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न गांव रहे... न ही शहर का हिस्सा, बस बदहाल होकर रह गए - शहर

गोरखपुर जिले के 32 गांव, न तो गांव रहे और न ही शहर का हिस्सा बन पाए. लिहाजा इन गांवों में विकास का अकाल पड़ गया, जिससे स्थानीय लोग काफी परेशान हैं. पढ़ें पूरी खबर...

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गोरखपुर नगर निगम का हिस्सा नहीं बन सके 32 गांव.
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Published : Jun 16, 2021, 1:35 PM IST

गोरखपुर: करीब ढाई साल पहले गोरखपुर के 32 गांव को नगर निगम की सीमा में शामिल करने की योगी सरकार ने घोषणा की थी, लेकिन मौजूदा दौर में भी यह गांव स्थाई तौर पर नगर निगम का हिस्सा नहीं बन सके हैं. लगभग 1 वर्ष पहले ग्राम पंचायतों का कार्यकाल खत्म होने के बाद इन गांवों की जिम्मेदारी नगर निगम के हवाले आ गई थी, लेकिन ग्राम पंचायत और नगर विकास विभाग के बीच नोटिफिकेशन को लेकर लटकी फाइल से यह गांव न तो गांव ही रहे और न ही शहर का हिस्सा बन पाए, जिसकी वजह से यहां की व्यवस्था पूरी तरह बदहाली के दौर से गुजरने लगी.

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नगर निगम कार्यालय.

पंचायत के जरिए न तो कोई विकास कार्य और साफ-सफाई का काम किया जा रहा है और न ही नगर निगम इस ओर विशेष रूप से ध्यान दे रहा था, जिसका नतीजा है कि इन 32 गांवों में अभी भी समस्याएं जस की तस बनी हुई हैं.

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गांव में विकास का अभाव.
तीन जोन में बांटे गए गांव

इन गांवों के विकास की अब कुछ उम्मीद जगी है. वजह यह कि नए तरीके से हो चुके पंचायत चुनाव और आगामी विधानसभा चुनाव को देखते हुए नगर निगम इन गांवों के प्रति विकास योजनाओं की रणनीति बना रहा है. सफाई और सेनेटाइजेशन के लिए इन गांवों को तीन जोन में बांटकर वरिष्ठ अधिकारियों को प्रभारी बनाया गया है. अपर नगर आयुक्त डीके सिन्हा को जोन एक, कर अधीक्षक प्रीतम वर्मा को जोन दो और उप नगर आयुक्त संजय शुक्ला को जोन तीन का प्रभारी बनाया गया है. यह गतिविधियां खासकर कोरोना को देखते हुए बढ़ाई गई हैं. अभी भी विकास, निर्माण, जल निकास के लिए कोई प्लानिंग नहीं हुई है, जिससे हो रही बारिश में नगर निगम का हिस्सा बने इन गांवों में जल जमाव और गंदगी का अंबार लगा है.

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जलमग्न सड़क.

इसे भी पढे़ं: Gorakhpur : अशफाक उल्ला खान प्राणी उद्यान खुला, बढ़ी चहल-पहल

नगर आयुक्त अविनाश सिंह का कहना है कि विकास के कार्य भी यहां होंगे, प्रस्ताव बजट का शासन को भेजा गया है. फिलहाल यहां पर सफाई और सेनेटाइजेशन होता है. इस पर विशेष ध्यान देते हुए अधिकारियों को निगरानी की जिम्मेदारी दी गई है. कुल 11 वार्डों के पार्षद भी इन गांवों की निगरानी करेंगे. इन गांवों को 11 अलग-अलग वार्डों से फिलहाल जोड़ा गया है. मोहल्ला निगरानी समितियां भी इन गांवों पर अपना फोकस रखेंगी. नगर स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. मुकेश रस्तोगी को इन 32 गांवों में तत्काल दो-दो सफाईकर्मियों की ड्यूटी लगाने का आदेश नगर आयुक्त ने दिया है.

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नगर आयुक्त अविनाश सिंह.

इसे भी पढे़ं: 6 साल से नाले का निर्माण है अधूरा, 16 करोड़ का काम अब 32 में होगा पूरा

इन 32 गांवों को शहरी होने का मिला लाभ, लेकिन सुविधाएं हैं नदारद

वार्ड नंबर 65 महुई सुघरपुर में कुल सात गांवों को शामिल किया है, जिनके नाम कजाकपुर, बड़गो, पथरा, बाघरानी, सेमरादेवी, रामपुर, टप्पा हवेली और सेंदुली-बेंदुली है. वार्ड नंबर 4 में गुलरिहा, मुडिला, मिर्जापुर, खुटहन, करमहा, उमरपुर शामिल हुए हैं. इसी प्रकार वार्ड नंबर 30 महेवा में चकरा दोयम, चकरा सोयम, कठौतिया और पिपरा टप्पा हवेली शामिल हुए हैं. इसके अलावा जंगल सिकरी, खोराबार, सिकटौर, हरसेवकपुर, रानीडीहा, जंगल बहादुर अली, गायघाट, मनहट, कठवतिया और भरवलिया बुजुर्ग आदि गांव शामिल हैं. इन गांवों के लोगों का अब जन्म-मृत्यु प्रमाण पत्र भी नगर निगम से बनेगा.

