गोरखपुरः डॉक्टर कफील खान के मामले में हाईकोर्ट इलाहाबाद ने उत्तर प्रदेश सरकार को नोटिस जारी किया है. कोर्ट का यह आदेश डॉ. कफील के अलीगढ़ में हुई एफआईआर को राज्य सरकार द्वारा पूर्णरूप से समाप्त करने पर उच्च न्यायालय ने उत्तर प्रदेश सरकार को मंगलवार को नोटिस जारी किया है. मामले की अगली सुनवाई छह अप्रैल को होगी.
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राज्य सरकार ने लगाई थी रासुका
बता दें कि डॉ. कफील खान के अलीगढ़ में सीएए, एनपीआर, एनआरसी के विरोध में दिए जिस भाषण को भड़काऊ बताकर उत्तर प्रदेश सरकार ने रासुका लगा कर आठ माह जेल में रखकर प्रताड़ित किया था. उसी भाषण को सुनकर उच्च न्यायालय इलाहाबाद और सर्वोच्च न्यायालय ने यह स्वीकार किया कि भाषण में किसी भी प्रकार से देश को तोड़ने की नहीं कही गई. न्यायालय ने स्वीकारा कि भाषण में देश को जोड़ने की बात कही गई थी.
कोर्ट ने किया बरी
किसी भी प्रकार का कोई सबूत न मिलने के कारण न्यायालय ने डॉ. कफील खान के ऊपर लगाए रासुका को अवैध करार देकर बरी कर दिया है. एफआईआर को पूर्णरूप से समाप्त करने के लिए डॉ. कफील खान ने उच्च न्यायालय इलाहाबाद में अपील दायर की थी. डॉ. कफील की अपील पर मंगलवार को सुनवाई हुई.
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मामले में सुनवाई करते हुए जज ने माना कि डॉक्टर कफील के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने और गिरफ्तारी में पुलिस ने कानूनी प्रक्रिया का सही से पालन नहीं किया. इसके साथ ही शासन से भी अनुमति नहीं ली. डॉ. कफील खान गोरखपुर के बीआरडी मेडिकल कॉलेज में वर्ष 2017 में हुए ऑक्सीजन कांड में बच्चों की मौत के लिए जिम्मेदार ठहराए गए थे. उन्हें इस मामले में कई महीनों तक जेल में बिताना पड़ा था.
अलीगढ़ में दर्ज हुई थी एफआईआर
याचिका पर वरिष्ठ अधिवक्ता दिलीप कुमार और मनीष कुमार सिंह ने बहस की. इनका कहना है कि इस मामले मे रासुका लगाने के आदेश को कोर्ट ने रद्द कर दिया है. अलीगढ़ के सिविल लाइन्स थाने मे दर्ज एफआईआर के तहत पुलिस ने 16 मार्च 2020 को चार्जशीट दाखिल की थी और सीजेएम की अदालत ने उस पर 28 जुलाई 2020 को संज्ञान भी ले लिया है. जब याची सरकारी सेवक है. उसके खिलाफ आपराधिक केस कायम करने या चार्जशीट दाखिल करने से पहले राज्य सरकार की अनुमति ली जानी चाहिए थी. ऐसा नहीं किया गया.