गोरखपुरः घंटाघर किसी भी शहर की पहचान होती है. घंटाघर के नाम से यह ज्ञात होता है कि ऐसी जगह जहां कोई घड़ी-घंटा लगा हो, जहां से समय की जानकारी होती हो. गोरखपुर के उर्दू बाजार में घंटाघर है, जो एक ऊंची सी मीनार है. इसमें एक बड़ी सी घड़ी लगी है. स्थानीय लोगों का कहना है कि पिछले कई महीने से यह घड़ी बन्द पड़ी है.
चगन शाह सेठ ने बनवाया था घंटाघर
स्थानीय लोगों का कहना है कि इसमें कई महीने से समय गड़बड़ है, जिसकी तरफ जिम्मेदार नगर निगम का कोई ध्यान नहीं है. यह घंटाघर शहर की पहचान के साथ ऐतिहासिक धरोहर है, जो 1930 में देश की आजादी में प्राणों की आहुति देने वाले क्रन्तिवीरों की याद में चगन शाह सेठ ने बनवाया था.
स्थानीय लोगों में गुस्सा
इस घंडी में लगातार कई महीने से 6 बजकर 25 मिनट ही बज रहा है. ईटीवी भारत की कवरेज के दौरान जब नगर निगम की कमी कैमरे में कैद हुई तो स्थानीय लोगों का भी गुस्सा निकलकर बाहर आ गया. लोगों ने कहा कि शहर की पहचान और नाम वाले स्थान के साथ इस तरह की लापरवाही ठीक नही है. गोरखपुर के अधिकारियों को एक्टिव रहना चाहिए पर बार-बार शिकायत पर भी निगम के लोग सुनते ही नहीं.
एक से दो दिन में घड़ी ठीक करने का वादा
शहर की इस पहचान को कायम रखने की आवश्यकता है. यही वजह है ईटीवी भारत ने नगर निगम के मुख्य अभियंता से इस बाबत सवाल किया तो उन्होंने कहा कि बंद घड़ी को आज से कल तक हर हाल में ठीक करा दी जाएगी. उन्होंने कहा कि यह लापरवाही नहीं भूल है जिसको सुधार कर लिया जाएगा. घंटाघर शहर के व्यस्ततम बाजार वाले इलाके में हैं, जहां कपड़े से लेकर सोने तक के बाजार करने लोग दूर दराज से आते हैं. मौजूदा समय में यह अतिक्रमण का भी शिकार है.
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