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विद्यार्थी परिषद के सफर से विधान परिषद सदस्य तक पहुंचेंगे डॉ. धर्मेंद्र सिंह

यूपी विधान परिषद में एमएलसी की 2 खाली सीटों पर उपचुनाव होने वाला है. बीजेपी ने गोरखपुर के क्षेत्रीय अध्यक्ष डॉ. धर्मेंद्र सिंह सैंथवार को विधान परिषद सदस्य अपना प्रत्याशी घोषित कर दिया है.

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बीजेपी ने गोरखपुर के क्षेत्रीय अध्यक्ष डॉ धर्मेंद्र सिंह सैंथवार को विधान परिषद सदस्य अपना प्रत्याशी घोषित कर दिया
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Published : Jul 30, 2022, 8:34 PM IST

गोरखपुरः यूपी में विधान परिषद सदस्य की दो सीटों के उपचुनाव होने वाले हैं. जहां भारतीय जनता पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व ने गोरखपुर के क्षेत्रीय अध्यक्ष डॉ. धर्मेंद्र सिंह सैंथवार को अपना प्रत्याशी घोषित कर दिया है. उसके बाद से जिले के संगठन में खुशी की लहर दौड़ गई है. इस घोषणा के साथ ही क्षेत्रीय अध्यक्ष का विधान परिषद सदस्य चुना जाना तय है. प्रदेश में 2 सीटों के के लिए बीजेपी के पास विधानसभा सदस्यों की पूर्ण बहुमत पास है.

योगी आदित्यनाथ के भी बेहद करीबीः बता दें, कि डॉ. धर्मेंद्र सिंह भारतीय जनता पार्टी के वर्तमान में गोरखपुर क्षेत्र के क्षेत्रीय अध्यक्ष हैं. जो 12 जिलों का नेतृत्व पिछले 5 वर्षों से बखूबी निभा रहे हैं. विधान परिषद के पूर्व में हुए दो चुनाव में भी उन्हें प्रत्याशी बनाए जाने की चर्चा चल रही थी. लेकिन राजनीतिक गणित उनके पक्ष में नहीं बन पाई थी. इनके टिकट पाने से पार्टी संगठन से जुड़े छोटे से बड़े कार्यकर्ता धर्मेंद्र सिंह को देखना चाहते थे. क्योंकि वह संगठन के लिए लगातार सक्रिय और संघर्षशील सिपाही की भूमिका निभा रहे थे. वह योगी आदित्यनाथ के भी बेहद करीबी और खास भी माने जाते हैं.

पार्टी के लिए वफादारीः मौजूदा समय में के संगठन में इनकी पैठ पर योगी आदित्यनाथ का समर्थन और सहयोग इन्हें पूरी मजबूती के साथ प्राप्त है. डॉ. धर्मेंद्र सिंह अपने 30 वर्षों के लंबे कार्यकाल में पार्टी के लिए वफादारी से काम किया है. उन्होंने पार्टी से मिले इस सम्मान और जिम्मेदारी पर बस कहा कि जहां भी पार्टी काम करने का अवसर देगी. वह पूरी जिम्मेदारी से उसे निभायेंगे.

अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषदः धर्मेंद्र सिंह ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अनुषांगिक संगठनों में से एक अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद से संगठन को सेवा देना शुरू किया था. वह वर्ष 1991 में गोरखपुर विश्वविद्यालय इकाई के मंत्री बनाए गए. इसके अलावा महानगर के सह मंत्री, महानगर प्रभारी, विभाग प्रमुख समेत कई पदों पर कार्य करते हुए वर्ष 1998 में वह परिषद के प्रदेश मंत्री भी बनाए गए. इसके बाद उनकी वापसी भारतीय जनता पार्टी संगठन के कार्य के लिए हुई. वर्ष 2002 में वह गोरखपुर महानगर के महामंत्री बनाए गए. यह कारवां उनका वर्ष 2008 तक चलता रहा. वर्ष 2008 में वह महानगर के उपाध्यक्ष बना दिए गए.

अध्यक्ष से मंत्री बनेः वह वर्ष 2010 से 2012 तक महानगर के अध्यक्ष बनाए गए. इसके बाद फिर इन्हें महानगर संयोजक का दायित्व निभाना पड़ा. इसके बाद इन्हें वर्ष 2016 तक के लिए महानगर का अध्यक्ष बनाया गया. पार्टी संविधान के अनुसार यह अपना कार्यकाल पूरा करते हैं. क्षेत्रीय संगठन में ये करीब 2 वर्ष तक मंत्री के पद पर रहे. इस दौरान वर्ष 2018 में इन्हें गोरखपुर क्षेत्र के अध्यक्ष बनाया गया. जो मौजूदा समय तक जारी है.

