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गोरखपुर के शेल्टर होम से बेटों से ज्यादा बेटियों को गोद ले रहे दंपति, विदेशियों ने भी दिखाई रुचि - children Adoption process

गोरखपुर के शेल्टर होम में पल रहे बच्चों को गोद लेने में स्थानीय लोगों के अलावा विदेशी लोगों ने भी रुचि दिखाई है. गोरखपुर के शेल्टर होम से बीते 5 सालों में कुल 75 बच्चों को गोद लिया गया है.

शेल्टर होम की इमेज
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Published : Aug 18, 2022, 7:52 PM IST

गोरखपुर: सरकारी और स्वयंसेवी शेल्टर होम में पल रहे अनाथ बच्चों में बेटियों को गोद लेने की संख्या और चाहत लोगों में सबसे ज्यादा दिखाई दे रही है. खास बात यह है कि इन बेटियों को गोद लेने वालों में गोरखपुर के आस-पास के लोगों के अलावा विदेशों के लोग भी शामिल हैं. कोरोना की वजह से पिछले 2 वर्षों में शेल्टर होम से बच्चों को गोद लेने की प्रक्रिया में कमी आई है, लेकिन गोद लेने के लिए विदेशी लोगों बढ़ रहा रझान बेहद खास रहा.

शेल्टर होम से बच्चों को गोद लेने की प्रक्रिया को पूर्ण करने में करीब डेढ़ वर्ष का समय लग जाता है, जिसकी वजह से तमाम बच्चे गोद लेने से वंचित रह जाते हैं. इसके बावजूद गोरखपुर क्षेत्र ने शेल्टर होम से बच्चों को गोद लेने के मामले में बड़ी उपलब्धि हासिल की है. गोरखपुर जिला प्रोबेशन अधिकारी सरबजीत सिंह ने बताया कि शेल्टर होम से बच्चों को हरियाणा, पंजाब, चेन्नई, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, गुजरात जैसे राज्यों से लोग गोद लेने के लिए गोरखपुर आते हैं. इसके अलावा गोरखपुर शेल्टर होम से अमेरिका, दुबई, इटली, स्पेन और माल्टा से आए लोगों ने भी बच्चों को गोद लिया है. बीते पांच सालों में कुल 75 बच्चों को गोद लिया गया है. जिनमें सबसे ज्यादा संख्या लड़कियों की है. विदेशी लोगों ने अब तक कुल 15 बच्चियों को गोद लिया है. जबकि स्थानीय स्तर पर लोगों ने 60 बच्चियों को गोद लिया है.

वर्ष 2020-21 में गोद लेने वालों की संख्या सबसे अधिक रही. वर्ष 2017-18 कुल 8 बच्चे ही गोद लिए गए थे. वहीं, वर्ष 2020-21 में कुल 19 बच्चे गोद लिए गए. जिसमें बच्चियों की संख्या 10 थी. जिला प्रोबेशन अधिकारी कहते हैं कि गोद लेने के लिए "कारा" की वेबसाइट पर आवेदन किए जाते हैं. सेंट्रल एडॉप्शन रिसोर्स अथॉरिटी की टीम आती है उसके बाद ही वह एडॉप्शन की प्रक्रिया को पूरी कराती है. एडॉप्शन यानी गोद लेने की प्रक्रिया में कुल एक से डेढ़ साल का समय लगता है. जिससे कुछ पेरेंट्स बीच में ही प्रक्रिया को छोड़ देते हैं, फिर भी जिस तरह से बच्चे गोद लिए जा रहे हैं. वह बच्चों की भविष्य के लिए भी और शेल्टर होम के लिए भी बहुत अच्छा परिणाम है.

गोरखपुर में कुल 8 संस्थाओं के माध्यम से यह कार्यक्रम आगे बढ़ाया जा रहा है. जिसमें राजकीय संप्रेक्षण गृह किशोर में 50 बच्चों के रखने की क्षमता है. इसी प्रकार राजकीय महिला शरणालय, प्रतीक्षा बालिका आश्रम, स्नेहालय आश्रय गृह, एशियन सहयोगी संस्था, प्रोविडेंस होम शिशु, प्रोविडेंस होम बालिका गृह और आसरा विशेष स्कूल पर बेसहारा बच्चे रहते हैं. इस प्रक्रिया के तहत उन्हीं अभिभावकों को बच्चे गोद दिए जाते हैं, जो मानसिक और भावनात्मक रूप के साथ वित्तीय रूप से भी सक्षम हों.

विवाहित दंपति की दशा में पति-पत्नी दोनों की सहमति आवश्यक होती है. एकल स्त्री किसी भी लिंग का बच्चा गोद ले सकती है, जबकि एकल पुरूष किसी भी बालिका को गोद लेने के लिए पात्र नहीं है. वैवाहिक दंपति विवाह के 2 वर्ष पूर्ण होने के बाद ही गोद लेने के लिए आवेदन कर सकते हैं. इसके अलावा अन्य सभी जानकारी "कारा" की वेबसाइट पर उपलब्ध है.

