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गोरखपुर जिला अस्पताल की खुली पोल, दो महीने से बंद है सीटी स्कैन मशीन

गोरखपुर जिला अस्पताल में स्वास्थ्य व्यवस्थाओं की पोल (Negligence in gorakhpur district hospital) खुल गई है. करीब दो महीने से अस्पताल में सीटी स्कैन मशीन खराब पड़ी है. लेकिन, अस्पताल प्रशासन का इस तरफ कोई ध्यान नहीं है. इससे मरीजों को जांच कराने के लिए दर-दर भटकना पड़ रहा है. ईटीवी भारत की टीम ने मौके पर पहुंचकर मरीजों और डॉक्टरों से इस बारे में बातचीत की है.

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Published : Oct 31, 2022, 1:12 PM IST

गोरखपुर: जिला अस्पताल (Gorakhpur District Hospital) से लापरवाही का मामला सामने आया है. मरीजों को सीटी स्कैन की सुविधा नहीं मिल पा रही है. करीब दो महीनों से यहां सीटी स्कैन की मशीन खराब पड़ी है, जिसे अभी तक ठीक नहीं किया गया है.

इससे अस्पताल में आने वाले ऐसे मरीजों को डॉक्टरों के परामर्श के बाद भी सीटी स्कैन (CT scan machine failure for two month in Gorakhpur) की सुविधा नहीं मिल पा रही है. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से लेकर स्वास्थ्य मंत्री जिले का दौरा करते हैं. इसके साथ ही जिले में बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं होने का दावा भी करते हैं. लेकिन, इस मशीन के खराब होने के सूचना स्थानीय स्वास्थ्य प्रशासन से लेकर शासन तक थी. उसके बाद भी इसे ठीक नहीं किया जा सका. इससे कई मरीजों को परेशान होना पड़ रहा है. कुछ कमजोर वर्ग के मरीजों का इलाज सरकारी अस्पताल एक अनुमान के हिसाब से हो रहा है. वहीं, कुछ सक्षम मरीज प्राइवेट हॉस्पीटल में जांच कराने के लिए मजबूर हैं. ईटीवी भारत की टीन ने अस्पताल पहुंच कर मरीजों और डॉक्टरों से इस संबंध में बातचीत करके जानकारी ली. देखिए खास रिपोर्ट...

जानकारी देते पुलिसकर्मी, मरीज और डॉक्टर


पढ़ें- प्रोफेसर विनय पाठक पर भ्रष्टाचार का आरोप, 15 प्रतिशत कमीशन न देने पर धमकाया

जिला अस्पताल में कई ऐसे मरीज सिटी स्कैन सेंटर आते हैं, जिनके सिर में गंभीर चोट लगी है. वहीं, कोई सिर और आंख की अन्य समस्या से परेशान था. इन मरीजों की जांच के लिए सीटी स्कैन मशीन का होना जरूरी है. लेकिन, ऐसे मरीज यहां से निराश ही लौट जाते हैं. इससे भी बड़ी समस्या पुलिस महकमे को झेलनी पड़ रही है. दुर्घटना और मारपीट के शिकार हुए लोगों का मेडिकल सरकारी अस्पताल में ही होना तय होता है. पुलिस अपने मेडिकल रिकॉर्ड में प्राइवेट अस्पताल की किसी भी जांच रिपोर्ट को स्वीकार नहीं करती है. ऐसे लोगों को जब पुलिस के विभिन्न थानों से उनके सिपाही जांच कराने के लिए अस्पताल लेकर आते हैं, तो वह भी निराश होकर लौटते हैं. अपनी इस समस्या को पुलिसकर्मियों के साथ आम लोगों ने ईटीवी भारत के साथ शेयर की है.

