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इंग्लैंड के पेंशनरों को गोरखपुर से फोन कॉल कर ठग रहे थे साइबर ठग, गिरफ्तार - गोरखपुर की खबरें

गोरखपुर पुलिस ने साइबर ठगों के बड़े गैंग का खुलासा किया है. चलिए जानते हैं इसके बारे में.

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Published : Aug 19, 2023, 9:12 AM IST

Updated : Aug 19, 2023, 11:06 AM IST

पुलिस ने दी यह जानकारी.

गोरखपुर: गोरखपुर पुलिस ने साइबर ठगों के बड़े गैंग का खुलासा किया है. ये साइबर ठग गोरखपुर से फोन कॉल के जरिए इंग्लैंड के लोगों के साथ ठगी को अंजाम दे रहे थे. इनमें ज्यादातर इंग्लैंड के पेंशनर्स थे. स्थानीय और साइबर पुलिस ने इस गैंग का भंडाफोड़ करते हुए आठ लोगों को गिरफ्तार कर जेल भेजा है. गोरखपुर पुलिस ने लोगों से फर्जी कॉल से सावधान रहने की अपील की है. गैंग के दो सदस्य लंदन में बताए जा रहे हैं. उनकी भी पुलिस को तलाश है.

शुक्रवार की शाम इन जालसाजों की गिरफ्तारी का वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक डॉ. गौरव ग्रोवर ने प्रेस वार्ता के माध्यम से खुलासा किया. उन्होंने बताया कि जब यूनाइटेड किंगडम में सुबह हो जाने के बाद गोरखपुर के बेतियाहाता में स्थित यह कॉल सेंटर खुलता था. ठगी के शिकार से गिरोह के सदस्य तीन बार बात करते थे. पहले इंटरनेट सेवा प्रदाता कंपनी फिर नार्ड वीपीएन यानी कि इंटरनेट को सुरक्षित बनाने वाली कंपनी का कर्मचारी बनकर बात करते थे. वह इनसे इंटरनेट की स्पीड पूछने के बाद सही कराने का भरोसा देकर फोन काट देते थे.

एसएसपी ने कहा कि कुछ देर बाद नेशनल क्राइम एजेंसी/ एंटी फ्रॉड स्क्वाड का अधिकारी बनकर यह लोग फोन करते थे. जालसाजी होने की जानकारी होते हुए आरोपित को पकड़ने के लिए खाते में रुपए भेजने का दबाव भी बनाते थे जिससे लोग झांसे में आकर अगर रुपए भेज देते तो उसे तुरंत वह रकम यह जालसाज कोलकाता में निकाल दिया करते थे.

पकड़े गए गिरोह के कुल आठ सदस्यों में सरगना अनिक दत्ता, आकाश गुप्ता से एसएसपी और एसपी सिटी कृष्ण कुमार विश्नोई ने करीब 3 घंटे तक पूछताछ की. दोनों ने बताया कि लंदन में रहने वाले जुनैद और अश्वनी यूके की इंटरनेट सेवा प्रदाता कंपनी ओपन रिच के उपभोक्ता का, मोबाइल नंबर और बैंक खाता नंबर उपलब्ध कराते थे.कोलकाता में रहने वाले आदित्य मिश्रा और विनोद यह डाटा बेतियाहाता स्थित कॉल सेंटर पर भेजते थे. इसके बाद कॉल सेंटर के कर्मचारी एक-एक कर सभी नंबरों पर इंटरनेट कॉल के जरिए बात करते थे और संबंधित व्यक्ति को अपने जाल में फंसाते थे.


एसएसपी ने बताया कि आरोपितों के कब्जे से मिले लैपटॉप और अन्य दस्तावेजों की छानबीन करने पर, साइबर थाना पुलिस को कई अन्य और अहम जानकारियां हाथ लगी हैं. उन्होंने कहा कि जालसाजी का यह भंडाफोड़ कॉल सेंटर में काम करने वाले एक ईमानदार कर्मचारी की वजह से संभव हो पाया है. उसकी जानकारी पर करीब 3 माह तक निगरानी के साथ इस पर जांच की गई और जब इसकी पुष्टि हुई तो, शुक्रवार को छापा मारा गया और इस अंतरराष्ट्रीय गिरोह का पर्दाफाश हुआ.

दोपहर 1:00 बजे के करीब यह कार्यालय खुलता था. भारत का समय यूनाइटेड किंगडम से साढे चार घंटे आगे है. वहां सुबह के 8:30 बजने पर जालसाज दोपहर में 1:00 बजे अपना कार्यालय खोलकर सक्रिय हो जाते थे. एक सप्ताह में करीब 10 हजार फोन नंबरों पर यह बात करते थे. एसएसपी ने बताया है कि लंदन में रहने वाले जुनैद और अश्वनी ही गिरोह के सदस्यों को सभी जानकारी उपलब्ध कराते थे. बैंक खाते में रुपए ट्रांसफर करवाते थे. इन आरोपितों के विरुद्ध लुक आउट सर्कुलर जारी किया जाएगा.

