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गोरखपुरः घंटाघर की घड़ी बंद, शहर की पहचान के खस्ताहाल से नाराज हैं शहरवासी

यूपी के गोरखपुर में घंटाघर की घड़ी महीनों से बंद पड़ी है. घंटाघट की इमारत भी जर्जर हो चुकी है. शहर की खोती पहचान से शहरवासी नाराज हैं. हालांकि नगर निगम अधिकारी अब एक-दो दिन में घड़ी चालू कराने की बात कह रहे हैं.

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Published : Jan 27, 2020, 6:00 PM IST

गोरखपुरः घंटाघर किसी भी शहर की पहचान होती है. घंटाघर के नाम से यह ज्ञात होता है कि ऐसी जगह जहां कोई घड़ी-घंटा लगा हो, जहां से समय की जानकारी होती हो. गोरखपुर के उर्दू बाजार में घंटाघर है, जो एक ऊंची सी मीनार है. इसमें एक बड़ी सी घड़ी लगी है. स्थानीय लोगों का कहना है कि पिछले कई महीने से यह घड़ी बन्द पड़ी है.

महीनों से है घंटाघर की घड़ी खराब.

चगन शाह सेठ ने बनवाया था घंटाघर
स्थानीय लोगों का कहना है कि इसमें कई महीने से समय गड़बड़ है, जिसकी तरफ जिम्मेदार नगर निगम का कोई ध्यान नहीं है. यह घंटाघर शहर की पहचान के साथ ऐतिहासिक धरोहर है, जो 1930 में देश की आजादी में प्राणों की आहुति देने वाले क्रन्तिवीरों की याद में चगन शाह सेठ ने बनवाया था.

स्थानीय लोगों में गुस्सा
इस घंडी में लगातार कई महीने से 6 बजकर 25 मिनट ही बज रहा है. ईटीवी भारत की कवरेज के दौरान जब नगर निगम की कमी कैमरे में कैद हुई तो स्थानीय लोगों का भी गुस्सा निकलकर बाहर आ गया. लोगों ने कहा कि शहर की पहचान और नाम वाले स्थान के साथ इस तरह की लापरवाही ठीक नही है. गोरखपुर के अधिकारियों को एक्टिव रहना चाहिए पर बार-बार शिकायत पर भी निगम के लोग सुनते ही नहीं.

एक से दो दिन में घड़ी ठीक करने का वादा
शहर की इस पहचान को कायम रखने की आवश्यकता है. यही वजह है ईटीवी भारत ने नगर निगम के मुख्य अभियंता से इस बाबत सवाल किया तो उन्होंने कहा कि बंद घड़ी को आज से कल तक हर हाल में ठीक करा दी जाएगी. उन्होंने कहा कि यह लापरवाही नहीं भूल है जिसको सुधार कर लिया जाएगा. घंटाघर शहर के व्यस्ततम बाजार वाले इलाके में हैं, जहां कपड़े से लेकर सोने तक के बाजार करने लोग दूर दराज से आते हैं. मौजूदा समय में यह अतिक्रमण का भी शिकार है.

यह भी पढ़ेंः-गोरखपुरः 100 पेटी पंजाब निर्मित प्रतिबंधित शराब बरामद

गोरखपुरः घंटाघर किसी भी शहर की पहचान होती है. घंटाघर के नाम से यह ज्ञात होता है कि ऐसी जगह जहां कोई घड़ी-घंटा लगा हो, जहां से समय की जानकारी होती हो. गोरखपुर के उर्दू बाजार में घंटाघर है, जो एक ऊंची सी मीनार है. इसमें एक बड़ी सी घड़ी लगी है. स्थानीय लोगों का कहना है कि पिछले कई महीने से यह घड़ी बन्द पड़ी है.

महीनों से है घंटाघर की घड़ी खराब.

चगन शाह सेठ ने बनवाया था घंटाघर
स्थानीय लोगों का कहना है कि इसमें कई महीने से समय गड़बड़ है, जिसकी तरफ जिम्मेदार नगर निगम का कोई ध्यान नहीं है. यह घंटाघर शहर की पहचान के साथ ऐतिहासिक धरोहर है, जो 1930 में देश की आजादी में प्राणों की आहुति देने वाले क्रन्तिवीरों की याद में चगन शाह सेठ ने बनवाया था.

