरखपुर मंडल में करीब साढे़ छह लाख कनेक्शन दिए गए जिन्हें बिजली आपूर्ति करने के लिए विभिन्न क्षमता के 49 हजार ट्रांसफार्मरों की जरूरत थी पर यह योजना 31 मार्च 2019 को समाप्त कर दी गई और कार्यदाई संस्थाओं ने जो सामान खरीदा था उसे लगा कर चलते बने लेकिन चुनावी माहौल और कनेक्शन धारियों के दबाव में विभाग ने इन सभी का लोड पुराने ट्रांसफार्मरों पर लाद दिया जिसकी वजह से शहर होते या देहात ट्रांसफार्मर फटने लगे और उपभोक्ताओं की समस्या बढ़ने लगी भीषण गर्मी में बिजली की कटौती ने आम लोगों को ही परेशान नहीं किया सरकारी कार्यालयों में काम करने वाले कर्मचारी भी परेशान थे लेकिन सरकार के खिलाफ आवाज तो जनता ही उठाती है और वह इस विषय पर खूब जमकर अपनी भड़ास निकाली है।
बाइट--जवाहरलाल जायसवाल, स्थानीय नागरिक (पीला कुर्ता)
बाइट--छोटे लाल, स्थानीय नागरिक ( सफेद कुर्ता)
Conclusion:बिजली की कटौती से लोग परेशान हैं तो विभागीय अधिकारियों की माने तो उनकी भी परेशानी बढ़ी हुई है। उन्हें ठेकेदारों का सहयोग नहीं मिल पा रहा तो मौसम भी ट्रांसफार्मरों की मरम्मत में बाधक बना हुआ है। मुख्य अभियंता की माने तो बरसात में हवा में नमी के कारण मरम्मत किए जाने वाले ट्रांसफार्मरों में इंसुलेशन फेल्योर हो जाता है, जिसे ओवन में गर्म करना पड़ता है। ज्यादा खराबी आने की वजह से कार्य की अधिकता हो गई है। इस वजह से ट्रांसफार्मरों को समय से नहीं पहुंचा मिल रहा है। सूत्रों की मानें तो जिले में 63 केवीए ट्रांसफार्मर की कमी है और इन्हीं के जलने की संख्या ज्यादा है। इसलिए हाय तौबा के बीच 100 केवीए के ट्रांसफार्मर को लगाकर विद्युत आपूर्ति को बहाल करने की कोशिश विभाग कर रहा है। मुख्य अभियंता की माने तो 10 अगस्त 2019 तक ऐसी सभी समस्याएं समाप्त हो जाएंगी।
बाइट--देवेंद्र सिंह, चीफ इंजीनियर, विद्युत, गोरखपुर मंडल
क्लोजिंग पीटीसी
मुकेश पाण्डेय
Etv भारत, गोरखपुर
9415875724
गोरखपुर। गोरखपुर की पहचान देश और प्रदेश में मौजूदा दौर में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के शहर के रूप में कायम हो चुकी है। यह भी चर्चा है कि यहां की तमाम जन सुविधाओं में सुधार हो गया है तो बिजली 24 घंटे निर्बाध गति से लोगों को प्राप्त हो रही है। पर हकीकत इससे जुदा है। इस शहर में पिछले दो-तीन महीने से बिजली की बेतहाशा कटौती हो रही है। कब आएगी, कब जाएगी, कितने देर रहेगी कोई ठिकाना नहीं है। जुलाई महीने में तो हालत और भी खराब हो गई है। ट्रांसफार्मर जल जा रहे हैं तो उन्हें बदलने में विभाग की हालत खराब हो जा रही है। क्योंकि संख्या खराब ट्रांसफार्मरों की इतनी है उनकी मरम्मत नहीं हो पा रही है और नए ट्रांसफार्मर भी लग नहीं पा रहे हैं। इस सबके पीछे जो सबसे बड़ी वजह निकल कर के आई है वह है 'सौभाग्य योजना'।
नोट--कम्प्लीट विशेष पैकेज...वॉइस ओवर अटैच है।
Body:सौभाग्य योजना क्या है इसे यहां स्पष्ट कर देना जरूरी है यह वह योजना है जो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सपने से जुड़ी हुई है जिसमें निराश्रित निर्बल लोगों को मुफ्त में बिजली का कनेक्शन दिया जाना था इस योजना के तहत काम भी खूब तेजी से हुआ और कनेक्शन भी खूब बांटे गए गोरखपुर मंडल में करीब साढे़ छह लाख कनेक्शन दिए गए जिन्हें बिजली आपूर्ति करने के लिए विभिन्न क्षमता के 49 हजार ट्रांसफार्मरों की जरूरत थी पर यह योजना 31 मार्च 2019 को समाप्त कर दी गई और कार्यदाई संस्थाओं ने जो सामान खरीदा था उसे लगा कर चलते बने लेकिन चुनावी माहौल और कनेक्शन धारियों के दबाव में विभाग ने इन सभी का लोड पुराने ट्रांसफार्मरों पर लाद दिया जिसकी वजह से शहर होते या देहात ट्रांसफार्मर फटने लगे और उपभोक्ताओं की समस्या बढ़ने लगी भीषण गर्मी में बिजली की कटौती ने आम लोगों को ही परेशान नहीं किया सरकारी कार्यालयों में काम करने वाले कर्मचारी भी परेशान थे लेकिन सरकार के खिलाफ आवाज तो जनता ही उठाती है और वह इस विषय पर खूब जमकर अपनी भड़ास निकाली है।
बाइट--जवाहरलाल जायसवाल, स्थानीय नागरिक (पीला कुर्ता)
बाइट--छोटे लाल, स्थानीय नागरिक ( सफेद कुर्ता)
Conclusion:बिजली की कटौती से लोग परेशान हैं तो विभागीय अधिकारियों की माने तो उनकी भी परेशानी बढ़ी हुई है। उन्हें ठेकेदारों का सहयोग नहीं मिल पा रहा तो मौसम भी ट्रांसफार्मरों की मरम्मत में बाधक बना हुआ है। मुख्य अभियंता की माने तो बरसात में हवा में नमी के कारण मरम्मत किए जाने वाले ट्रांसफार्मरों में इंसुलेशन फेल्योर हो जाता है, जिसे ओवन में गर्म करना पड़ता है। ज्यादा खराबी आने की वजह से कार्य की अधिकता हो गई है। इस वजह से ट्रांसफार्मरों को समय से नहीं पहुंचा मिल रहा है। सूत्रों की मानें तो जिले में 63 केवीए ट्रांसफार्मर की कमी है और इन्हीं के जलने की संख्या ज्यादा है। इसलिए हाय तौबा के बीच 100 केवीए के ट्रांसफार्मर को लगाकर विद्युत आपूर्ति को बहाल करने की कोशिश विभाग कर रहा है। मुख्य अभियंता की माने तो 10 अगस्त 2019 तक ऐसी सभी समस्याएं समाप्त हो जाएंगी।
बाइट--देवेंद्र सिंह, चीफ इंजीनियर, विद्युत, गोरखपुर मंडल
क्लोजिंग पीटीसी
मुकेश पाण्डेय
Etv भारत, गोरखपुर
9415875724