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गोण्डा: जमीन को लेकर राजघराने व जिला पंचायत में रार, कोर्ट में पहुंचा मामला

उत्तर प्रदेश के गोण्डा में जमीन विवाद को लेकर भाजपा सांसद कीर्तिवर्धन सिंह के पिता कुंवर आनंद सिंह और जिला पंचायत में ठन गई है. तहसीलदार का कहना है कि मामले की जांच के बाद रिपोर्ट डीएम को भेजी जाएगी.

राजघराने और जिला पंचायत में जमीन विवाद.
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Published : Oct 27, 2019, 9:04 AM IST

गोण्डा: जमीन कब्जेदारी को लेकर राजघराने से भाजपा सांसद कीर्तिवर्धन सिंह के पिता कुंवर आनंद सिंह और जिला पंचायत में ठन गई है. जिस जमीन को राजघराने ने कोर्ट से डिग्री मिलने के बाद अपनी पैतृक संपत्ति बताते हुए उस पर अपना बोर्ड लगा दिया, उस जमीन को जिला पंचायत ने अपनी बताते हुए जिलाधिकारी को रिपोर्ट भेजकर अनाधिकृत कब्जा हटवाने की मांग की है.

राजघराने और जिला पंचायत में जमीन विवाद.

जांच के बाद डीएम को भेजी जाएगी रिपोर्ट
बता दें कि मनकापुर के पुराने तहसील भवन को सांसद कीर्तिवर्धन सिंह के पिता कुंवर आनंद सिंह अपनी संपत्ति बता रहे हैं, जबकि जिला पंचायत इस जमीन पर अपना दावा कर रहा है. मामले पर तहसीलदार का कहना है कि इसकी जल्द जांच कराकर रिपोर्ट एसडीएम के माध्यम से डीएम को भेजी जाएगी.

किराये पर दिया गया था भवन
जिला पंचायत का दावा है कि यहां पहले आयुर्वेदिक अस्पताल फिर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र संचालित था. इसके बाद में वह भवन मनकापुर तहसील गठन होने के बाद 400 रुपये प्रति माह पर तहसील को किराये पर दिया गया था. वर्ष 2007 में तहसील भवन बनने के बाद तहसील अपने-अपने भवन में संचालित होने लगी.

इसे भी पढे़ें- विरोधी पार्टियां खुरचन के लिए लड़ रही हैं: कीर्तिवर्धन सिंह

न्यायलय में पहुंचा मामला
जिला पंचायत का तर्क है कि मनकापुर राजघराने की जमीन को दान की जमीन बताकर अपना दावा ठोक दिया, जबकि पूर्व सांसद राजा कुंवर आनंद सिंह ने जमीन को पुश्तैनी बताते हुए कोर्ट की डिग्री के आधार पर जमीन पर अपना बोर्ड लगा दिया है. अब तहसील के खंडहर वाली जमीन को लेकर जिला पंचायत और राजघराने में रार शुरू हो गई है. यह विवाद एक बार फिर न्यायालय में पहुंच गया.

इस संबंध में अपर मुख्य अधिकारी सतपाल ने बताया कि उक्त जमीन पर जिला पंचायत के माध्यम से आयुर्वेद अस्पताल संचालित था. यह अस्पताल जिला बोर्ड की तरफ से चलता था, लेकिन नियंत्रण जिला पंचायत का था. सन 1973 में अस्पताल का भवन अलग से बन गया. जब मनकापुर तहसील का गठन हुआ तब तत्कालीन जिलाधिकारी द्वारा जिला पंचायत को निर्देशित किया गया कि जब तक तहसील का भवन नहीं बन जाता, तब तक तहसील को किराये पर उस भवन में संचालित किया जाएगा.

राजघराने ने लगाया अपना बोर्ड
वर्ष 2007 में तहसील भवन का निर्माण होने के बाद तहसील अपने भवन में चली गई. तब जिला पंचायत ने अपनी आय बढ़ाने के लिए उस जमीन पर मार्केट बनवाने का प्रस्ताव तैयार किया, लेकिन जब उसकी तहकीकात की गई तो उस पर राजघराने ने अपना बोर्ड लगा दिया था.

