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डीडीयू प्रोफेसर का अनोखा शोध, फाइटोप्लाज्मा से अब नहीं होंगी फसलें तबाह

यूपी के गोरखपुर स्थित दीनदयाल उपाध्याय विश्वविद्यालय की प्रोफेसर ने फसलों को फाइटोप्लाज्मा से होने वाले नुकसान से बचाने के लिए अनोखा शोध किया है. वह स्पेन में होने जा रहे 'फाइटोप्लाज्मा की इंटरनेशनल वर्किंग ग्रुप की मीटिंग' में अपना शोधपत्र प्रस्तुत करने जा रही हैं.

डॉ. स्मृति मल्ल
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Published : Aug 21, 2019, 7:46 PM IST

गोरखपुर: दीनदयाल उपाध्याय विश्वविद्यालय के वनस्पति विज्ञान विभाग में सहायक प्रो. डॉ स्मृति मल्ल आने वाले दिनों में वनस्पतियों और फसलों को फाइटोप्लाज्मा से होने वाले नुकसान से बचाने में कामयाब होती नजर आएंगी. फाइटोप्लाज्मा की चपेट में आने से प्रभावित हो रहे उत्पादन को नियंत्रित करने और फसलों को बचाने के क्षेत्र में पिछले 10 वर्षों से लगातार शोध कर रही हैं और वह 8 से 12 सितंबर तक स्पेन में होने जा रहे 'फाइटोप्लाज्मा की इंटरनेशनल वर्किंग ग्रुप की मीटिंग' में अपना शोधपत्र प्रस्तुत करने जा रही हैं, जो इस क्षेत्र में सुधार के कई आयामों को गढ़ने में मदद करेगा.

फाइटोप्लाज्मा से अब नहीं होंगी फसलें तबाह, प्रो. ने की खोज.

पढ़ें:गोरखपुर विश्वविद्यालय: शिक्षक भर्ती में अपनों पर बरसी कृपा, पूर्व कुलपति ने किया खुलासा


डॉ. स्मृति मल्ल 6 सितंबर को जाएंगी स्पेन

डॉ स्मृति मल्ल 6 सितंबर को स्पेन के लिए रवाना होंगी और वह वहां 6 दिन तक रुकेगी. वहीं इसी दौरान वह विभिन्न कॉन्फ्रेंस में भी भाग लेंगी और 2 विश्वविद्यालयों का भी विजिट करेंगी.


ईटीवी भारत से बातचीत करते हुए डॉ स्मृति मल्ल ने बताया कि फाइटोप्लाज्मा एक ऐसा लक्षण है, जो वनस्पतियों और पौधों की उत्पादन क्षमता को प्रभावित करता है. उन्होंने कहा कि मौजूदा दौर में इसका सबसे ज्यादा असर गन्ना, तिल, बैगन और नारियल के उत्पादन पर पड़ रहा है, डॉ स्मृति मल्ल ने बताया कि इसमें कमी लाने के लिए उनका शोध अब मुकाम हासिल कर चुका है. साथ ही इंटरनेशनल वर्किंग ग्रुप की मीटिंग से जो इंटरनेशनल तकनीकी और शोध एक्सचेंज होगी, उसके आधार पर भारत में फसलों में आ रही समस्या को कम करने में कामयाबी मिलेगी.

डॉ मल्ल को को मिल चुका है 'यूजीसी स्टार्टअप ग्रांट'

ईटीवी भारत से बातचीत करते हुए डीडीयू के पीआरओ, प्रो. अजय शुक्ला ने बताया कि डॉ मल्ल को जून 2018 में यूजीसी स्टार्टअप ग्रांट नई दिल्ली में मिल चुका है, साथ ही एसईआरबी यंग साइंटिस्ट का प्रोजेक्ट भी इन्होंने ही पूरा किया है.


