गोरखपुर: पूर्वांचल के गोरखपुर, देवरिया, कुशीनगर समेत कई जिले तस्करी के सोने को खपाए जाने के बड़े केंद्र बन गए हैं. यह खुलासा डीआरआई (राजस्व खुफिया निदेशालय) की जांच पड़ताल में निकल कर सामने आया है. हाल में पकड़े गए दो मामलों की तह में जाने के बाद एक लंबे समय के अंतराल पर पूर्वांचल में इस तरह के सोने को खपाने की कवायद की गई है. 2019 से लेकर 2023 के बीच करीब 8 बड़े मामले लखनऊ से लेकर इस क्षेत्र में डीआरआई ने पकड़ा है. यही वजह है कि सोने के बड़े कारोबारियों समेत छोटी बाजारों में भी सोने के कारोबार करने वालों पर अब इसकी नजर पैनी हो गई है.
तस्करों की टीम जिससे डीआरआई ने सबूत पाए हैं, उस पर भी निगरानी बढ़ी है. वहीं, सोने के अलावा विदेशी और प्रतिबंधित सिगरेट की भी बड़ी खेप डीआरआई ने पकड़ी है. कस्टम की एक स्पेशल खुफिया जांच एजेंसी के रूप में काम करने वाली इस संस्था से जुड़े अधिकारी अपनी पहचान तो छिपा ले जाते हैं. लेकिन, कार्रवाइयों को सामने लाने से ऐसे तस्कर और व्यापार के नाम पर काला धंधा करने वाले उजागर होते हैं.
गोरखपुर स्थित डीआरआई कार्यालय को विभिन्न स्रोतों से ऐसे काले कारनामों की जानकारी मिलती है तो वह जाल बिछाकर ऐसे सामानों की बरामदगी करते हैं, जो प्रतिबंधित और टैक्स चोरी से जुड़ा हुआ होता है. यह भारत सरकार की पहली ऐसी एजेंसी है जिसकी शाखाएं विदेशों में भी कार्यरत हैं. देश में बड़े स्तर पर टैक्स चोरी करने वालों का पर्दाफाश कर टैक्स दिलाती है. विभागीय सूत्रों के अनुसार, नेपाल के रास्ते थाईलैंड, बैंकाक और सिंगापुर से सोना पहुंचता है. अधिक लाभ के चक्कर में बड़े सोने के कारोबारी भी इसमें शामिल हुए हैं. वर्ष 2023 में गोरखपुर क्षेत्र में देवरिया रेलवे स्टेशन से एक करोड़ 31 लाख के सोने के 17 बिस्किट पकड़े गए. वहीं, तारामंडल क्षेत्र में तस्कर के पास से 4 करोड़ की बरामदगी डीआरआई की टीम ने की.
वर्ष 2022 का सबसे बड़ा मामला बांग्लादेश से यहां दिसंबर में पहुंचा. करीब 1.4 किलोग्राम सोना इस टीम ने पकड़ा. जनवरी 2023 में कोलकाता एयरपोर्ट पर गोरखपुर आने वाले व्यक्ति से 200 ग्राम सोने के बिस्किट उसके मोजे से बरामद किए गए थे. पकड़ में आए कुछ आरोपी जेल भी गए. लेकिन, उनका नेटवर्क अभी संचालित हो रहा है. इसके साथ ही तस्कर बेशकीमती सामानों की तस्करी भी कर रहे हैं. इसमें कोरिया का बना हुआ प्रतिबंधित सिगरेट यहां पर टैक्स चोरी करने के साथ लाया गया था. इसकी बड़ी खेप टीम ने पकड़ी.
यह कहना गलत ना होगा कि तस्करी के सोने से इस क्षेत्र का सर्राफा कारोबार खूब फल फूल रहा है. लेकिन, जब सूचना सटीक मिलती है और उसका परीक्षण भी डीआरआई करने में सफल हो जाती है, तभी छापेमारी करती है. उसकी यह कार्रवाई सफल भी होती है. उसका कार्रवाई का दायरा गोरखपुर से लेकर देश का कोई भी हिस्सा हो सकता है. बशर्ते उसका सही इनपुट उसके पास होना चाहिए. कुछ घटनाओं का यहां जिक्र करें तो साफ पता चलेगा कि किस तरह से सोने की बड़ी खेप यहां तस्करी के माध्यम से पहुंचाई जा रही है.
6 मार्च 2020 को बाराबंकी में 4 किलो सोने के साथ 5 लोगों को हिरासत में लिया गया था. वर्ष 2022 में बिहार में एक सूडानी व्यक्ति से 37 किलो सोना बरामद हुआ था. इसी वर्ष गोरखपुर के व्यापारी से ढाई किलो सोना डीआरआई की टीम ने बरामद किया. दिसंबर 2022 में गुवाहाटी से मुंबई जा रही ट्रेन में एक व्यक्ति से 600 ग्राम सोना गोरखपुर रेलवे स्टेशन पर बरामद हुआ. दिसंबर 2022 में तारामंडल क्षेत्र में एक व्यक्ति के पास से सवा किलो सोना बरामद करने में यह टीम सफल रही. वर्ष 2020 में गोरखपुर में 12 किलो सोना दो अलग-अलग जगहों से राजस्व खुफिया निदेशालय की टीम ने पकड़ा.
इसी प्रकार वर्ष 2019 में लखनऊ से 1 किलो सोना और तीन करोड़ विदेशी रुपये बरामद किए गए थे. डीआरआई की इस कार्रवाई में पूरी गोपनीयता बरती जाती है. स्थानीय पुलिस भी इसकी भनक नहीं पाती. लेकिन, गोरखपुर बिहार और नेपाल की सीमा से सटे होने की वजह से तस्करों का महफूज ठिकाना बनता जा रहा है. डीआरआई के रडार पर कई बड़े सर्राफा कारोबारी जहां है, वहीं ग्रामीण क्षेत्रों में संचालित होने वाली कुछ दुकानें इनकी नजर पर हैं. सूचना पक्की और जांच-पड़ताल पूरी हुई तो अभी और भी कार्रवाई देखने को मिलेगी.
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