गोरखपुर: डॉ. कफील खान बिहार के मुजफ्फरपुर में चमकी बुखार से पीड़ित बच्चों का इलाज करने में जुटे हैं. बीआरडी मेडिकल कॉलेज में करीब दो साल पूर्व ऑक्सीजन कांड की वजह से 65 बच्चों की हुई मौत के मामले में उन्हें आरोपी बनाया गया था. मौजूदा समय में कोर्ट से बेल मिलने के बाद वह अपने पेशे के माध्यम से समाज सेवा करने में जुटे हैं.
पीड़ितों से मिले डॉ. कफील
- बीआरडी मेडिकल कॉलेज के निलंबित प्रवक्ता डॉ. कफील खान ने मुजफ्फरपुर के एसकेएमसीएच का दौरा किया.
- डॉ. कफील ने पीआईसीयू से लेकर वार्ड में भर्ती बच्चों को देखा और उनके परिजनों से बातचीत की.
- उन्होंने अस्पताल के सुपरिटेंडेंट और बच्चा विभाग के एचओडी से भी मुलाकात की.
- डॉ. कफील ने महामारी का रूप ले चुकी चमकी बुखार के रोक-थाम के विषय पर भी विचार-विमर्श किया.
इस तरह बचा जा सकता है चमकी बुखार से
डॉ. कफील खान ने चमकी बुखार की रोकथाम के लिए मुख्यतः तीन बिन्दु बताए हैं, जिस पर तत्काल कदम उठाने की आवश्यकता है.
1. आईसीयू में बेडों की संख्या 200 करना
- अस्पताल में बच्चों का 14 बेड का पीआईसीयू था, जिसे अभी बढ़ाकर 50 किया गया है.
- अभी भी अस्पताल में 96 बच्चे भर्ती हैं.
- इसका मतलब यह है कि एक बेड पर दो बच्चे हैं.
- यदि इसे बढ़ाकर 200 बेड कर दिया जाए तो सभी बच्चों को राहत मिल सकती है.
2. प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पर डाॅक्टर, दवा और एंबुलेंस की व्यवस्था हो
- प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों की स्थिति को ठीक किया जाना चाहिए और वहां बड़ी संख्या में डाॅक्टर बहाल किए जाने चाहिए.
- यदि तीन घंटे के भीतर बच्चे स्वास्थ्य केंद्र पर पहुंच जाते हैं, तो उन्हें बचाना ज्यादा आसान हो जाएगा.
- केंद्रों पर दवा और एंबुलेंस का भी प्रबंध होना चाहिए.
3. साफ पानी, ग्लूकोज लेवल मेंटेन रखना
- तीसरे सुझाव में कहा कि बीमारी के स्रोत पर हमला किया जाना चाहिए.
- सरकार को इस बात का उपाय करना चाहिए कि दवा का लगातार छिड़काव होता रहे और साफ पानी की व्यवस्था हो.
- यदि बच्चों का ग्लूकोज लेवल मेंटेन कर लिया जाए और इसके लिए भोजन की उचित व्यवस्था हो तो इस महामारी पर रोक लगाई जा सकती है.
डॉ. कफील ने प्रशासन पर लापरवाही का लगाया आरोप
- कफील खान ने कहा कि अब तक 372 बच्चे एसकेएमसीएच में भर्ती हुए हैं, जिसमें से 150 से ज्यादा बच्चों की मौत हो चुकी है.
- मृत्यु की दर 25 प्रतिशत है, जो बेहद खतरनाक है.
- अस्पताल में बच्चों के कुल 21 डाॅक्टर हैं.
- अभी 10 डाॅक्टर को बाहर से बुलाया गया है, जबकि 2-3 बच्चे पर एक डाॅक्टर होना चाहिए.
- आठ घंटे कार्य के हिसाब से कुल 90 डाॅक्टर होने चाहिए.
- पैरामेडिकल स्टाफ या नर्सों की कमी है.
- कुछ दूसरे वार्ड से बुलाए गए हैं, जिसके कारण वहां भी संकट हो गया है.
- आईसीयू का एसी काम नहीं कर रहा था.
- पांच जेनरेटर में से तीन खराब पड़े हुए हैं.
- पीआईसीयू से बच्चे को निकालर दूसरे वार्ड में भेजा जाता है, वहां पंखा तक उपलब्ध नहीं है.
- बच्चे बीमारी से कम और लापरवाही से ज्यादा मर रहे हैं.
- बीमारी तो पता है, लेकिन बुनियादी व्यवस्था नहीं है.
- पीएचसी में न तो बच्चों के डाॅक्टर हैं और न ही एंबुलेंस की सेवा उपलब्ध है.
वहीं, AES (Acute Encephalitis Syndrome) बीमारी से बच्चों को सुरक्षित रखने के लिए इंसाफ मंच और डाक्टर कफील खान ने मुजफ्फरपुर के दामोदरपुर में मेडिकल कैंप का आयोजन किया. इसमें 300 बच्चों को चेकअप के बाद मुफ्त में दवाइयां दी गईं. डाक्टरों की टीम में डाक्टर कफील खान के अलावा डॉक्टर अरशद अंजुम, डॉक्टर एन आजम, डॉक्टर अंजार आलम, डॉक्टर आशीष कुमार भी शामिल थे. इस मौके पर इंसाफ मंच बिहार के उपाध्यक्ष जफर आजम, कामरान रहमानी, एम आजम, आफताब आलम, फहद जमां, तौहीद, तनवीर, फहीम, इरफान दिलकश भी उपस्थित थे.