गोरखपुर: करीब ढाई साल पहले गोरखपुर के 32 गांव को नगर निगम की सीमा में शामिल करने की योगी सरकार ने घोषणा की थी, लेकिन मौजूदा दौर में भी यह गांव स्थाई तौर पर नगर निगम का हिस्सा नहीं बन सके हैं. लगभग 1 वर्ष पहले ग्राम पंचायतों का कार्यकाल खत्म होने के बाद इन गांवों की जिम्मेदारी नगर निगम के हवाले आ गई थी, लेकिन ग्राम पंचायत और नगर विकास विभाग के बीच नोटिफिकेशन को लेकर लटकी फाइल से यह गांव न तो गांव ही रहे और न ही शहर का हिस्सा बन पाए, जिसकी वजह से यहां की व्यवस्था पूरी तरह बदहाली के दौर से गुजरने लगी.

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नगर निगम कार्यालय.

पंचायत के जरिए न तो कोई विकास कार्य और साफ-सफाई का काम किया जा रहा है और न ही नगर निगम इस ओर विशेष रूप से ध्यान दे रहा था, जिसका नतीजा है कि इन 32 गांवों में अभी भी समस्याएं जस की तस बनी हुई हैं.

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गांव में विकास का अभाव.
तीन जोन में बांटे गए गांव

इन गांवों के विकास की अब कुछ उम्मीद जगी है. वजह यह कि नए तरीके से हो चुके पंचायत चुनाव और आगामी विधानसभा चुनाव को देखते हुए नगर निगम इन गांवों के प्रति विकास योजनाओं की रणनीति बना रहा है. सफाई और सेनेटाइजेशन के लिए इन गांवों को तीन जोन में बांटकर वरिष्ठ अधिकारियों को प्रभारी बनाया गया है. अपर नगर आयुक्त डीके सिन्हा को जोन एक, कर अधीक्षक प्रीतम वर्मा को जोन दो और उप नगर आयुक्त संजय शुक्ला को जोन तीन का प्रभारी बनाया गया है. यह गतिविधियां खासकर कोरोना को देखते हुए बढ़ाई गई हैं. अभी भी विकास, निर्माण, जल निकास के लिए कोई प्लानिंग नहीं हुई है, जिससे हो रही बारिश में नगर निगम का हिस्सा बने इन गांवों में जल जमाव और गंदगी का अंबार लगा है.

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जलमग्न सड़क.

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नगर आयुक्त अविनाश सिंह का कहना है कि विकास के कार्य भी यहां होंगे, प्रस्ताव बजट का शासन को भेजा गया है. फिलहाल यहां पर सफाई और सेनेटाइजेशन होता है. इस पर विशेष ध्यान देते हुए अधिकारियों को निगरानी की जिम्मेदारी दी गई है. कुल 11 वार्डों के पार्षद भी इन गांवों की निगरानी करेंगे. इन गांवों को 11 अलग-अलग वार्डों से फिलहाल जोड़ा गया है. मोहल्ला निगरानी समितियां भी इन गांवों पर अपना फोकस रखेंगी. नगर स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. मुकेश रस्तोगी को इन 32 गांवों में तत्काल दो-दो सफाईकर्मियों की ड्यूटी लगाने का आदेश नगर आयुक्त ने दिया है.

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नगर आयुक्त अविनाश सिंह.

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इन 32 गांवों को शहरी होने का मिला लाभ, लेकिन सुविधाएं हैं नदारद

वार्ड नंबर 65 महुई सुघरपुर में कुल सात गांवों को शामिल किया है, जिनके नाम कजाकपुर, बड़गो, पथरा, बाघरानी, सेमरादेवी, रामपुर, टप्पा हवेली और सेंदुली-बेंदुली है. वार्ड नंबर 4 में गुलरिहा, मुडिला, मिर्जापुर, खुटहन, करमहा, उमरपुर शामिल हुए हैं. इसी प्रकार वार्ड नंबर 30 महेवा में चकरा दोयम, चकरा सोयम, कठौतिया और पिपरा टप्पा हवेली शामिल हुए हैं. इसके अलावा जंगल सिकरी, खोराबार, सिकटौर, हरसेवकपुर, रानीडीहा, जंगल बहादुर अली, गायघाट, मनहट, कठवतिया और भरवलिया बुजुर्ग आदि गांव शामिल हैं. इन गांवों के लोगों का अब जन्म-मृत्यु प्रमाण पत्र भी नगर निगम से बनेगा.

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