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गोंडा:आजादी के 72 साल बाद दलित बाहुल गांव में पहुंची बिजली - up news

गोंडा में आजादी के 72 सालों बाद भी न बिजली पहुंची. न सड़क और न ही कोई भी सरकारी योजनाएं. गांव के लोग बस विकास की आस लगाए बैठे थे. विकास के नाम पर अगर उन्हें कुछ मिला तो सिर्फ झूठे वादे लेकिन 72 साल बाद जब बिजली पहुंची को उनके चेहरे खुशी से खिल उठे.

आजादी के 72 साल बाद दलित बाहुल गांव में पहुंची बिजली
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Published : Apr 29, 2019, 3:10 AM IST

गोंडा: दलितों के नाम पर वोट मांगने वाले राजनैतिक पार्टियां वोट मांगने के लिए सारे हथकंडे अपनाती तो हैं, लेकिन चुनाव जीतने के बाद उनके वादे खोखले और बेबुनियाद हो जाते हैं. आते हैं. ईटीवी भारत ने प्रमुखता से इस खबर को दिखाया है, जिसके बाद खबर का बड़ा असर हुआ. गांव में तुरंत विकास कार्य पहुंचा. 72 साल बाद गांव में बिजली, सड़क, और सारी योजनाएं पहुंचने लगीं. जिसके बाद दलित गांव के लोगों ने कहा कि विकास तो सिर्फ मोदी ने किया है इसलिए वोट भी मोदी को ही देंगे.

72 साल बाद बाहुल गांव का हुआ विकास

आजादी के 72 साल बाद दलित बाहुल गांव में पहुंची बिजली
  • मामला कर्नलगंज क्षेत्र के लाला पुरवा गांव का है, जो पूर्ण रूप से दलित बाहुल गांव है.
  • जहां विकास के नाम पर और दलित के नाम पर सपा-बसपा जैसी पार्टियों ने अपनी राजनीति की.
  • लेकिन आजादी के 72 साल बाद भी इस गांव को विकास के नाम पर कुछ न हासिल हो सका.
  • नेताओं के झूठे वादे और भरोसे ने गांव के लोगों को विकास की आस में बांध रखा था.
  • इसके बाद गुस्साए ग्रामीणों ने 2019 के लोकसभा चुनाव के बहिष्कार का निर्णय लिया.
  • जिस पर ईटीवी भारत ने इस खबर को प्रमुखता से दिखाया.
  • खबर चलने के बाद प्रशासन की नींद खुली.
  • चुनाव बहिष्कार के बाद शासन प्रशासन ने गांव का दौरा शुरू किया, जहां उनको सच्चाई और हकीकत सामने दिखी.
  • इसके बाद गांव में तुरंत बिजली, नाले, खड़ंजा-सड़कों का निर्माण और घास और झोपड़ी में रह रहे गांव वालों के लिए प्रधानमंत्री आवास योजना का कार्य शुरू किया गया.
  • इसको पाकर गांव वाले काफी उत्साहित हैं.

गोंडा: दलितों के नाम पर वोट मांगने वाले राजनैतिक पार्टियां वोट मांगने के लिए सारे हथकंडे अपनाती तो हैं, लेकिन चुनाव जीतने के बाद उनके वादे खोखले और बेबुनियाद हो जाते हैं. आते हैं. ईटीवी भारत ने प्रमुखता से इस खबर को दिखाया है, जिसके बाद खबर का बड़ा असर हुआ. गांव में तुरंत विकास कार्य पहुंचा. 72 साल बाद गांव में बिजली, सड़क, और सारी योजनाएं पहुंचने लगीं. जिसके बाद दलित गांव के लोगों ने कहा कि विकास तो सिर्फ मोदी ने किया है इसलिए वोट भी मोदी को ही देंगे.

