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बीआरडी संविदाकर्मियों का धरना जारी, ये हैं इनकी मांगें

बीआरडी मेडिकल कॉलेज के कोरोना वार्ड में आउटसोर्सिंग से भर्ती किए गए संविदाकर्मियों का पिछले तीन दिनों से धरना जारी है. इन कर्मचारियों की मांग है कि उनका मानदेय भुगतान के साथ उनकी बहाली भी की जाए.

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Published : Feb 19, 2021, 6:33 AM IST

संविदाकर्मियों का धरना जारी.
संविदाकर्मियों का धरना जारी.

गोरखपुर: बीआरडी मेडिकल कॉलेज के कोरोना वार्ड में आउटसोर्सिंग से भर्ती किए गए संविदाकर्मियों का पिछले तीन दिनों से धरना जारी है. इन कर्मचारियों की मांग है कि उनका मानदेय भुगतान के साथ उनकी बहाली भी की जाए. बीआरडी मेडिकल कॉलेज में कार्यरत रहे स्टॉफ नर्स, फार्मासिस्ट, लैब टेक्नीशियन, वार्ड बॉय, सफाईकर्मी सहित चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारियों से कोविड-19 के दौरान सेवा ली गई. उनका आरोप है कि 5 महीने से वेतन नहीं मिला है. वहीं, बेरोजगारी के समय में उन्‍हें हटाने से उनके सा‍मने रोजगार का संकट खडा हो गया है.

स्वास्थ्यकर्मचारियों ने किया प्रदर्शन

बीआरडी मेडिकल कॉलेज में कोरोनाकाल में अगस्‍त माह में आउटसोर्सिंग के माध्‍यम से कंपनी हर्ष इंटरप्राइजेज, प्रिंसिपल सिक्‍योरिटी और एलायड सर्विसेज की ओर से 300 बेड और 200 बेड के कोविड अस्‍पताल में संविदाकर्मियों को रखा गया था. कर्मचारियों को आज तक न तो मानदेय मिला और इसके साथ ही अब उनकी सेवा खत्‍म करने की बात कही जा रही है. यही वजह है कि संविदा पर कार्यरत नर्स अमृता यादव के नेतृत्व में स्वास्थ्य कर्मचारियों ने बीआरडी मेडिकल कॉलेज के परिसर में अपनी विभिन्न मांगों को लेकर तीसरे दिन प्रदर्शन किया. मेडिकल कॉलेज में स्टॉफ नर्स, वार्ड बॉय, फार्मासिस्ट, लैब टेक्नीशियन, सफाईकर्मी, वार्ड आया, पैरामेडिकल स्टाफ के लगभग 500 कर्मचारियों को जो कोविड-19 के दौरान सेवा दे रहे थे, उनको हटाने का बीआरडी मेडिकल कॉलेज प्रशासन ने एलान किया है. संविदाकर्मियों की मांग है कि उनके मानदेय का भुगतान करने के साथ उन्‍हें निकालने की कार्रवाई नहीं की जाए.

पढ़ें: नौ सैनिक ने अपने परिवार साथ शुरू किया अनिश्चितकालीन धरना

जब तक मांगें नहीं होंगी पूरी, प्रदर्शन जारी रहेगा

स्टॉफ नर्स अमृता यादव ने कहा कि जब तक हमारी मांगें पूरी नहीं की जाएंगी, तब तक वे लोग प्रदर्शन जारी रखेंगे. यहां पर तीनों कंपनियों के इंप्लाइज हैं. यहां पर प्रिंसिपल सिक्योरिटी, हर्ष इंटरप्राइजेज और एलाइड सर्विसेज संविदाकर्मी हैं. उनका कहना है कि उनका मानदेय रिलीज कराया जाए. 6 महीने से वे लोग जॉब कर रहे हैं. उनका आरोप है कि जब उन लोगों को यहां पर रखा गया था, तब ये नहीं बताया गया था कि उन्‍हें सिर्फ छह माह के लिए ही रखा गया है. जब पूरी दुनिया घर के अंदर कैद थी. तब वे लोग कोरोना काल में अपनी जान की बाजी लगाकर यहां पर काम कर रहे थे.

गोरखपुर: बीआरडी मेडिकल कॉलेज के कोरोना वार्ड में आउटसोर्सिंग से भर्ती किए गए संविदाकर्मियों का पिछले तीन दिनों से धरना जारी है. इन कर्मचारियों की मांग है कि उनका मानदेय भुगतान के साथ उनकी बहाली भी की जाए. बीआरडी मेडिकल कॉलेज में कार्यरत रहे स्टॉफ नर्स, फार्मासिस्ट, लैब टेक्नीशियन, वार्ड बॉय, सफाईकर्मी सहित चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारियों से कोविड-19 के दौरान सेवा ली गई. उनका आरोप है कि 5 महीने से वेतन नहीं मिला है. वहीं, बेरोजगारी के समय में उन्‍हें हटाने से उनके सा‍मने रोजगार का संकट खडा हो गया है.

स्वास्थ्यकर्मचारियों ने किया प्रदर्शन

बीआरडी मेडिकल कॉलेज में कोरोनाकाल में अगस्‍त माह में आउटसोर्सिंग के माध्‍यम से कंपनी हर्ष इंटरप्राइजेज, प्रिंसिपल सिक्‍योरिटी और एलायड सर्विसेज की ओर से 300 बेड और 200 बेड के कोविड अस्‍पताल में संविदाकर्मियों को रखा गया था. कर्मचारियों को आज तक न तो मानदेय मिला और इसके साथ ही अब उनकी सेवा खत्‍म करने की बात कही जा रही है. यही वजह है कि संविदा पर कार्यरत नर्स अमृता यादव के नेतृत्व में स्वास्थ्य कर्मचारियों ने बीआरडी मेडिकल कॉलेज के परिसर में अपनी विभिन्न मांगों को लेकर तीसरे दिन प्रदर्शन किया. मेडिकल कॉलेज में स्टॉफ नर्स, वार्ड बॉय, फार्मासिस्ट, लैब टेक्नीशियन, सफाईकर्मी, वार्ड आया, पैरामेडिकल स्टाफ के लगभग 500 कर्मचारियों को जो कोविड-19 के दौरान सेवा दे रहे थे, उनको हटाने का बीआरडी मेडिकल कॉलेज प्रशासन ने एलान किया है. संविदाकर्मियों की मांग है कि उनके मानदेय का भुगतान करने के साथ उन्‍हें निकालने की कार्रवाई नहीं की जाए.

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जब तक मांगें नहीं होंगी पूरी, प्रदर्शन जारी रहेगा

स्टॉफ नर्स अमृता यादव ने कहा कि जब तक हमारी मांगें पूरी नहीं की जाएंगी, तब तक वे लोग प्रदर्शन जारी रखेंगे. यहां पर तीनों कंपनियों के इंप्लाइज हैं. यहां पर प्रिंसिपल सिक्योरिटी, हर्ष इंटरप्राइजेज और एलाइड सर्विसेज संविदाकर्मी हैं. उनका कहना है कि उनका मानदेय रिलीज कराया जाए. 6 महीने से वे लोग जॉब कर रहे हैं. उनका आरोप है कि जब उन लोगों को यहां पर रखा गया था, तब ये नहीं बताया गया था कि उन्‍हें सिर्फ छह माह के लिए ही रखा गया है. जब पूरी दुनिया घर के अंदर कैद थी. तब वे लोग कोरोना काल में अपनी जान की बाजी लगाकर यहां पर काम कर रहे थे.

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