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कृषि में ड्रोन का बढ़ेगा महत्व, MMMUT के साथ करार करेगा नाबार्ड - importance of drones in agriculture

गोरखपुर के मदन मोहन मालवीय तकनीकी विश्वविद्यालय (MMMUT) के छात्रों ने कृषि आधारित ड्रोन विकसित किया है. नाबार्ड (राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक) खेती में इसके प्रयोग को बढ़ाने के लिए आगे आया है. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी इस तकनीक की तारिफ कर चुके हैं.

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कृषि में ड्रोन का बढ़ेगा महत्व
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Published : Aug 16, 2022, 2:00 PM IST

गोरखपुरः महंगी और कठिन श्रम से जुड़ती जा रही भारतीय कृषि को आसान बनाने के लिए अब ड्रोन के महत्व को बढ़ावा दिया जा रहा है. गोरखपुर के मदन मोहन मालवीय तकनीकी विश्वविद्यालय (MMMUT) के छात्रों ने कृषि आधारित ड्रोन विकसित किया है. जिसकी तकनीकी क्षमता को विज्ञान प्रदर्शनी में गुणवत्ता के साथ महत्त्व मिलने के बाद अब नाबार्ड (राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक) भी विश्वविद्यालय से करार करके कृषि में इसके उपयोग को आगे बढ़ाएगा. नाबार्ड इसके लिए खुद 100 प्रशिक्षणार्थियों का खर्च उठाने जा रहा है. जिससे कृषि क्षेत्र को बड़ा लाभ होगा. पिछले दिनों आयोजित हुए रोजगार मेले में प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी इस तकनीक की जमकर सराहना की थी.

जानकारी के अनुसार मदन मोहन मालवीय प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय की ओर से तैयार किया गया यह एग्रीकल्चर मॉनिटरिंग सिस्टम खेती के लिए बेहद उपयोगी हैं. यही वजह है कि नाबार्ड ने कृषि में ड्रोन के इस्तेमाल को लेकर ड्रोन पायलट और ड्रोन टेक्नीशियन तैयार करने की विश्वविद्यालय से इच्छा जताई है. जिसके आधार पर योजना बनाकर युवाओं को ड्रोन पायलट की ट्रेनिंग दी जाएगी. बीते वर्ष विश्वविद्यालय ने इस तकनीक पर काम किया और ड्रोन आधारित एग्रीकल्चर मॉनीटरिंग सिस्टम को तैयार करने में जब सफलता हासिल की तो उसमें एक कठिनाई इसे किसानों तक आसानी से पहुंचाने की नजर आई. जिसको लेकर विश्वविद्यालय प्रयास कर रहा था.

ये भी पढ़ें- पुरखों को मिले मेडल को सीने से लगाकर घूमते हैं मेरठ के गुलजार

वहीं, इस तकनीक के महत्व को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से जब तारीफ मिली तो नाबार्ड भी खेती में इसके प्रयोग को बढ़ाने के लिए आगे आया है. विश्वविद्यालय ने अपनी इस तकनीक को आगे बढ़ाने के लिए डीजीसीए यानी कि डायरेक्टर जनरल ऑफ सिविल एविएशन कार्यालय में आवेदन कर इसकी ट्रेनिंग देने की अनुमति मांगी है. नाबार्ड भी इसका संज्ञान लेकर कृषि की बेहतरी के लिए जुट गया है.

विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर जे. पी. पांडेय ने कहां है कि ड्रोन पायलट और टेक्नीशियन तैयार करने में नाबार्ड ने विश्वविद्यालय से जो मदद का प्रस्ताव चाहा है. इसका सीधा फायदा कोर्स करने वाली युवाओं को मिलेगा. वह कम खर्च में कोर्स को पूरा करके किसानों के मददगार बनेंगे, जिससे बहुत कम समय में खेती की निगरानी, कीट पतंगों से सुरक्षा और कीटनाशक दवाओं के छिड़काव में किसानों को बड़ी मदद मिलेगी.

एमएमएमयूटी के विशेषज्ञों ने तैयार किया गया यह ड्रोन जिसे एग्रीकल्चर मॉनिटरिंग सिस्टम कहा जाता है. इससे खेती को आसान बनाया जाएगा. इससे किसानों को कम मेहनत और कम खर्च में अधिक फसल पैदा करने में मदद मिलेगी साथ ही आमदनी भी बढ़ेगी. यह सिस्टम आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के जरिए मिट्टी की नमी और उसकी गुणवत्ता की जानकारी भी देगा. किसान मिट्टी की गुणवत्ता जानकार उसके मुताबिक फसल की बुआई कर सकेंगे. सिस्टम कम समय में अधिक क्षेत्र में कीटनाशक का छिड़काव कर देगा.