पुलिसकर्मियों ने बताया कि वह थाने से अस्पताल आते हैं. लेकिन, यहां जांच होती ही नहीं है और कोई सुनवाई भी नहीं होती है. पीड़ित के मामले में एफआईआर में धाराएं बढ़ाने और जांच को आगे बढ़ाने में रिपोर्ट के अभाव से दिक्कत आती है. इस संबंध में जिला अस्पताल के एसआईसी डॉ. राजेन्द्र ठाकुर ने बताया कि दो महीने से सीटी स्कैन मशीन खराब होने से जांच में परेशानी आती है. इंजीनियर इस मशीन को ठीक करने में जुटे हैं. उन्होंने उम्मीद जताई है कि एक से दो दिन में यह समस्या दूर हो जाएगी.


पढ़ें- आगरा में निर्माणाधीन एलिवेटेड मेट्रो ट्रैक से 30 फीट की ऊंचाई से एक कुंतल का जैक गिरा

गोरखपुर: जिला अस्पताल (Gorakhpur District Hospital) से लापरवाही का मामला सामने आया है. मरीजों को सीटी स्कैन की सुविधा नहीं मिल पा रही है. करीब दो महीनों से यहां सीटी स्कैन की मशीन खराब पड़ी है, जिसे अभी तक ठीक नहीं किया गया है.

इससे अस्पताल में आने वाले ऐसे मरीजों को डॉक्टरों के परामर्श के बाद भी सीटी स्कैन (CT scan machine failure for two month in Gorakhpur) की सुविधा नहीं मिल पा रही है. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से लेकर स्वास्थ्य मंत्री जिले का दौरा करते हैं. इसके साथ ही जिले में बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं होने का दावा भी करते हैं. लेकिन, इस मशीन के खराब होने के सूचना स्थानीय स्वास्थ्य प्रशासन से लेकर शासन तक थी. उसके बाद भी इसे ठीक नहीं किया जा सका. इससे कई मरीजों को परेशान होना पड़ रहा है. कुछ कमजोर वर्ग के मरीजों का इलाज सरकारी अस्पताल एक अनुमान के हिसाब से हो रहा है. वहीं, कुछ सक्षम मरीज प्राइवेट हॉस्पीटल में जांच कराने के लिए मजबूर हैं. ईटीवी भारत की टीन ने अस्पताल पहुंच कर मरीजों और डॉक्टरों से इस संबंध में बातचीत करके जानकारी ली. देखिए खास रिपोर्ट...

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जिला अस्पताल में कई ऐसे मरीज सिटी स्कैन सेंटर आते हैं, जिनके सिर में गंभीर चोट लगी है. वहीं, कोई सिर और आंख की अन्य समस्या से परेशान था. इन मरीजों की जांच के लिए सीटी स्कैन मशीन का होना जरूरी है. लेकिन, ऐसे मरीज यहां से निराश ही लौट जाते हैं. इससे भी बड़ी समस्या पुलिस महकमे को झेलनी पड़ रही है. दुर्घटना और मारपीट के शिकार हुए लोगों का मेडिकल सरकारी अस्पताल में ही होना तय होता है. पुलिस अपने मेडिकल रिकॉर्ड में प्राइवेट अस्पताल की किसी भी जांच रिपोर्ट को स्वीकार नहीं करती है. ऐसे लोगों को जब पुलिस के विभिन्न थानों से उनके सिपाही जांच कराने के लिए अस्पताल लेकर आते हैं, तो वह भी निराश होकर लौटते हैं. अपनी इस समस्या को पुलिसकर्मियों के साथ आम लोगों ने ईटीवी भारत के साथ शेयर की है.

पुलिसकर्मियों ने बताया कि वह थाने से अस्पताल आते हैं. लेकिन, यहां जांच होती ही नहीं है और कोई सुनवाई भी नहीं होती है. पीड़ित के मामले में एफआईआर में धाराएं बढ़ाने और जांच को आगे बढ़ाने में रिपोर्ट के अभाव से दिक्कत आती है. इस संबंध में जिला अस्पताल के एसआईसी डॉ. राजेन्द्र ठाकुर ने बताया कि दो महीने से सीटी स्कैन मशीन खराब होने से जांच में परेशानी आती है. इंजीनियर इस मशीन को ठीक करने में जुटे हैं. उन्होंने उम्मीद जताई है कि एक से दो दिन में यह समस्या दूर हो जाएगी.


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