क्या है फाइटोप्लाज्मा?
पौधों में यह रोग कई अलग-अलग लक्षण ले सकता है. यह 200 से अधिक पौधों की प्रजातियों, दोनों मोनोकोट और डाईकोट्स को प्रभावित कर देता है. कीट वैक्टर अक्सर लीफहापर्स होते हैं और इस तरह की बीमारियों के कारण बनते हैं. फाइटोप्लाज्मा पौधे और कीड़ों को संक्रमित करता है.

गोरखपुर: दीनदयाल उपाध्याय विश्वविद्यालय के वनस्पति विज्ञान विभाग में सहायक प्रो. डॉ स्मृति मल्ल आने वाले दिनों में वनस्पतियों और फसलों को फाइटोप्लाज्मा से होने वाले नुकसान से बचाने में कामयाब होती नजर आएंगी. फाइटोप्लाज्मा की चपेट में आने से प्रभावित हो रहे उत्पादन को नियंत्रित करने और फसलों को बचाने के क्षेत्र में पिछले 10 वर्षों से लगातार शोध कर रही हैं और वह 8 से 12 सितंबर तक स्पेन में होने जा रहे 'फाइटोप्लाज्मा की इंटरनेशनल वर्किंग ग्रुप की मीटिंग' में अपना शोधपत्र प्रस्तुत करने जा रही हैं, जो इस क्षेत्र में सुधार के कई आयामों को गढ़ने में मदद करेगा.

फाइटोप्लाज्मा से अब नहीं होंगी फसलें तबाह, प्रो. ने की खोज.

पढ़ें:गोरखपुर विश्वविद्यालय: शिक्षक भर्ती में अपनों पर बरसी कृपा, पूर्व कुलपति ने किया खुलासा


डॉ. स्मृति मल्ल 6 सितंबर को जाएंगी स्पेन

डॉ स्मृति मल्ल 6 सितंबर को स्पेन के लिए रवाना होंगी और वह वहां 6 दिन तक रुकेगी. वहीं इसी दौरान वह विभिन्न कॉन्फ्रेंस में भी भाग लेंगी और 2 विश्वविद्यालयों का भी विजिट करेंगी.


ईटीवी भारत से बातचीत करते हुए डॉ स्मृति मल्ल ने बताया कि फाइटोप्लाज्मा एक ऐसा लक्षण है, जो वनस्पतियों और पौधों की उत्पादन क्षमता को प्रभावित करता है. उन्होंने कहा कि मौजूदा दौर में इसका सबसे ज्यादा असर गन्ना, तिल, बैगन और नारियल के उत्पादन पर पड़ रहा है, डॉ स्मृति मल्ल ने बताया कि इसमें कमी लाने के लिए उनका शोध अब मुकाम हासिल कर चुका है. साथ ही इंटरनेशनल वर्किंग ग्रुप की मीटिंग से जो इंटरनेशनल तकनीकी और शोध एक्सचेंज होगी, उसके आधार पर भारत में फसलों में आ रही समस्या को कम करने में कामयाबी मिलेगी.

डॉ मल्ल को को मिल चुका है 'यूजीसी स्टार्टअप ग्रांट'

ईटीवी भारत से बातचीत करते हुए डीडीयू के पीआरओ, प्रो. अजय शुक्ला ने बताया कि डॉ मल्ल को जून 2018 में यूजीसी स्टार्टअप ग्रांट नई दिल्ली में मिल चुका है, साथ ही एसईआरबी यंग साइंटिस्ट का प्रोजेक्ट भी इन्होंने ही पूरा किया है.


क्या है फाइटोप्लाज्मा?
पौधों में यह रोग कई अलग-अलग लक्षण ले सकता है. यह 200 से अधिक पौधों की प्रजातियों, दोनों मोनोकोट और डाईकोट्स को प्रभावित कर देता है. कीट वैक्टर अक्सर लीफहापर्स होते हैं और इस तरह की बीमारियों के कारण बनते हैं. फाइटोप्लाज्मा पौधे और कीड़ों को संक्रमित करता है.