स्थानीय लोगों में गुस्सा
इस घंडी में लगातार कई महीने से 6 बजकर 25 मिनट ही बज रहा है. ईटीवी भारत की कवरेज के दौरान जब नगर निगम की कमी कैमरे में कैद हुई तो स्थानीय लोगों का भी गुस्सा निकलकर बाहर आ गया. लोगों ने कहा कि शहर की पहचान और नाम वाले स्थान के साथ इस तरह की लापरवाही ठीक नही है. गोरखपुर के अधिकारियों को एक्टिव रहना चाहिए पर बार-बार शिकायत पर भी निगम के लोग सुनते ही नहीं.

एक से दो दिन में घड़ी ठीक करने का वादा
शहर की इस पहचान को कायम रखने की आवश्यकता है. यही वजह है ईटीवी भारत ने नगर निगम के मुख्य अभियंता से इस बाबत सवाल किया तो उन्होंने कहा कि बंद घड़ी को आज से कल तक हर हाल में ठीक करा दी जाएगी. उन्होंने कहा कि यह लापरवाही नहीं भूल है जिसको सुधार कर लिया जाएगा. घंटाघर शहर के व्यस्ततम बाजार वाले इलाके में हैं, जहां कपड़े से लेकर सोने तक के बाजार करने लोग दूर दराज से आते हैं. मौजूदा समय में यह अतिक्रमण का भी शिकार है.

यह भी पढ़ेंः-गोरखपुरः 100 पेटी पंजाब निर्मित प्रतिबंधित शराब बरामद

Intro:गोरखपुर। घंटाघर किसी भी शहर की पहचान होती है। घंटाघर के नाम से यह ज्ञात होता है कि ऐसी जगह जहां कोई घड़ी, घंटा लगा हो। जहां से समय से जानकारी होती हो। गोरखपुर के उर्दू बाजार में घंटाघर का निर्माण है। जो एक ऊंची सी मीनार है जिसमें एक बड़ी सी घड़ी लगी है। स्थानीय लोगों का कहना है कि पिछले कई महीने से यह घड़ी बन्द पड़ी है जिसकी तरफ जिम्मेदार नगर निगम का कोई ध्यान नहीं है। यह घंटाघर शहर की पहचान के साथ ऐतिहासिक धरोहर है जो 1930 में देश की आजादी में प्राणों की आहूति देने वाले क्रन्तिवीरों की याद में चगन शाह सेठ ने बनवाया था।

नोट-रेडी टू फ्लैश, voice ओवर अटैच है।...स्पेशल


Body:इस घंडी में लगातार कई महीने से 6 बजकर 30 मिनट ही बज रहा है। ईटीवी भारत की कवरेज के दौरान जब नगर निगम की कमी कैमरे में कैद हुई तो स्थानीय लोगों का भी गुस्सा निकलकर बाहर आ गया। लोगों ने कहा कि शहर की पहचान और नाम वाले स्थान के साथ इस तरह की लापरवाही ठीक हैं। गोरखपुर के अधिकारियों को एक्टिव रहना चाहिए पर बार-बार शिकायत पर भी निगम के लोग सुनते ही नहीं।

बाइट--अशोक मिश्रा, स्थानीय
बाइट--कमलेश मौर्या


Conclusion:शहर की इस पहचान को कायम रखने की आवश्यकता है। यही वजह है ईटीवी भारत ने नगर निगम के मुख्य अभियंता से इस बाबत सवाल किया तो उन्होंने कहा कि बंद घड़ी को आज से कल तक हर हाल में ठीक करा दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि यह लापरवाही नहीं भूल है जिसको सुधार कर लिया जाएगा। घंटाघर शहर के व्यस्ततम बाजार वाले इलाके में हैं जहाँ कपड़े से लेकर सोने तक बाजार करने लोग दूर दराज से आते हैं चाहें फुटकर हों या फिर थोक। मौजूदा समय में यह अतिक्रमण भी शिकार है।

बाइट-- सुरेश चंद्रा, चीफ इंजीनियर, नगर निगम

क्लोजिंग पीटीसी...
मुकेश पाण्डेय
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