गोरखपुर: जनता के धन की बर्बादी और विकास प्राधिकरण की मनमानी देखनी हो तो गोरखपुर आ जाइए. तारामंडल क्षेत्र में विकसित लोहिया आवासीय योजना के करीब एक हजार आवंटी विकास प्राधिकरण की गलती का खामियाजा पिछले छह साल से भुगत रहे हैं. फ्लैट के लिए 35 से 40 लाख रुपये का भुगतान कर देने के बाद भी आवंटियों के हाथ खाली हैं.
सुनवाई के लिए सीएम से की गई गुहार भी बेकार
आवंटियों की शिकायत और पीड़ा का निदान सीएम योगी भी नहीं कर रहे, जबकि पिछले तीन सालों में आवंटी उनसे कई बार गुहार लगा चुके हैं. प्राधिकरण के उपाध्यक्ष और अध्यक्ष इस आवासीय योजना को विकसित करने में नियमों की अनदेखी करने वाले दोषी अधिकारियों और इंजीनियरों के खिलाफ भी कोई कार्रवाई नहीं कर रहे, जिससे आवंटियों के घर होने के सपने पर अभी ग्रहण लगा हुआ है.
फ्लैट की पूरी कीमत देने के बाद भी दर-दर भटक रहे आवंटी
गोरखपुर विकास प्राधिकरण द्वारा लोहिया आवास योजना के निर्माण की प्रक्रिया वर्ष 2015 में लाटरी के बाद शुरू हुई थी, जिसमें करीब एक हजार आवासों के तीन मंजिला फ्लैट साल 2018 तक बनाए भी गए, जबकि आवास के लिए आवेदन करने वाले को प्राधिकरण ने अप्रैल 2017 में मकान बनाकर देने का लिखित आश्वासन दिया था, लेकिन जनवरी 2021 यानी कि लगभग छह वर्ष पूरे होने को हैं और इसके आवंटित दर-दर भटकने को मजबूर हैं.
फ्लैट की क्वालिटी और एरिया में भी आवंटियों के साथ हुआ धोखा
आवंटियों का कहना है कि जीडीए ने आवास आवंटन पुस्तिका में फ्लैट का निर्माण 104.39 वर्ग मीटर में करने का उल्लेख किया था, जबकि मौके पर फ्लैट का निर्माण लगभग 75 वर्ग मीटर का ही पाया गया. निर्माण की गुणवत्ता भी बेहद खराब है. इस पर सभी आवंटी ने आपत्ति दर्ज कराई और निर्माण की गुणवत्ता सुधारने के साथ निश्चित एरिया का फ्लैट जीडीए से देने की मांग की, जिसे पूरा कर पाने में जीडीए सक्षम नहीं था. ऐसे में आवंटियों ने जीडीए से कहा कि कम एरिया में निर्माण किया गया है तो फ्लैट की कीमत कम की जाए. इस बात पर भी जीडीए तैयार नहीं हुआ.
GDA ने बिना पर्यावरण क्लीयरेंस के ही बना दी आवासी कॉलोनी
इस बीच जीडीए की एक बड़ी लापरवाही निकलकर सामने आई. एनजीटी ने रामगढ़ताल वेटलैंड क्षेत्र में 50 मीटर के दायरे में हुए निर्माण पर 2018 में रोक लगा दी थी. वजह यह थी की तमाम परियोजना बिना पर्यावरण क्लीयरेंस के बनाई गई थीं, जिसमें लोहिया आवास योजना भी शामिल थी. जिम्मेदार अधिकारियों ने बिना पर्यावरण क्लीयरेंस के ही हजारों आवास बना दिए, जिससे फ्लैट पाने का आवंटियों का सपना एक बार फिर चकनाचूर हो गया. आज तक वह कर्ज और दर्द से कराह रहे हैं. फिर भी उनकी कोई सुनने वाला नहीं है.
प्राधिकरण बोर्ड की बैठक में लिया जाएगा फैसला
इस आवास योजना में इतने पेंच हैं कि जिम्मेदार अधिकारी कुछ भी बोलने से बचते हैं. ईटीवी भारत के सवाल के जवाब में प्राधिकरण के अध्यक्ष और गोरखपुर के मंडलायुक्त जयंत नार्लीकर ने बस इतना कहा कि यह गंभीर मामला है, जिस पर प्राधिकरण बोर्ड की बैठक में फैसला लिया जाएगा. आवास आवंटन निश्चित तिथि को बीते करीब चार साल हो गए. इस दौरान बोर्ड की कई बैठक भी हुई, लेकिन आवंटियों के हक में कोई फैसला नहीं हो पाया.
पहले मकान पर दो कब्जा, फिर कराएंगे रजिस्ट्री
आवंटियों ने जीडीए से कहा है कि पहले मकान पर कब्जा दो फिर वह रजिस्ट्री कराएंगे. इस बीच फ्लैट के साइज पर की गई आपत्ति का भी अभी हल नहीं निकल पाया है. फ्रीहोल्ड चार्ज में भी मानक के अनुरूप कार्यवाही नहीं हो पाई है. इनकी समस्या को नगर विधायक डॉ. राधामोहन दास अग्रवाल ने विधानसभा में भी उठाया. मौके पर जाकर घटिया निर्माण भी पकड़ा. कमेटी गठित की गई, लेकिन जांच और कार्रवाई का कोई पता ठिकाना नहीं.