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गोण्डा: एक अदद आवास के लिए तरस रही पीड़िता, नहीं हो रही कोई सुनवाई

यूपी के गोण्डा में साल 2007 में राजेश्वरी देवी को इंदिरा आवास आवंटित किया गया और कागजों में उनको पैसे का भुगतान भी किया गया, लेकिन ब्लॉक के बाबू की मिलीभगत से पैसा राजेश्वरी देवी के खाते में न जाकर किसी अन्य राजेश्वरी के खाते में भेजा गया.

सीडीओ आशीष कुमार.
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Published : Sep 25, 2019, 11:32 AM IST

गोण्डा: आजादी के बाद से ही सरकारों ने गरीब नागरिकों के लिए कई योजनाएं बनाई ताकि उनको गरीबी से मुक्ति मिल सके, लेकिन भ्रष्टाचार ने सरकार की योजनाओं पर पलीता लगा दिया है. जिले के नवाबगंज ब्लॉक के महंगूपुर गांव का मामला है. साल 2007 में राजेश्वरी देवी को इंदिरा आवास आवंटित किया गया और कागजों में उनको पैसे का भुगतान भी किया गया, लेकिन ब्लॉक के बाबू की मिलीभगत से पैसा राजेश्वरी देवी के खाते में न जाकर किसी अन्य राजेश्वरी के खाते में भेज दिया गया.

भ्रष्टाचार की मारी पीड़िता कर रही फरियाद.

इसे भी पढ़ें- सीतापुरः भू-माफियाओं से परेशान किसानों की एक मांग, 'जमीन दो-आवास दो'

पैसा राजेश्वरी के खाते में न जाकर किसी अन्य राजेश्वरी के खाते में जाता था

  • जिले के नवाबगंज ब्लॉक के महंगूपुर गांव का मामला है.
  • गरीबी का दंश झेल रही राजेश्वरी अपने छोटे-छोटे बच्चों के साथ गुजर-बसर कर रही हैं.
  • इनको जरूरत है एक छोटे से घर की ताकि सर्दी, गर्मी और बरसात में सहारा मिल सके.
  • सन 2007 में इंदिरा आवास योजना के तहत कागजों की खानापूर्ति के बाद आवास आवंटन के लिए बताया गया था.
  • राजेश्वरी पढ़ी-लिखी नहीं थी, जिसका फायदा तत्कालीन सेक्रेटरी और ब्लॉक के कर्मचारियों ने उठाया.
  • राजेश्वरी को आवास का पैसा उसके खाते में न भेज कर किसी दूसरी राजेश्वरी के खाते में भेजा गया.

पीड़ित महिला के देवर संदीप पांडे ने बताया
गांव के प्रधान से प्रधानमंत्री आवास के लिए गुहार लगाई तो उन्हें बताया गया कि आपकी भाभी को आवास बहुत पहले ही मिल चुका है और अब नहीं मिल सकता. इसके बाद संदीप ब्लॉक पर गए और जब जांच पड़ताल की तो पता चला कि पैसा खाते में भेज दिया गया था. 2007-08 में हमारी भाभी को इंदिरा आवास मिला था, जिसे सेक्रेटरी जगदंबा प्रसाद पांडे ने मिलीभगत करके हमारे गांव में ही दूसरे लोगों को दे दिया था. हम ब्लॉक पर गए, सीएम हेल्पलाइन पर भी शिकायत की, लेकिन मेरी सुनवाई नहीं हुई. इंदिरा आवास का पैसा खाते में ही जाता है. जब हमारी भाभी का खाता था ही नहीं तो फिर पैसा कहां चला गया.

एक प्रार्थी आए और उन्होंने शिकायत की है. वीडियो को लेटर लिखा गया है. मामला काफी पुराना है, इसलिए पूरे प्रकरण की जांच कराई जाएगी. पैसा किसके खाते में गया है या इसमें कौन दोषी है. जांच के बाद कार्रवाई की जाएगी.
-आशीष कुमार,सीडीओ

गोण्डा: आजादी के बाद से ही सरकारों ने गरीब नागरिकों के लिए कई योजनाएं बनाई ताकि उनको गरीबी से मुक्ति मिल सके, लेकिन भ्रष्टाचार ने सरकार की योजनाओं पर पलीता लगा दिया है. जिले के नवाबगंज ब्लॉक के महंगूपुर गांव का मामला है. साल 2007 में राजेश्वरी देवी को इंदिरा आवास आवंटित किया गया और कागजों में उनको पैसे का भुगतान भी किया गया, लेकिन ब्लॉक के बाबू की मिलीभगत से पैसा राजेश्वरी देवी के खाते में न जाकर किसी अन्य राजेश्वरी के खाते में भेज दिया गया.

भ्रष्टाचार की मारी पीड़िता कर रही फरियाद.