72 साल बाद बाहुल गांव का हुआ विकास

आजादी के 72 साल बाद दलित बाहुल गांव में पहुंची बिजली
  • मामला कर्नलगंज क्षेत्र के लाला पुरवा गांव का है, जो पूर्ण रूप से दलित बाहुल गांव है.
  • जहां विकास के नाम पर और दलित के नाम पर सपा-बसपा जैसी पार्टियों ने अपनी राजनीति की.
  • लेकिन आजादी के 72 साल बाद भी इस गांव को विकास के नाम पर कुछ न हासिल हो सका.
  • नेताओं के झूठे वादे और भरोसे ने गांव के लोगों को विकास की आस में बांध रखा था.
  • इसके बाद गुस्साए ग्रामीणों ने 2019 के लोकसभा चुनाव के बहिष्कार का निर्णय लिया.
  • जिस पर ईटीवी भारत ने इस खबर को प्रमुखता से दिखाया.
  • खबर चलने के बाद प्रशासन की नींद खुली.
  • चुनाव बहिष्कार के बाद शासन प्रशासन ने गांव का दौरा शुरू किया, जहां उनको सच्चाई और हकीकत सामने दिखी.
  • इसके बाद गांव में तुरंत बिजली, नाले, खड़ंजा-सड़कों का निर्माण और घास और झोपड़ी में रह रहे गांव वालों के लिए प्रधानमंत्री आवास योजना का कार्य शुरू किया गया.
  • इसको पाकर गांव वाले काफी उत्साहित हैं.
Intro:दलितों के नाम पर वोट मांगने वाले राजनैतिक पार्टियां वोट मांगने के लिए सारे हथकंडे अपनाते तो हैं, लेकिन चुनाव जीतने के बाद उनके वादे खोखले और बेबुनियाद नजर आते हैं। जिसका जीता जागता उदाहरण गोंडा जिले के कर्नलगंज के लाला पुरवा गांव का है। जहां आजादी के 72 सालों बाद भी ना बिजली पहुंची, ना सड़क, और ना ही कोई भी सरकारी योजनाएं। गांव के लोग बस विकास की आस लगाए बैठे थे। लेकिन विकास के नाम पर अगर उन्हें कुछ मिला तो सिर्फ झूठे वादे।
ईटीवी भारत ने प्रमुखता से इस खबर को दिखाया है जिसके बाद खबर का बड़ा असर हुआ। गांव में तुरंत विकास कार्य पहुंचा। 72 साल बाद गांव में बिजली, सड़क, और सारी योजनाएं पहुंचने लगीं जिसके बाद दलित गांव के लोगों ने कहा कि विकास तो सिर्फ मोदी ने किया है इसलिए वोट भी मोदी को ही देंगे। Body:चुनावी दंगल में सभी राजनीतिक पार्टियां जातियों के आधार पर राजनीति कर रही हैं। लेकिन जाति के नाम पर वोट मांगने वाली पार्टियां क्या उनके लिए विकास का कार्य कर रही है, धरातल पर तो ऐसा संभव नहीं हो पा रहा है। लेकिन वोट मांगने के लिए हर पार्टी सारे हथकंडे अपना रही है। कुछ यही हाल कर्नलगंज क्षेत्र के लाला पुरवा गांव का था। जो पूर्ण रूप से दलित बाहुल गांव था। विकास के नाम पर और दलित के नाम पर सपा-बसपा जैसी पार्टियों ने अपनी राजनीति तो की, लेकिन आजादी के 72 साल बाद भी इस गांव को विकास के नाम पर कुछ ना हासिल हो सका। नेताओं के झूठे वादे और भरोसे ने गांव के लोगों को विकास की आस में बांध रखा था। जिसके बाद गुस्साए ग्रामीणों ने 2019 के लोकसभा चुनाव के बहिष्कार का निर्णय लिया। जिस पर सर्कल ने इस खबर को प्रमुखता से लगातार दिखाया गया। खबर चलने के बाद प्रशासन की नींद खुली, और चुनाव बहिष्कार के बाद शासन प्रशासन ने गांव का दौरा शुरू किया, जहां उनको सच्चाई और हकीकत सामने दिखी ।
सर्कल पर चलाई गई खबर का असर गांव वालों के लिए वरदान बन कर सामने आया। जिसके बाद गांव में तुरंत बिजली का कार्य, नाले का कार्य, खड़ंजा सड़कों का निर्माण, और घास और झोपड़ी में रह रहे गांव वालों के लिए प्रधानमंत्री आवास योजना का कार्य शुरू किया गया। जिसको पाकर गांव वाले काफी उत्साहित हैं।
दलित बहुल होने के बाद भी गांव के हर एक व्यक्ति के जुबान पर सिर्फ मोदी का ही नाम था। गांव के लोगों ने कहा कि विकास की बात तो सब ने की लेकिन विकास किसी ने नहीं किया। सिर्फ मोदी ने विकास किया इसलिए हमारा पूरा गांव सिर्फ मोदी को ही वोट देगा।Conclusion:बाइट 1 - मंझला (स्थानीय ग्रामीण)
बाइट 2 - रमेश कुमार ( स्थानीय ग्रामीण)
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