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जर्जर भवनों की पहचान में जुटा निगम और गोरखपुर जिला प्रशासन

मुरादनगर श्मशान घाट हादसे के बाद प्रदेश सरकार की ओर से जर्जर भवनों के आंकड़े इकट्ठे करने के आदेश दिए गए हैं. ऐसे में गोरखपुर का जिला प्रशासन और नगर निगम भी जर्जर भवनों की पहचान में जुटा हुआ है. हालांकि अभी जर्जर भवनों से जुड़े आंकड़े सामने नहीं आए हैं, लेकिन जिला प्रशासन की ओर से ऐसे भवनों की पहचान तेजी से की जा रही है.

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Published : Jan 21, 2021, 9:30 AM IST

जर्जर भवनों की पहचान
जर्जर भवनों की पहचान

गोरखपुर: जर्जर भवनों के आंकड़े जुटाने के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश के बाद गोरखपुर का जिला और नगर निगम प्रशासन इस काम में तेजी से जुटा हुआ है. इस दौरान जो आंकड़े निगम के पास इकट्ठा हुए हैं, उसे वह मीडिया में अभी जारी नहीं कर रहा. लेकिन पिछले तीन वर्ष के आंकड़े पर गौर करें तो यह आंकड़ा 117 का है. यह आंकड़ें तब जुटाए गए थे, जब 19 जुलाई 2020 को कोतवाली थाना क्षेत्र में एक बारिश की वजह से एक जर्जर मकान गिर गया और उसकी चपेट में आने से दो लोगों की मौत हो गई थी. वहीं एक बार फिर नगर निगम और जिला प्रशासन मुरादनगर श्मशान घाट की घटना के बाद जर्जर भवनों का आकंड़ा जुटा रहा है. लेकिन नगर निगम और जिला प्रशासन इन भवनों में काबिज लोगों को हटा पाता है कि नहीं यह देखने वाली बात होगी.

जर्जर भवनों की पहचान में जुटा प्रशासन.

शहर में जर्जर भवनों की बात करें तो अलीनगर चौक, जाफरा बाजार, हजारीपुर, घंटाघर और छोटे काजीपुर एरिया में ऐसे मकान देखे जा सकते हैं. ईटीवी भारत की जर्जर भवनों को लेकर की गई पड़ताल में जिन मकानों को कवर किया गया है, उनमें अलीनगर चौक, हजारीपुर, छोटे काजीपुर के मकान हैं. यह पूरी तरह से चौराहे और सड़क से आते-जाते समय दिखाई देते हैं. इनमें से कुछ मकानों में लोग रहते हैं तो कुछ में लोग दुकानें चला रहे हैं. सवाल उठता है कि यह जर्जर मकान नगर निगम और जिला प्रशासन के अधिकारियों को भी दिखता होगा फिर इन्हें खाली क्यों नहींकराया जाता. इनकी उम्र सैकड़ों वर्ष से अधिक है और यह जानलेवा दिखते भी हैं.

इस संबंध में ईटीवी भारत की टीम ने निगम के अधिकारियों से सम्पर्क किया, लेकिन वह कुछ बोलने को तैयार नहीं हैं. वहीं जब जिलाधिकारी से इस विषय पर बात की गई तो वह एक एक्सपर्ट की तरह बोले. उनसे जब सवाल हुआ कि कलेक्ट्रेट का भवन भी जर्जर और सैकड़ों साल पुराना है तो उन्होंने कहा कि शासन को प्रस्ताव भेजा जा चुका है, बहुत जल्द धन की स्वीकृति की उम्मीद है. इस बीच उस जगह की तलाश भी पूरी हो जाएगी, जहां अस्थाई तौर पर कलेक्ट्रेट चलेगा.

शहर के इन मुहल्लों में हैं जर्जर भवन

बिल्डिंग लॉ के एक्सपर्ट और सिविल इंजीनियर एसोसिएशन के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष इंजीनियर सतीश सिंह का कहना है कि जो अधिकारी मोहल्लों के मकानों का कर निर्धारित करते हैं, उन्हें जर्जर भवनों की सूची भी देनी चाहिए. इससे खतरें को टाला जा सकता है. लेकिन सरकारी महकमों की कार्यशैली की बात ही निराली है. उन मुहल्लों की सूची इस प्रकार है जहां जर्जर मकान हैं.

