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ग्राम सचिवालय की भूमिका में नजर नहीं आते पंचायत भवन

यूपी के गोरखपुर में पंचायतों को बेहतर बनाने के सरकारी और जनप्रतिनिधियों के दावे भी खूब होने वाले हैं. लेकिन अगर पिछले दावों की पड़ताल करें तो पता ही चलता है कि न तो सरकार अपने दावे पर खरी उतरी है और न ही जनप्रतिनिधि. ग्राम पंचायतों के जो ग्राम पंचायत भवन होते हैं उन्हें सरकार ग्राम पंचायत सचिवालय का दर्जा देती है. लेकिन गोरखपुर में ऐसे ग्राम सचिवालय की हालत जमीनी पड़ताल में बेहद ही खस्ताहाल नजर आती है.

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Published : Feb 16, 2021, 2:33 PM IST

ग्रामीण.
ग्रामीण.

गोरखपुर: एक बार फिर पंचायत चुनाव शुरू होने वाले हैं. पंचायतों को बेहतर बनाने के सरकारी और जनप्रतिनिधियों के दावे भी खूब होने वाले हैं. लेकिन अगर पिछले दावों की पड़ताल करें तो पता ही चलता है कि न तो सरकार अपने दावे पर खरी उतरी है और न ही जनप्रतिनिधि. ग्राम पंचायतों के जो ग्राम पंचायत भवन होते हैं उन्हें सरकार ग्राम पंचायत सचिवालय का दर्जा देती है. लेकिन गोरखपुर में ऐसे ग्राम सचिवालय की हालत जमीनी पड़ताल में बेहद ही खस्ताहाल नजर आती है. यह न तो सूचना केंद्र के रूप में विकसित हो पाई है और न ही ऑनलाइन संसाधनों से अभी तक लैस. आज भी पंचायत भवन, बारात घर से लेकर गांव की समस्याओं के निवारण के लिए बैठक का एक केंद्र ही बनी हुई हैं.

जानकारी देते ग्रामीण.

1,294 ग्राम पंचायतों में होने हैं कार्य
जिला पंचायत राज अधिकारी हिमांशु शेखर ठाकुर की माने तो सरकार ग्राम सचिवालय में ग्राम पंचायतों की आय बढ़ाने के साथ ही ई-डिस्ट्रिक्ट की सेवाएं जैसे आय, जाति, निवास, जन्म, मृत्यु, वृद्धा, विधवा प्रमाण पत्र के आवेदन के लिए इन ग्राम पंचायतों को सूचना केंद्र के रूप में प्रयोग करने की योजना को शुरू कर चुकी है. जिससे गांव की जनता को इन जरूरतों के लिए तहसील और साइबर कैफे का चक्कर नहीं लगाने पड़े. जिन ग्राम पंचायतों में यह व्यवस्था शुरू की जानी थी उसमें कंप्यूटर, इनवर्टर और आपरेटर की व्यवस्था के लिए तो बजट का अलग से आवंटन किया ही जाता, जनसूचना निर्माण केंद्र के लिए करीब 4 लाख की अलग से धनराशि दी जाती है.

मौजूदा समय की बात करें तो डीपीआरओ के अनुसार जिले की 806 ग्राम पंचायतें पहले से इस पर कार्य कर रही हैं. जबकि 484 ग्राम पंचायतों पर कार्य चल रहा है. इसमें से 159 में कार्य पूर्ण हो चुके हैं और बाकी पर भी कार्य हो रहा है, लेकिन जब गांव में पंचायत भवनों की पड़ताल के लिए ईटीवी भारत की टीम निकलती है तो पंचायत चुनाव के आगोश में यह भवन पूरी तरह से बंद नजर आते हैं. इन पर ताले लटके होते हैं और यहां मौजूद ग्रामीण यही कहते हैं कि उन्हें यहां से कोई सुविधा नहीं मिलती. हर काम के लिए तहसील का ही चक्कर लगाना पड़ता है. यह जरूर है कि पंचायत भवन बारात टिकाने और गांव की समस्या को हल करने के लिए बैठक का एक केंद्र है.

2019-20 की योजना में प्रगति अभी भी धीमी
डीपीआरओ के अनुसार पंचायतों के क्षमता संवर्धन और केंद्र सरकार की राष्ट्रीय ग्राम स्वराज अभियान के तहत वित्तीय वर्ष 2019- 20 की कार्य योजना में ग्राम पंचायतों में कॉमन सर्विस सेंटर के लिए एक अतिरिक्त कक्ष का निर्माण हो होना था. जिसके लिए चयनित ग्राम सभाओं की सूची शासन को उपलब्ध करा दी गई थी. उसी आधार पर आप जगह-जगह कार्य भी चल रहे हैं. जिन गांव में यह कार्य होना था उसमें जंगल दीर्घन सिंह, धस्का, ठठौली, सोहसा, डांडी खास, गहिरा, जंगल रसूलपुर नंबर-एक, बारीगांव, सिसवां उर्फ चनकापुर और उनौला दोयम प्रमुख गांव है. यहां विकसित होने वाले ग्राम सचिवालय से ऑनलाइन पेंशन, पीएम आवास और शौचालय आदि के लिए आवेदन किये जा सकेंगे.