इसे पढ़ें- यूपी मदरसा शिक्षा परिषद की महत्वपूर्ण बैठक 23 को, इस मुद्दे पर होगी चर्चा

गोरखपुर: सरकारी और स्वयंसेवी शेल्टर होम में पल रहे अनाथ बच्चों में बेटियों को गोद लेने की संख्या और चाहत लोगों में सबसे ज्यादा दिखाई दे रही है. खास बात यह है कि इन बेटियों को गोद लेने वालों में गोरखपुर के आस-पास के लोगों के अलावा विदेशों के लोग भी शामिल हैं. कोरोना की वजह से पिछले 2 वर्षों में शेल्टर होम से बच्चों को गोद लेने की प्रक्रिया में कमी आई है, लेकिन गोद लेने के लिए विदेशी लोगों बढ़ रहा रझान बेहद खास रहा.

शेल्टर होम से बच्चों को गोद लेने की प्रक्रिया को पूर्ण करने में करीब डेढ़ वर्ष का समय लग जाता है, जिसकी वजह से तमाम बच्चे गोद लेने से वंचित रह जाते हैं. इसके बावजूद गोरखपुर क्षेत्र ने शेल्टर होम से बच्चों को गोद लेने के मामले में बड़ी उपलब्धि हासिल की है. गोरखपुर जिला प्रोबेशन अधिकारी सरबजीत सिंह ने बताया कि शेल्टर होम से बच्चों को हरियाणा, पंजाब, चेन्नई, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, गुजरात जैसे राज्यों से लोग गोद लेने के लिए गोरखपुर आते हैं. इसके अलावा गोरखपुर शेल्टर होम से अमेरिका, दुबई, इटली, स्पेन और माल्टा से आए लोगों ने भी बच्चों को गोद लिया है. बीते पांच सालों में कुल 75 बच्चों को गोद लिया गया है. जिनमें सबसे ज्यादा संख्या लड़कियों की है. विदेशी लोगों ने अब तक कुल 15 बच्चियों को गोद लिया है. जबकि स्थानीय स्तर पर लोगों ने 60 बच्चियों को गोद लिया है.

वर्ष 2020-21 में गोद लेने वालों की संख्या सबसे अधिक रही. वर्ष 2017-18 कुल 8 बच्चे ही गोद लिए गए थे. वहीं, वर्ष 2020-21 में कुल 19 बच्चे गोद लिए गए. जिसमें बच्चियों की संख्या 10 थी. जिला प्रोबेशन अधिकारी कहते हैं कि गोद लेने के लिए "कारा" की वेबसाइट पर आवेदन किए जाते हैं. सेंट्रल एडॉप्शन रिसोर्स अथॉरिटी की टीम आती है उसके बाद ही वह एडॉप्शन की प्रक्रिया को पूरी कराती है. एडॉप्शन यानी गोद लेने की प्रक्रिया में कुल एक से डेढ़ साल का समय लगता है. जिससे कुछ पेरेंट्स बीच में ही प्रक्रिया को छोड़ देते हैं, फिर भी जिस तरह से बच्चे गोद लिए जा रहे हैं. वह बच्चों की भविष्य के लिए भी और शेल्टर होम के लिए भी बहुत अच्छा परिणाम है.

गोरखपुर में कुल 8 संस्थाओं के माध्यम से यह कार्यक्रम आगे बढ़ाया जा रहा है. जिसमें राजकीय संप्रेक्षण गृह किशोर में 50 बच्चों के रखने की क्षमता है. इसी प्रकार राजकीय महिला शरणालय, प्रतीक्षा बालिका आश्रम, स्नेहालय आश्रय गृह, एशियन सहयोगी संस्था, प्रोविडेंस होम शिशु, प्रोविडेंस होम बालिका गृह और आसरा विशेष स्कूल पर बेसहारा बच्चे रहते हैं. इस प्रक्रिया के तहत उन्हीं अभिभावकों को बच्चे गोद दिए जाते हैं, जो मानसिक और भावनात्मक रूप के साथ वित्तीय रूप से भी सक्षम हों.

विवाहित दंपति की दशा में पति-पत्नी दोनों की सहमति आवश्यक होती है. एकल स्त्री किसी भी लिंग का बच्चा गोद ले सकती है, जबकि एकल पुरूष किसी भी बालिका को गोद लेने के लिए पात्र नहीं है. वैवाहिक दंपति विवाह के 2 वर्ष पूर्ण होने के बाद ही गोद लेने के लिए आवेदन कर सकते हैं. इसके अलावा अन्य सभी जानकारी "कारा" की वेबसाइट पर उपलब्ध है.

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