गोण्डा: जिले में छठ पूजा को लेकर तैयारियां शुरू हो गई हैं. ऐसे में श्रद्धालुओं ने पोखरों और तालाबों के किनारे पिंडिया बनाना शुरु कर दिया है, लेकिन नगर के सबसे पौराणिक स्थल खैरा भवानी मंदिर के प्राचीन पोखरे की हालत बेहद खस्ता है. बता दें कि पौराणिक मान्यता के चलते छठ पूजा के दिन यहां श्रद्धालुओं की काफी भीड़ उमड़ती है, लेकिन दिवाली में हुई मूर्तियों, फूलों के विसर्जन आदि की फैली गंदगी से यह प्राचीन पोखरा अपने हाल पर ही रोने को मजबूर है.
यह है मान्यता
जनपद के पंडरी कृपाल ब्लॉक के बगल ही खैरा भवानी का प्राचीन मंदिर स्थित है. यह मंदिर काफी प्राचीन और पौराणिक है. लोगों का कहना है कि बलरामपुर के लिए रेलवे लाइन बनाने के लिए अंग्रेज सरकार ने यहां काम शुरू करवाया था, तभी उन्हें प्रकाश पुंज के रूप में आदिशक्ति दिखाई पड़ी थी, जिसे देखकर अंग्रेज भाग गए. बाद में यहां मंदिर स्थापित कर पूजा-पाठ शुरू हो गया.
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पोखरे में नहाने से दूर होती हैं व्याधियां
मान्यता है कि पोखरे में नहाने से कई व्याधियां दूर हो जाती हैं, लेकिन वर्तमान स्थिति की बात करें तो इससे व्याधियां तो दूर नहीं होंगी बल्कि अन्य रोग अलग से जकड़ लेंगे. हर साल यहां भव्य छठ पूजा का आयोजन होता है, जिसमें दूर दराज के लोग आकर पूजा करते हैं, लेकिन अभी यह पोखरा अपने हाल पर ही रो रहा है.
छठ पूजा को लेकर प्रशासन नहीं दिख रहा गंभीर
पोखरे में गंदगी का अम्बार लगा हुआ है. वहीं बदबू से आस-पास के लोगों को भी काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. दिवाली में हुए विसर्जन के बाद प्रशासन द्वारा इसको साफ नहीं कराया गया. इससे छठ के लिए प्रशासन की गंभीरता साफ तौर पर देखी जा सकती है.
दिवाली के विसर्जन के कारण यह पोखरा प्रदूषित हो गया है. प्रशासन से गुहार है कि जल्द से जल्द इसे साफ करवा दें, ताकि हम अच्छे ढंग से पूजा कर सकें.
- संतोष कश्यप, स्थानीय