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आपराधिक छवि वाले प्रत्याशियों पर चुनाव आयोग ने कसी नकेल

चुनाव आयोग ने लोकसभा चुनाव को लेकर एक बड़ा फैसला किया है. जिसके तहत अब प्रत्याशियों को अपने आपराधिक इतिहास के बारे में जनता को बताना होगा. इसके लिए वह टीवी और समाचार पत्रों की मदद से पूरी चुनावी प्रक्रिया में तीन बार इसकी जानकारी देगा.

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Published : Mar 25, 2019, 11:26 PM IST

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गोरखपुर: चुनावी प्रक्रिया सुधारने में जुटे निर्वाचन आयोग ने लोकसभा चुनाव में आपराधिक इतिहास वाले प्रत्याशियों के सामने समस्या खड़ी कर दी है. इस बार चुनाव में प्रत्याशियों को अपने आपराधिक इतिहास के बारे में जनता को खुद बताना होगा. वह भी पूरी चुनावी प्रक्रिया के दौरान तीन बार. इसके लिए प्रत्याशियों को मीडिया का सहारा लेना होगा. अखबारों में पूरे आपराधिक इतिहास का विवरण छपवाना होगा.

चुनाव आयोग के निर्देश के बारे में बताते जिलाधिकारी.


पूर्व के चुनाव में प्रत्याशियों को नामांकन पत्र भरने के दौरान खुद पर दर्ज मुकदमों का उल्लेख करना पड़ता था, लेकिन इस बार प्रत्याशी को अपने खर्चे से समाचार पत्र और टीवी चैनलों में इस बात की जानकारी प्रकाशित करनी पड़ेगी. इसके बाद चुनाव के खर्चे का विवरण देते समय संबंधित अखबारों की कटिंग जिला निर्वाचन कार्यालय में जमा भी करनी होगी. प्रत्याशियों को नामांकन के दौरान प्रारूप 26 में अपने विरुद्ध लंबित आपराधिक मामलों को दर्शाना होगा.


यही नहीं ऐसे प्रवृत्ति के प्रत्याशियों को अपने बारे में इस तरह की पूरी जानकारी अपने राजनीतिक दल को भी देनी होगी. जिससे हर राजनीतिक दल, प्रत्याशियों के आपराधिक जानकारी को दल की वेबसाइट पर अपलोड कर सकें. निर्वाचन आयोग के ऐसे निर्देश को समाज शास्त्रियों ने लोकतांत्रिक व्यवस्था में उठाया गया, बड़ा ही सकारात्मक कदम बताया है. उन्होंने कहा कि इस व्यवस्था से जहां ऐसे प्रत्याशियों को खुद अपनी स्थिति स्पष्ट करने से विरोधियों के आरोप का सामना नहीं करना पड़ेगा. वहीं लोगों को भी अपना जनप्रतिनिधि चुनने का सही अवसर प्राप्त होगा.


जानकारी देते हुए जिलाधिकारी के विजेंद्र पांडियन ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद इस प्रक्रिया को अपनाने वालों पर पूरी निगरानी होगी. उन्होंने इस मामले से जोनल और सेक्टर मजिस्ट्रेट स्तर के अधिकारियों को भी अवगत करा दिया है.

गोरखपुर: चुनावी प्रक्रिया सुधारने में जुटे निर्वाचन आयोग ने लोकसभा चुनाव में आपराधिक इतिहास वाले प्रत्याशियों के सामने समस्या खड़ी कर दी है. इस बार चुनाव में प्रत्याशियों को अपने आपराधिक इतिहास के बारे में जनता को खुद बताना होगा. वह भी पूरी चुनावी प्रक्रिया के दौरान तीन बार. इसके लिए प्रत्याशियों को मीडिया का सहारा लेना होगा. अखबारों में पूरे आपराधिक इतिहास का विवरण छपवाना होगा.

चुनाव आयोग के निर्देश के बारे में बताते जिलाधिकारी.


पूर्व के चुनाव में प्रत्याशियों को नामांकन पत्र भरने के दौरान खुद पर दर्ज मुकदमों का उल्लेख करना पड़ता था, लेकिन इस बार प्रत्याशी को अपने खर्चे से समाचार पत्र और टीवी चैनलों में इस बात की जानकारी प्रकाशित करनी पड़ेगी. इसके बाद चुनाव के खर्चे का विवरण देते समय संबंधित अखबारों की कटिंग जिला निर्वाचन कार्यालय में जमा भी करनी होगी. प्रत्याशियों को नामांकन के दौरान प्रारूप 26 में अपने विरुद्ध लंबित आपराधिक मामलों को दर्शाना होगा.