कोर्ट के निर्णय का होगा अनुपालन
उन्होंने कहा कि कोर्ट में जो वाद दायर किया गया उसमें जिलाधिकारी को प्रतिवादी बनाया गया है, जबकि जमीन जिला पंचायत की है. इसी आधार पर दोबारा वाद दायर किया गया है. कोर्ट का जो भी निर्णय होगा हम उसका अनुपालन करेंगे. इस सम्बंध में तहसीलदार मनकापुर मिश्री चौहान ने बताया कि इस सम्बंध में ज्ञात हुआ है. इसकी जांच कराई जा रही है. जांच के पश्चात एसडीएम के माध्यम से रिपोर्ट जिलाधिकारी को सौंपी जाएगी. फिर इस बाबत यथोचित कार्रवाई की जाएगी.

गोण्डा: जमीन कब्जेदारी को लेकर राजघराने से भाजपा सांसद कीर्तिवर्धन सिंह के पिता कुंवर आनंद सिंह और जिला पंचायत में ठन गई है. जिस जमीन को राजघराने ने कोर्ट से डिग्री मिलने के बाद अपनी पैतृक संपत्ति बताते हुए उस पर अपना बोर्ड लगा दिया, उस जमीन को जिला पंचायत ने अपनी बताते हुए जिलाधिकारी को रिपोर्ट भेजकर अनाधिकृत कब्जा हटवाने की मांग की है.

राजघराने और जिला पंचायत में जमीन विवाद.

जांच के बाद डीएम को भेजी जाएगी रिपोर्ट
बता दें कि मनकापुर के पुराने तहसील भवन को सांसद कीर्तिवर्धन सिंह के पिता कुंवर आनंद सिंह अपनी संपत्ति बता रहे हैं, जबकि जिला पंचायत इस जमीन पर अपना दावा कर रहा है. मामले पर तहसीलदार का कहना है कि इसकी जल्द जांच कराकर रिपोर्ट एसडीएम के माध्यम से डीएम को भेजी जाएगी.

किराये पर दिया गया था भवन
जिला पंचायत का दावा है कि यहां पहले आयुर्वेदिक अस्पताल फिर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र संचालित था. इसके बाद में वह भवन मनकापुर तहसील गठन होने के बाद 400 रुपये प्रति माह पर तहसील को किराये पर दिया गया था. वर्ष 2007 में तहसील भवन बनने के बाद तहसील अपने-अपने भवन में संचालित होने लगी.

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न्यायलय में पहुंचा मामला
जिला पंचायत का तर्क है कि मनकापुर राजघराने की जमीन को दान की जमीन बताकर अपना दावा ठोक दिया, जबकि पूर्व सांसद राजा कुंवर आनंद सिंह ने जमीन को पुश्तैनी बताते हुए कोर्ट की डिग्री के आधार पर जमीन पर अपना बोर्ड लगा दिया है. अब तहसील के खंडहर वाली जमीन को लेकर जिला पंचायत और राजघराने में रार शुरू हो गई है. यह विवाद एक बार फिर न्यायालय में पहुंच गया.

इस संबंध में अपर मुख्य अधिकारी सतपाल ने बताया कि उक्त जमीन पर जिला पंचायत के माध्यम से आयुर्वेद अस्पताल संचालित था. यह अस्पताल जिला बोर्ड की तरफ से चलता था, लेकिन नियंत्रण जिला पंचायत का था. सन 1973 में अस्पताल का भवन अलग से बन गया. जब मनकापुर तहसील का गठन हुआ तब तत्कालीन जिलाधिकारी द्वारा जिला पंचायत को निर्देशित किया गया कि जब तक तहसील का भवन नहीं बन जाता, तब तक तहसील को किराये पर उस भवन में संचालित किया जाएगा.

राजघराने ने लगाया अपना बोर्ड
वर्ष 2007 में तहसील भवन का निर्माण होने के बाद तहसील अपने भवन में चली गई. तब जिला पंचायत ने अपनी आय बढ़ाने के लिए उस जमीन पर मार्केट बनवाने का प्रस्ताव तैयार किया, लेकिन जब उसकी तहकीकात की गई तो उस पर राजघराने ने अपना बोर्ड लगा दिया था.