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गोरखपुरः महंगी और कठिन श्रम से जुड़ती जा रही भारतीय कृषि को आसान बनाने के लिए अब ड्रोन के महत्व को बढ़ावा दिया जा रहा है. गोरखपुर के मदन मोहन मालवीय तकनीकी विश्वविद्यालय (MMMUT) के छात्रों ने कृषि आधारित ड्रोन विकसित किया है. जिसकी तकनीकी क्षमता को विज्ञान प्रदर्शनी में गुणवत्ता के साथ महत्त्व मिलने के बाद अब नाबार्ड (राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक) भी विश्वविद्यालय से करार करके कृषि में इसके उपयोग को आगे बढ़ाएगा. नाबार्ड इसके लिए खुद 100 प्रशिक्षणार्थियों का खर्च उठाने जा रहा है. जिससे कृषि क्षेत्र को बड़ा लाभ होगा. पिछले दिनों आयोजित हुए रोजगार मेले में प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी इस तकनीक की जमकर सराहना की थी.

जानकारी के अनुसार मदन मोहन मालवीय प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय की ओर से तैयार किया गया यह एग्रीकल्चर मॉनिटरिंग सिस्टम खेती के लिए बेहद उपयोगी हैं. यही वजह है कि नाबार्ड ने कृषि में ड्रोन के इस्तेमाल को लेकर ड्रोन पायलट और ड्रोन टेक्नीशियन तैयार करने की विश्वविद्यालय से इच्छा जताई है. जिसके आधार पर योजना बनाकर युवाओं को ड्रोन पायलट की ट्रेनिंग दी जाएगी. बीते वर्ष विश्वविद्यालय ने इस तकनीक पर काम किया और ड्रोन आधारित एग्रीकल्चर मॉनीटरिंग सिस्टम को तैयार करने में जब सफलता हासिल की तो उसमें एक कठिनाई इसे किसानों तक आसानी से पहुंचाने की नजर आई. जिसको लेकर विश्वविद्यालय प्रयास कर रहा था.

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वहीं, इस तकनीक के महत्व को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से जब तारीफ मिली तो नाबार्ड भी खेती में इसके प्रयोग को बढ़ाने के लिए आगे आया है. विश्वविद्यालय ने अपनी इस तकनीक को आगे बढ़ाने के लिए डीजीसीए यानी कि डायरेक्टर जनरल ऑफ सिविल एविएशन कार्यालय में आवेदन कर इसकी ट्रेनिंग देने की अनुमति मांगी है. नाबार्ड भी इसका संज्ञान लेकर कृषि की बेहतरी के लिए जुट गया है.

विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर जे. पी. पांडेय ने कहां है कि ड्रोन पायलट और टेक्नीशियन तैयार करने में नाबार्ड ने विश्वविद्यालय से जो मदद का प्रस्ताव चाहा है. इसका सीधा फायदा कोर्स करने वाली युवाओं को मिलेगा. वह कम खर्च में कोर्स को पूरा करके किसानों के मददगार बनेंगे, जिससे बहुत कम समय में खेती की निगरानी, कीट पतंगों से सुरक्षा और कीटनाशक दवाओं के छिड़काव में किसानों को बड़ी मदद मिलेगी.

एमएमएमयूटी के विशेषज्ञों ने तैयार किया गया यह ड्रोन जिसे एग्रीकल्चर मॉनिटरिंग सिस्टम कहा जाता है. इससे खेती को आसान बनाया जाएगा. इससे किसानों को कम मेहनत और कम खर्च में अधिक फसल पैदा करने में मदद मिलेगी साथ ही आमदनी भी बढ़ेगी. यह सिस्टम आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के जरिए मिट्टी की नमी और उसकी गुणवत्ता की जानकारी भी देगा. किसान मिट्टी की गुणवत्ता जानकार उसके मुताबिक फसल की बुआई कर सकेंगे. सिस्टम कम समय में अधिक क्षेत्र में कीटनाशक का छिड़काव कर देगा.

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