इसे भी पढे़ं- चाइल्ड लेबर समाज के लिए अभिशाप: डॉ. विशेष गुप्ता

गोरखपुर: एक बार फिर पंचायत चुनाव शुरू होने वाले हैं. पंचायतों को बेहतर बनाने के सरकारी और जनप्रतिनिधियों के दावे भी खूब होने वाले हैं. लेकिन अगर पिछले दावों की पड़ताल करें तो पता ही चलता है कि न तो सरकार अपने दावे पर खरी उतरी है और न ही जनप्रतिनिधि. ग्राम पंचायतों के जो ग्राम पंचायत भवन होते हैं उन्हें सरकार ग्राम पंचायत सचिवालय का दर्जा देती है. लेकिन गोरखपुर में ऐसे ग्राम सचिवालय की हालत जमीनी पड़ताल में बेहद ही खस्ताहाल नजर आती है. यह न तो सूचना केंद्र के रूप में विकसित हो पाई है और न ही ऑनलाइन संसाधनों से अभी तक लैस. आज भी पंचायत भवन, बारात घर से लेकर गांव की समस्याओं के निवारण के लिए बैठक का एक केंद्र ही बनी हुई हैं.

जानकारी देते ग्रामीण.

1,294 ग्राम पंचायतों में होने हैं कार्य
जिला पंचायत राज अधिकारी हिमांशु शेखर ठाकुर की माने तो सरकार ग्राम सचिवालय में ग्राम पंचायतों की आय बढ़ाने के साथ ही ई-डिस्ट्रिक्ट की सेवाएं जैसे आय, जाति, निवास, जन्म, मृत्यु, वृद्धा, विधवा प्रमाण पत्र के आवेदन के लिए इन ग्राम पंचायतों को सूचना केंद्र के रूप में प्रयोग करने की योजना को शुरू कर चुकी है. जिससे गांव की जनता को इन जरूरतों के लिए तहसील और साइबर कैफे का चक्कर नहीं लगाने पड़े. जिन ग्राम पंचायतों में यह व्यवस्था शुरू की जानी थी उसमें कंप्यूटर, इनवर्टर और आपरेटर की व्यवस्था के लिए तो बजट का अलग से आवंटन किया ही जाता, जनसूचना निर्माण केंद्र के लिए करीब 4 लाख की अलग से धनराशि दी जाती है.

मौजूदा समय की बात करें तो डीपीआरओ के अनुसार जिले की 806 ग्राम पंचायतें पहले से इस पर कार्य कर रही हैं. जबकि 484 ग्राम पंचायतों पर कार्य चल रहा है. इसमें से 159 में कार्य पूर्ण हो चुके हैं और बाकी पर भी कार्य हो रहा है, लेकिन जब गांव में पंचायत भवनों की पड़ताल के लिए ईटीवी भारत की टीम निकलती है तो पंचायत चुनाव के आगोश में यह भवन पूरी तरह से बंद नजर आते हैं. इन पर ताले लटके होते हैं और यहां मौजूद ग्रामीण यही कहते हैं कि उन्हें यहां से कोई सुविधा नहीं मिलती. हर काम के लिए तहसील का ही चक्कर लगाना पड़ता है. यह जरूर है कि पंचायत भवन बारात टिकाने और गांव की समस्या को हल करने के लिए बैठक का एक केंद्र है.

2019-20 की योजना में प्रगति अभी भी धीमी
डीपीआरओ के अनुसार पंचायतों के क्षमता संवर्धन और केंद्र सरकार की राष्ट्रीय ग्राम स्वराज अभियान के तहत वित्तीय वर्ष 2019- 20 की कार्य योजना में ग्राम पंचायतों में कॉमन सर्विस सेंटर के लिए एक अतिरिक्त कक्ष का निर्माण हो होना था. जिसके लिए चयनित ग्राम सभाओं की सूची शासन को उपलब्ध करा दी गई थी. उसी आधार पर आप जगह-जगह कार्य भी चल रहे हैं. जिन गांव में यह कार्य होना था उसमें जंगल दीर्घन सिंह, धस्का, ठठौली, सोहसा, डांडी खास, गहिरा, जंगल रसूलपुर नंबर-एक, बारीगांव, सिसवां उर्फ चनकापुर और उनौला दोयम प्रमुख गांव है. यहां विकसित होने वाले ग्राम सचिवालय से ऑनलाइन पेंशन, पीएम आवास और शौचालय आदि के लिए आवेदन किये जा सकेंगे.

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