यही नहीं ऐसे प्रवृत्ति के प्रत्याशियों को अपने बारे में इस तरह की पूरी जानकारी अपने राजनीतिक दल को भी देनी होगी. जिससे हर राजनीतिक दल, प्रत्याशियों के आपराधिक जानकारी को दल की वेबसाइट पर अपलोड कर सकें. निर्वाचन आयोग के ऐसे निर्देश को समाज शास्त्रियों ने लोकतांत्रिक व्यवस्था में उठाया गया, बड़ा ही सकारात्मक कदम बताया है. उन्होंने कहा कि इस व्यवस्था से जहां ऐसे प्रत्याशियों को खुद अपनी स्थिति स्पष्ट करने से विरोधियों के आरोप का सामना नहीं करना पड़ेगा. वहीं लोगों को भी अपना जनप्रतिनिधि चुनने का सही अवसर प्राप्त होगा.


जानकारी देते हुए जिलाधिकारी के विजेंद्र पांडियन ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद इस प्रक्रिया को अपनाने वालों पर पूरी निगरानी होगी. उन्होंने इस मामले से जोनल और सेक्टर मजिस्ट्रेट स्तर के अधिकारियों को भी अवगत करा दिया है.

Intro:गोरखपुर। चुनाव दर चुनाव 'चुनावी प्रक्रिया' में सुधार करने में जुटा निर्वाचन आयोग 2019 लोकसभा चुनाव में अपने एक सुधार से आपराधिक प्रवृत्ति के प्रत्याशियों के सामने बड़ी समस्या खड़ी कर दिया है। इस बार के चुनाव में इस तरह के प्रत्याशियों को अपने आपराधिक इतिहास के बारे में जनता को खुद बताना होगा। वह भी एक नहीं पूरी चुनावी प्रक्रिया के दौरान तीन बार। इसके लिए ऐसे प्रत्याशियों को मीडिया का सहारा लेना होगा। अखबारों में पूरे आपराधिक इतिहास का विवरण छपवाना होगा। इस मामले में जिले के जिला अधिकारी/ जिला निर्वाचन अधिकारी की पूरी निगरानी और जवाबदेही आयोग तय कर रखी है।


Body:इस मामले की जानकारी देते हुए जिलाधिकारी के विजेंद्र पांडियन ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद इस प्रक्रिया को अपनाने वालों पर पूरी निगरानी होगी। उन्होंने इस मामले से जोनल और सेक्टर मजिस्ट्रेट स्तर के अधिकारियों को भी अवगत करा दिया है। पूर्व के चुनाव में प्रत्याशियों को नामांकन पत्र भरने के दौरान खुद पर दर्ज मुकदमों का उल्लेख करना पड़ता था। लेकिन इस बार प्रत्याशी को अपने खर्चे से समाचार पत्र और टीवी चैनलों में इस बात की जानकारी प्रकाशित करनी पड़ेगी। इसके बाद चुनाव के खर्चे का विवरण देते समय संबंधित अखबारों की कटिंग जिला निर्वाचन कार्यालय में जमा भी करनी होगी। प्रत्याशियों को नामांकन के दौरान प्रारूप 26 में अपने विरुद्ध लंबित आपराधिक मामलों को दर्शाना होगा।

बाइट--के विजेंन्द्र पांडियन, डीएम,गोरखपुर


Conclusion:यही नहीं ऐसे प्रवृत्ति के प्रत्याशियों को अपने बारे में इस तरह की पूरी जानकारी अपने राजनीतिक दल को भी देनी होगी। जिससे हर राजनीतिक दल, प्रत्याशियों के आपराधिक जानकारी को दल की वेबसाइट पर अपलोड कर सकें। निर्वाचन आयोग के ऐसे निर्देश को समाज शास्त्रियों ने लोकतांत्रिक व्यवस्था में उठाया गया बड़ा ही सकारात्मक कदम बताया है उन्होंने कहा कि इस व्यवस्था से जहां ऐसे प्रत्याशियों को खुद अपनी स्थिति स्पष्ट करने से विरोधियों के आरोप का सामना नहीं करना पड़ेगा वहीं लोगों को भी अपना जनप्रतिनिधि चुनने का सही अवसर प्राप्त होगा।

बाइट--प्रो0 मानवेन्द्र प्रताप सिंह, विभागाध्यक्ष, समाज शास्त्र, डीडीयूजीयू

पीटीसी- मुकेश पाण्डेय
Etv भारत, गोरखपुर
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