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गोरखपुर की इस सीट पर आजादी के बाद पहली बार खिला कमल, जानें राजनीतिक इतिहास - gorakhpur latest news

आजादी के बाद पहली बार गोरखपुर की चिल्लूपार सीट पर भारतीय जनता पार्टी ने जीत हासिल की है. 2007 में इसी सीट पर भाजपा प्रत्याशी राजेश त्रिपाठी ने छह बार विधायक रहे बाहुबली हरिशंकर तिवारी को मात देकर अपनी जीत का परचम लहराया था.

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भाजपा प्रत्याशी राजेश त्रिपाठी
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Published : Mar 11, 2022, 5:27 PM IST

गोरखपुर: यूपी विधानसभा चुनाव 2022 (up assembly elections 2022) में गोरखपुर जिले की 9 विधानसभा सीटें जीतकर भारतीय जनता पार्टी ने एक अनोखा रिकॉर्ड कायम किया है. लेकिन इसमें सबसे बड़ी और महत्वपूर्ण जीत चिल्लूपार विधानसभा सीट मानी जा रही है. यह सीट भाजपा के खाते में आजादी के बाद पहली बार आई है. बीजेपी उम्मीदवार राजेश त्रिपाठी ने समाजवादी पार्टी प्रत्याशी विनय शंकर को 21645 वोटों के अंतर से हराया है.

आजादी के बाद से लेकर 1985 तक चिल्लूपार की सीट पर कांग्रेसी उम्मीदवार विजयी होते रहे हैं. लेकिन 1985 के चुनाव में पहली बार इस सीट पर हरिशंकर तिवारी निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में जेल के अंदर से चुनाव लड़कर जीते थे. तब से उनकी जीत का सिलसिला लगातार चलता रहा और बाहुबली के साथ ब्राह्मण चेहरे के रूप में हरिशंकर तिवारी अपनी मजबूत पहचान कायम करते रहे. 22 वर्ष यानी की 1985 से 2007 तक न सिर्फ वह विधायक रहे बल्कि प्रदेश सरकार के 5 मुख्यमंत्रियों के कार्यकाल में उन्होंने मंत्री पद की शपथ भी ली थी. इसके बाद यह सीट पूरी तरह से हरिशंकर तिवारी के परिवार की मानी जाने लगी थी.

यह भी पढ़ें- गोरखपुर शहर सीट पर योगी आदित्यनाथ ने रिकॉर्ड मतों से जीत दर्ज कर रचा इतिहास

वहीं, 2007 में पत्रकार राजेश त्रिपाठी ने विधानसभा क्षेत्र के बड़हलगंज में घाघरा नदी के तट पर मुक्तिधाम बनाकर अंतिम संस्कार का स्थान लोगों को समर्पित किया, जो उन्हें चर्चाओं के विषय में ले आया. इतना ही नहीं यहीं से राजेश त्रिपाठी अपनी पहचान बढ़ाते गए और 2007 के विधानसभा चुनाव में उन्होंने हरिशंकर तिवारी को बसपा प्रत्याशी के रूप में न सिर्फ हराया बल्कि जीतने के बाद मायावती सरकार में मंत्री भी बने. 2012 के चुनाव में फिर बसपा के टिकट पर राजेश त्रिपाठी ने दूसरी बार हरिशंकर तिवारी को मात दी और यह सीट उनका गढ़ बन गई. लेकिन 2017 के विधानसभा चुनाव में वह बसपा छोड़ भाजपा में शामिल हो गए थे और इस बार हरिशंकर तिवारी के बेटे विनय शंकर तिवारी ने बसपा के प्रत्याशी के तौर पर उन्हें हरा कर इस सीट पर अपनी जीत का परचम लहराया था. गौरतलब है कि चिल्लूपार विधानसभा सीट में करीब 4 लाख 31 हजार वोटर हैं. इसमें एक लाख 4 हजार ब्राह्मण मतदाताओं की संख्या है. इसके बाद ठाकुर, निषाद और दलित मतदाता निर्णायक भूमिका में है.

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गोरखपुर: यूपी विधानसभा चुनाव 2022 (up assembly elections 2022) में गोरखपुर जिले की 9 विधानसभा सीटें जीतकर भारतीय जनता पार्टी ने एक अनोखा रिकॉर्ड कायम किया है. लेकिन इसमें सबसे बड़ी और महत्वपूर्ण जीत चिल्लूपार विधानसभा सीट मानी जा रही है. यह सीट भाजपा के खाते में आजादी के बाद पहली बार आई है. बीजेपी उम्मीदवार राजेश त्रिपाठी ने समाजवादी पार्टी प्रत्याशी विनय शंकर को 21645 वोटों के अंतर से हराया है.

आजादी के बाद से लेकर 1985 तक चिल्लूपार की सीट पर कांग्रेसी उम्मीदवार विजयी होते रहे हैं. लेकिन 1985 के चुनाव में पहली बार इस सीट पर हरिशंकर तिवारी निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में जेल के अंदर से चुनाव लड़कर जीते थे. तब से उनकी जीत का सिलसिला लगातार चलता रहा और बाहुबली के साथ ब्राह्मण चेहरे के रूप में हरिशंकर तिवारी अपनी मजबूत पहचान कायम करते रहे. 22 वर्ष यानी की 1985 से 2007 तक न सिर्फ वह विधायक रहे बल्कि प्रदेश सरकार के 5 मुख्यमंत्रियों के कार्यकाल में उन्होंने मंत्री पद की शपथ भी ली थी. इसके बाद यह सीट पूरी तरह से हरिशंकर तिवारी के परिवार की मानी जाने लगी थी.

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वहीं, 2007 में पत्रकार राजेश त्रिपाठी ने विधानसभा क्षेत्र के बड़हलगंज में घाघरा नदी के तट पर मुक्तिधाम बनाकर अंतिम संस्कार का स्थान लोगों को समर्पित किया, जो उन्हें चर्चाओं के विषय में ले आया. इतना ही नहीं यहीं से राजेश त्रिपाठी अपनी पहचान बढ़ाते गए और 2007 के विधानसभा चुनाव में उन्होंने हरिशंकर तिवारी को बसपा प्रत्याशी के रूप में न सिर्फ हराया बल्कि जीतने के बाद मायावती सरकार में मंत्री भी बने. 2012 के चुनाव में फिर बसपा के टिकट पर राजेश त्रिपाठी ने दूसरी बार हरिशंकर तिवारी को मात दी और यह सीट उनका गढ़ बन गई. लेकिन 2017 के विधानसभा चुनाव में वह बसपा छोड़ भाजपा में शामिल हो गए थे और इस बार हरिशंकर तिवारी के बेटे विनय शंकर तिवारी ने बसपा के प्रत्याशी के तौर पर उन्हें हरा कर इस सीट पर अपनी जीत का परचम लहराया था. गौरतलब है कि चिल्लूपार विधानसभा सीट में करीब 4 लाख 31 हजार वोटर हैं. इसमें एक लाख 4 हजार ब्राह्मण मतदाताओं की संख्या है. इसके बाद ठाकुर, निषाद और दलित मतदाता निर्णायक भूमिका में है.

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