कोर्ट के निर्णय का होगा अनुपालन
उन्होंने कहा कि कोर्ट में जो वाद दायर किया गया उसमें जिलाधिकारी को प्रतिवादी बनाया गया है, जबकि जमीन जिला पंचायत की है. इसी आधार पर दोबारा वाद दायर किया गया है. कोर्ट का जो भी निर्णय होगा हम उसका अनुपालन करेंगे. इस सम्बंध में तहसीलदार मनकापुर मिश्री चौहान ने बताया कि इस सम्बंध में ज्ञात हुआ है. इसकी जांच कराई जा रही है. जांच के पश्चात एसडीएम के माध्यम से रिपोर्ट जिलाधिकारी को सौंपी जाएगी. फिर इस बाबत यथोचित कार्रवाई की जाएगी.

Intro:जमीन कब्जेदारी को लेकर राजघराने से भाजपा सांसद कीर्तिवर्धन सिंह के पिता कुंवर आनंद सिंह व जिला पंचायत में ठन गई है। जिस जमीन को राजघराने ने कोर्ट से डिग्री मिलने के बाद अपनी पैतृक संबंधित बताते हुए उस पर अपना बोर्ड लगा दिया उस जमीन को जिला पंचायत ने अपनी जमीन बताते हुए जिलाधिकारी को रिपोर्ट भेजकर अनाधिकृत कब्जा हटवाने की मांग की। बता दें कि मनकापुर की पुरानी तहसील भवन को सांसद कीर्तिवर्धन सिंह के पिता कुँवर आनंद सिंह अपनी संपत्ति बता रहे हैं जबकि जिला पंचायत अपनी। इसमें तहसीलदार ने बताया कि इसकी जल्द जांच कराकर रिपोर्ट एसडीएम के माध्यम से जिलाधिकारी को भेजी जाएगी।


Body:जिला पंचायत का दावा है कि यहाँ पहले आयुर्वेदिक अस्पताल फिर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र संचालित था। बाद में वह भवन मनकापुर तहसील गठन होने के बाद ₹400 प्रति माह पर तहसील को किराए पर दिया गया था वर्ष 2007 में तहसील भवन बनने के बाद तहसील अपने अपने भवन में संचालित होने लगी जिला पंचायत का तर्क है कि मनकापुर राजघराने की जमीन को दान की जमीन बताकर अपना दावा ठोक दिया जबकि पूर्व सांसद राजा कुंवर आनंद सिंह ने जमीन को पुश्तैनी बताते हुए कोर्ट की डिग्री के आधार पर जमीन पर अपना बोर्ड लगा दिया है अब तहसील के खंडहर वाली जमीन को लेकर जिला पंचायत व राजघराने में रार शुरू हो गई है यह विवाद एक बार फिर न्यायालय में पहुंच गया। इस संबंध में अपर मुख्य अधिकारी सतपाल ने बताया कि उक्त जमीन पर जिला पंचायत के माध्यम से आयुर्वेद अस्पताल संचालित था यह अस्पताल जिला बोर्ड की तरफ से चलता था लेकिन नियंत्रण जिला पंचायत का था सन 1973 में अस्पताल का भवन अलग से बन गया जब मनकापुर तहसील का गठन हुआ तब तत्कालीन जिलाधिकारी द्वारा जिला पंचायत को निर्देशित किया गया कि जब तक तहसील का भवन नहीं बन जाता तब तक तहसील को किराए पर उस भवन में संचालित किया जाएगा जब 2007 में तहसील भवन का निर्माण होने के बाद तहसील अपने भवन में चली गई l तब जिला पंचायत ने अपनी आय बढ़ाने के लिए उस जमीन पर मार्केट बनवाने का प्रस्ताव तैयार किया लेकिन जब उसकी तहकीकात की गई तो उस पर राजघराने ने अपना बोर्ड लगा दिया था उन्होंने कहा कि कोर्ट में जो वाद दायर किया गया उसमें जिलाधिकारी को प्रतिवादी बनाया गया है जबकि जमीन जिला पंचायत की है उसी के आधार पर दोबारा वाद दायर किया गया है कोर्ट का जो भी निर्णय होगा उसका अनुपालन होगा

Conclusion:इस सम्बंध में तहसीलदार मनकापुर मिश्री चौहान ने बताया कि इस सम्बंध में ज्ञात हुआ है इसकी जांच कराई जा रही है जांच के पश्चात एसडीएम के माध्यम से रिपोर्ट जिलाधिकारी को सौंपी जाएगी फिर इस बाबत यथोचित कार्रवाई की जाएगी।

बाईट- 1- सतपाल(अपर मुख्य अधिकारी, जिला पंचायत)
बाईट 2- मिश्री चौहान(तहसीलदार मनकापुर)
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