यह भी पढ़ें-एटीएम कार्ड बदलकर रुपये निकालने वाले दो शातिर गिरफ्तार

लोकसभा और विधानसभा में सफलताः वह गोरखपुर क्षेत्र के क्षेत्रीय अध्यक्ष रहते हुए पार्टी को लोकसभा में विराट सफलता दिलाई. हाल में विधानसभा चुनाव में भी इनके नेतृत्व में पार्टी ने बड़ी सफलता हासिल की थी. लेकिन सबसे बड़ी विजय तो आजमगढ़ लोक सभा सीट की रही जहां पर भोजपुरी फिल्म स्टार दिनेश लाल यादव निरहुआ को जीत दिलाकर इन्होंने समाजवादी गढ़ को फतह करने का काम किया. पार्टी ने इन्हें एमएलसी का उम्मीदवार बनाकर एक कार्यकर्ता को जहां महत्व दिया है. वहीं इससे वर्षों से चली आ रही कार्यकर्ताओं की मुराद भी पूरी हुई है.
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गोरखपुरः यूपी में विधान परिषद सदस्य की दो सीटों के उपचुनाव होने वाले हैं. जहां भारतीय जनता पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व ने गोरखपुर के क्षेत्रीय अध्यक्ष डॉ. धर्मेंद्र सिंह सैंथवार को अपना प्रत्याशी घोषित कर दिया है. उसके बाद से जिले के संगठन में खुशी की लहर दौड़ गई है. इस घोषणा के साथ ही क्षेत्रीय अध्यक्ष का विधान परिषद सदस्य चुना जाना तय है. प्रदेश में 2 सीटों के के लिए बीजेपी के पास विधानसभा सदस्यों की पूर्ण बहुमत पास है.

योगी आदित्यनाथ के भी बेहद करीबीः बता दें, कि डॉ. धर्मेंद्र सिंह भारतीय जनता पार्टी के वर्तमान में गोरखपुर क्षेत्र के क्षेत्रीय अध्यक्ष हैं. जो 12 जिलों का नेतृत्व पिछले 5 वर्षों से बखूबी निभा रहे हैं. विधान परिषद के पूर्व में हुए दो चुनाव में भी उन्हें प्रत्याशी बनाए जाने की चर्चा चल रही थी. लेकिन राजनीतिक गणित उनके पक्ष में नहीं बन पाई थी. इनके टिकट पाने से पार्टी संगठन से जुड़े छोटे से बड़े कार्यकर्ता धर्मेंद्र सिंह को देखना चाहते थे. क्योंकि वह संगठन के लिए लगातार सक्रिय और संघर्षशील सिपाही की भूमिका निभा रहे थे. वह योगी आदित्यनाथ के भी बेहद करीबी और खास भी माने जाते हैं.

पार्टी के लिए वफादारीः मौजूदा समय में के संगठन में इनकी पैठ पर योगी आदित्यनाथ का समर्थन और सहयोग इन्हें पूरी मजबूती के साथ प्राप्त है. डॉ. धर्मेंद्र सिंह अपने 30 वर्षों के लंबे कार्यकाल में पार्टी के लिए वफादारी से काम किया है. उन्होंने पार्टी से मिले इस सम्मान और जिम्मेदारी पर बस कहा कि जहां भी पार्टी काम करने का अवसर देगी. वह पूरी जिम्मेदारी से उसे निभायेंगे.

अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषदः धर्मेंद्र सिंह ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अनुषांगिक संगठनों में से एक अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद से संगठन को सेवा देना शुरू किया था. वह वर्ष 1991 में गोरखपुर विश्वविद्यालय इकाई के मंत्री बनाए गए. इसके अलावा महानगर के सह मंत्री, महानगर प्रभारी, विभाग प्रमुख समेत कई पदों पर कार्य करते हुए वर्ष 1998 में वह परिषद के प्रदेश मंत्री भी बनाए गए. इसके बाद उनकी वापसी भारतीय जनता पार्टी संगठन के कार्य के लिए हुई. वर्ष 2002 में वह गोरखपुर महानगर के महामंत्री बनाए गए. यह कारवां उनका वर्ष 2008 तक चलता रहा. वर्ष 2008 में वह महानगर के उपाध्यक्ष बना दिए गए.

अध्यक्ष से मंत्री बनेः वह वर्ष 2010 से 2012 तक महानगर के अध्यक्ष बनाए गए. इसके बाद फिर इन्हें महानगर संयोजक का दायित्व निभाना पड़ा. इसके बाद इन्हें वर्ष 2016 तक के लिए महानगर का अध्यक्ष बनाया गया. पार्टी संविधान के अनुसार यह अपना कार्यकाल पूरा करते हैं. क्षेत्रीय संगठन में ये करीब 2 वर्ष तक मंत्री के पद पर रहे. इस दौरान वर्ष 2018 में इन्हें गोरखपुर क्षेत्र के अध्यक्ष बनाया गया. जो मौजूदा समय तक जारी है.

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लोकसभा और विधानसभा में सफलताः वह गोरखपुर क्षेत्र के क्षेत्रीय अध्यक्ष रहते हुए पार्टी को लोकसभा में विराट सफलता दिलाई. हाल में विधानसभा चुनाव में भी इनके नेतृत्व में पार्टी ने बड़ी सफलता हासिल की थी. लेकिन सबसे बड़ी विजय तो आजमगढ़ लोक सभा सीट की रही जहां पर भोजपुरी फिल्म स्टार दिनेश लाल यादव निरहुआ को जीत दिलाकर इन्होंने समाजवादी गढ़ को फतह करने का काम किया. पार्टी ने इन्हें एमएलसी का उम्मीदवार बनाकर एक कार्यकर्ता को जहां महत्व दिया है. वहीं इससे वर्षों से चली आ रही कार्यकर्ताओं की मुराद भी पूरी हुई है.
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