ये भी पढ़ेंः Ghosi Assembly By-Election: अरविंद राजभर समेत 6 उम्मीदवारों का नामांकन रद, ओपी राजभर लगाया गंभीर आरोप

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पुलिस ने दी यह जानकारी.

गोरखपुर: गोरखपुर पुलिस ने साइबर ठगों के बड़े गैंग का खुलासा किया है. ये साइबर ठग गोरखपुर से फोन कॉल के जरिए इंग्लैंड के लोगों के साथ ठगी को अंजाम दे रहे थे. इनमें ज्यादातर इंग्लैंड के पेंशनर्स थे. स्थानीय और साइबर पुलिस ने इस गैंग का भंडाफोड़ करते हुए आठ लोगों को गिरफ्तार कर जेल भेजा है. गोरखपुर पुलिस ने लोगों से फर्जी कॉल से सावधान रहने की अपील की है. गैंग के दो सदस्य लंदन में बताए जा रहे हैं. उनकी भी पुलिस को तलाश है.

शुक्रवार की शाम इन जालसाजों की गिरफ्तारी का वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक डॉ. गौरव ग्रोवर ने प्रेस वार्ता के माध्यम से खुलासा किया. उन्होंने बताया कि जब यूनाइटेड किंगडम में सुबह हो जाने के बाद गोरखपुर के बेतियाहाता में स्थित यह कॉल सेंटर खुलता था. ठगी के शिकार से गिरोह के सदस्य तीन बार बात करते थे. पहले इंटरनेट सेवा प्रदाता कंपनी फिर नार्ड वीपीएन यानी कि इंटरनेट को सुरक्षित बनाने वाली कंपनी का कर्मचारी बनकर बात करते थे. वह इनसे इंटरनेट की स्पीड पूछने के बाद सही कराने का भरोसा देकर फोन काट देते थे.

एसएसपी ने कहा कि कुछ देर बाद नेशनल क्राइम एजेंसी/ एंटी फ्रॉड स्क्वाड का अधिकारी बनकर यह लोग फोन करते थे. जालसाजी होने की जानकारी होते हुए आरोपित को पकड़ने के लिए खाते में रुपए भेजने का दबाव भी बनाते थे जिससे लोग झांसे में आकर अगर रुपए भेज देते तो उसे तुरंत वह रकम यह जालसाज कोलकाता में निकाल दिया करते थे.

पकड़े गए गिरोह के कुल आठ सदस्यों में सरगना अनिक दत्ता, आकाश गुप्ता से एसएसपी और एसपी सिटी कृष्ण कुमार विश्नोई ने करीब 3 घंटे तक पूछताछ की. दोनों ने बताया कि लंदन में रहने वाले जुनैद और अश्वनी यूके की इंटरनेट सेवा प्रदाता कंपनी ओपन रिच के उपभोक्ता का, मोबाइल नंबर और बैंक खाता नंबर उपलब्ध कराते थे.कोलकाता में रहने वाले आदित्य मिश्रा और विनोद यह डाटा बेतियाहाता स्थित कॉल सेंटर पर भेजते थे. इसके बाद कॉल सेंटर के कर्मचारी एक-एक कर सभी नंबरों पर इंटरनेट कॉल के जरिए बात करते थे और संबंधित व्यक्ति को अपने जाल में फंसाते थे.


एसएसपी ने बताया कि आरोपितों के कब्जे से मिले लैपटॉप और अन्य दस्तावेजों की छानबीन करने पर, साइबर थाना पुलिस को कई अन्य और अहम जानकारियां हाथ लगी हैं. उन्होंने कहा कि जालसाजी का यह भंडाफोड़ कॉल सेंटर में काम करने वाले एक ईमानदार कर्मचारी की वजह से संभव हो पाया है. उसकी जानकारी पर करीब 3 माह तक निगरानी के साथ इस पर जांच की गई और जब इसकी पुष्टि हुई तो, शुक्रवार को छापा मारा गया और इस अंतरराष्ट्रीय गिरोह का पर्दाफाश हुआ.

दोपहर 1:00 बजे के करीब यह कार्यालय खुलता था. भारत का समय यूनाइटेड किंगडम से साढे चार घंटे आगे है. वहां सुबह के 8:30 बजने पर जालसाज दोपहर में 1:00 बजे अपना कार्यालय खोलकर सक्रिय हो जाते थे. एक सप्ताह में करीब 10 हजार फोन नंबरों पर यह बात करते थे. एसएसपी ने बताया है कि लंदन में रहने वाले जुनैद और अश्वनी ही गिरोह के सदस्यों को सभी जानकारी उपलब्ध कराते थे. बैंक खाते में रुपए ट्रांसफर करवाते थे. इन आरोपितों के विरुद्ध लुक आउट सर्कुलर जारी किया जाएगा.

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Last Updated : Aug 19, 2023, 11:06 AM IST
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