अलहदादपुर में 03, माधोपुर में 40, तिवारीपुर में 25, गोरखनाथ में 02, दिलेजाकपुर में 11, धर्मशाला बाजार में 10, दीवान बाजार में 03, इस्माइलपुर में 12, काजीपुर में 01, बसंतपुर में 01, चक्सा हुसैन में 08, हुमायूंपुर में 01 मकान हैं. (यह सभी आंकड़े निगम के तीन साल पुराने हैं)

इनमें से जानकारी के मुताबिक साल 2020 में एक मकान के गिरने की सूचना है, जो 19 जुलाई की घटना रही. फिलहाल ताजे आंकड़े भी निगम जल्द ही जारी करेगा.

गोरखपुर: जर्जर भवनों के आंकड़े जुटाने के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश के बाद गोरखपुर का जिला और नगर निगम प्रशासन इस काम में तेजी से जुटा हुआ है. इस दौरान जो आंकड़े निगम के पास इकट्ठा हुए हैं, उसे वह मीडिया में अभी जारी नहीं कर रहा. लेकिन पिछले तीन वर्ष के आंकड़े पर गौर करें तो यह आंकड़ा 117 का है. यह आंकड़ें तब जुटाए गए थे, जब 19 जुलाई 2020 को कोतवाली थाना क्षेत्र में एक बारिश की वजह से एक जर्जर मकान गिर गया और उसकी चपेट में आने से दो लोगों की मौत हो गई थी. वहीं एक बार फिर नगर निगम और जिला प्रशासन मुरादनगर श्मशान घाट की घटना के बाद जर्जर भवनों का आकंड़ा जुटा रहा है. लेकिन नगर निगम और जिला प्रशासन इन भवनों में काबिज लोगों को हटा पाता है कि नहीं यह देखने वाली बात होगी.

जर्जर भवनों की पहचान में जुटा प्रशासन.

शहर में जर्जर भवनों की बात करें तो अलीनगर चौक, जाफरा बाजार, हजारीपुर, घंटाघर और छोटे काजीपुर एरिया में ऐसे मकान देखे जा सकते हैं. ईटीवी भारत की जर्जर भवनों को लेकर की गई पड़ताल में जिन मकानों को कवर किया गया है, उनमें अलीनगर चौक, हजारीपुर, छोटे काजीपुर के मकान हैं. यह पूरी तरह से चौराहे और सड़क से आते-जाते समय दिखाई देते हैं. इनमें से कुछ मकानों में लोग रहते हैं तो कुछ में लोग दुकानें चला रहे हैं. सवाल उठता है कि यह जर्जर मकान नगर निगम और जिला प्रशासन के अधिकारियों को भी दिखता होगा फिर इन्हें खाली क्यों नहींकराया जाता. इनकी उम्र सैकड़ों वर्ष से अधिक है और यह जानलेवा दिखते भी हैं.

इस संबंध में ईटीवी भारत की टीम ने निगम के अधिकारियों से सम्पर्क किया, लेकिन वह कुछ बोलने को तैयार नहीं हैं. वहीं जब जिलाधिकारी से इस विषय पर बात की गई तो वह एक एक्सपर्ट की तरह बोले. उनसे जब सवाल हुआ कि कलेक्ट्रेट का भवन भी जर्जर और सैकड़ों साल पुराना है तो उन्होंने कहा कि शासन को प्रस्ताव भेजा जा चुका है, बहुत जल्द धन की स्वीकृति की उम्मीद है. इस बीच उस जगह की तलाश भी पूरी हो जाएगी, जहां अस्थाई तौर पर कलेक्ट्रेट चलेगा.

शहर के इन मुहल्लों में हैं जर्जर भवन

बिल्डिंग लॉ के एक्सपर्ट और सिविल इंजीनियर एसोसिएशन के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष इंजीनियर सतीश सिंह का कहना है कि जो अधिकारी मोहल्लों के मकानों का कर निर्धारित करते हैं, उन्हें जर्जर भवनों की सूची भी देनी चाहिए. इससे खतरें को टाला जा सकता है. लेकिन सरकारी महकमों की कार्यशैली की बात ही निराली है. उन मुहल्लों की सूची इस प्रकार है जहां जर्जर मकान हैं.

अलहदादपुर में 03, माधोपुर में 40, तिवारीपुर में 25, गोरखनाथ में 02, दिलेजाकपुर में 11, धर्मशाला बाजार में 10, दीवान बाजार में 03, इस्माइलपुर में 12, काजीपुर में 01, बसंतपुर में 01, चक्सा हुसैन में 08, हुमायूंपुर में 01 मकान हैं. (यह सभी आंकड़े निगम के तीन साल पुराने हैं)

इनमें से जानकारी के मुताबिक साल 2020 में एक मकान के गिरने की सूचना है, जो 19 जुलाई की घटना रही. फिलहाल ताजे आंकड़े भी निगम जल्द ही जारी करेगा.

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