Intro:गोरखपुर। दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय के वनस्पति विज्ञान विभाग में सहायक आचार्य डॉ स्मृति मल्ल आने वाले दिनों में वनस्पतियों और फसलों को 'फाइटोप्लाजमा' से होने वाले नुकसान से बचाने में कामयाब होती नजर आएंगी। फाइटोप्लाजमा की चपेट में आने से प्रभावित हो रहे उत्पादन को नियंत्रित करने और फसलों को बचाने के क्षेत्र में पिछले 10 वर्षों से लगातार शोध कर रही डॉक्टर स्मृति मल्ल इस क्षेत्र में काफी आगे निकल चुकी हैं। वह 8 से 12 सितंबर तक 'वेलेंशिया स्पेन' में होने जा रहे हैं 'फाइटोप्लाजमा की इंटरनेशनल वर्किंग ग्रुप की मीटिंग' में अपना शोधपत्र प्रस्तुत करने जा रही हैं जो इस क्षेत्र में सुधार के कई आयामों को गढ़ने में मदद करेगा।

नोट--कम्प्लीट पैकेज, वॉइस ओवर अटैच है।


Body:डॉ स्मृति मल्ल 6 सितंबर को स्पेन के लिए रवाना हो जाएंगी जहां वह 6 दिन तक रुकेगी और विभिन्न कान्फ्रेंस में भाग लेंगी। इस दौरान वह 2 विश्वविद्यालयों का भी विजिट करेंगी। ईटीवी भारत से एक्सकलुसिव बातचीत में उन्होंने कहा कि फाइटोप्लाजमा एक ऐसा लक्षण है जो वनस्पतियों और पौधों की उत्पादन क्षमता को प्रभावित करता है। उन्होंने कहा कि मौजूदा दौर में इसका सबसे ज्यादा असर गन्ने के साथ तिल, बैगन और नारियल के उत्पादन तो पड़ ही रहा है, तमाम और फसलें जकड़ में हैं। उन्होंने कहा कि इसमें कमी लाने के लिए उनका शोध अब मुकाम हासिल कर चुका है। साथ ही इंटरनेशनल वर्किंग ग्रुप की मीटिंग से जो इंटरनेशनल तकनीकी और शोध एक्सचेंज होगी उसके आधार पर भारत में फसलों में आ रही समस्या को कम करने में कामयाबी मिलेगी।

बाइट--डॉ स्मृति मल्ल, सहायक आचार्य, वनपस्ति विज्ञान विभाग, डीडीयू
बाइट--प्रो0 अजय शुक्ला, पीआरओ, डीडीयू


Conclusion:डॉ मल्ल को जून 2018 में यूजीसी स्टार्टअप ग्रांट नई दिल्ली से मिल चुका है साथ ही एसईआरबी यंग साइंटिस्ट का प्रोजेक्ट भी इन्होंने किया है। इनके इस बुलावे पर विभाग के शिक्षकों के साथ जनसंपर्क अधिकारी प्रो0 अजय कुमार शुक्ल ने हर्ष व्यक्त किया है और कहा कि यह यह गौरव का विषय है।

बाइट--प्रो0 अजय शुक्ला, पीआरओ, डीडीयू

क्या है फाइटोप्लाज्मा?...
पौधों में यह रोग कई अलग-अलग लक्षण ले सकता है।यह 200 से अधिक पौधों की प्रजातियों, दोनों मोनोकोट और डाईकोट्स को प्रभावित कर देता है। कीट वैक्टर अक्सर लीफहापर्स होते हैं और इस तरह की बीमारियों के कारण बनते हैं। फाइटोप्लाजमा पौधे और कीड़ों को संक्रमित करता है।

मुकेश पाण्डेय
Etv भारत, गोरखपुर
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