इसे भी पढ़ें- सीतापुरः भू-माफियाओं से परेशान किसानों की एक मांग, 'जमीन दो-आवास दो'

पैसा राजेश्वरी के खाते में न जाकर किसी अन्य राजेश्वरी के खाते में जाता था

  • जिले के नवाबगंज ब्लॉक के महंगूपुर गांव का मामला है.
  • गरीबी का दंश झेल रही राजेश्वरी अपने छोटे-छोटे बच्चों के साथ गुजर-बसर कर रही हैं.
  • इनको जरूरत है एक छोटे से घर की ताकि सर्दी, गर्मी और बरसात में सहारा मिल सके.
  • सन 2007 में इंदिरा आवास योजना के तहत कागजों की खानापूर्ति के बाद आवास आवंटन के लिए बताया गया था.
  • राजेश्वरी पढ़ी-लिखी नहीं थी, जिसका फायदा तत्कालीन सेक्रेटरी और ब्लॉक के कर्मचारियों ने उठाया.
  • राजेश्वरी को आवास का पैसा उसके खाते में न भेज कर किसी दूसरी राजेश्वरी के खाते में भेजा गया.

पीड़ित महिला के देवर संदीप पांडे ने बताया
गांव के प्रधान से प्रधानमंत्री आवास के लिए गुहार लगाई तो उन्हें बताया गया कि आपकी भाभी को आवास बहुत पहले ही मिल चुका है और अब नहीं मिल सकता. इसके बाद संदीप ब्लॉक पर गए और जब जांच पड़ताल की तो पता चला कि पैसा खाते में भेज दिया गया था. 2007-08 में हमारी भाभी को इंदिरा आवास मिला था, जिसे सेक्रेटरी जगदंबा प्रसाद पांडे ने मिलीभगत करके हमारे गांव में ही दूसरे लोगों को दे दिया था. हम ब्लॉक पर गए, सीएम हेल्पलाइन पर भी शिकायत की, लेकिन मेरी सुनवाई नहीं हुई. इंदिरा आवास का पैसा खाते में ही जाता है. जब हमारी भाभी का खाता था ही नहीं तो फिर पैसा कहां चला गया.

एक प्रार्थी आए और उन्होंने शिकायत की है. वीडियो को लेटर लिखा गया है. मामला काफी पुराना है, इसलिए पूरे प्रकरण की जांच कराई जाएगी. पैसा किसके खाते में गया है या इसमें कौन दोषी है. जांच के बाद कार्रवाई की जाएगी.
-आशीष कुमार,सीडीओ

Intro:आजादी के बाद से ही कई सरकारों ने गरीब नागरिकों के लिए कई योजनाएं बनाई ताकि उनको गरीबी से मुक्ति मिल सके। लेकिन भ्रष्टाचार ने सरकार की योजनाओं पर पलीता लगा दिया है। ऐसा ही मामला नवाबगंज ब्लॉक के महंगूपुर गांव का सामने आया है। जहां सन 2007 में राजेश्वरी देवी को इंदिरा आवास आवंटित कर दिया गया और कागजों में उनको पैसे का भुगतान भी कर दिया गया। लेकिन यहां भी ब्लॉक के बाबू की मिलीभगत से पैसा राजेश्वरी देवी के खाते में ना जाकर किसी अन्य राजेश्वरी के खाते में भेज दिया गया।


Body:गरीबी का दंश झेल रही राजेश्वरी जो अपने छोटे-छोटे बच्चों के साथ अपना गुजर-बसर कर रही है। इनको जरूरत है एक छोटे से घर की ताकि सर्दी गर्मी और बरसात में उन्हें सहारा मिल सके। सन 2007 में इंदिरा आवास योजना के तहत पात्र पाया गया और कागजों की खानापूर्ति के बाद आवास आवंटन के लिए बताया गया ।राजेश्वरी पढ़ी-लिखी नहीं जिसका फायदा तत्कालीन सेक्रेटरी और ब्लॉक के कर्मचारियों ने उठाया राजेश्वरी को आवास का पैसा जो उनके खाते में जाना था। उनके खाते में ना भेज कर किसी दूसरी राजेश्वरी के खाते में भेज दिया। राजेश्वरी यही आस लगाए बैठी थी ।उनको आवास का पैसा मिलेगा और उन्हें एक घर नसीब होगा। मामले का खुलासा तब हुआ। जब पीड़ित महिला के देवर संदीप पांडे ने गांव के प्रधान से प्रधानमंत्री आवास के लिए गुहार लगाई तो उन्हें बताया गया कि आपकी भाभी को आवास तो बहुत पहले ही मिल चुका है। अब नहीं मिल सकता। इसके बाद संदीप ब्लॉक पर गए और जब जांच पड़ताल की तो पता चला कि पैसा खाते में भेज दिया गया था। पीड़ित महिला के देवर संदीप कुमार पांडे ने बताया कि 2007 - 08 में हमारी भाभी को इंदिरा आवास मिला था। जिसे सेक्रेटरी जगदंबा प्रसाद पांडे मिलीभगत करके हमारे गांव में ही दूसरे लोगों को दे दिए। हम ब्लॉक पर गए मेरी कोई सुनवाई नहीं हुई। सीएम हेल्पलाइन पर भी शिकायत किया है। हमारे भैया और भाभी दोनों लोग अनपढ़ जब भाभी का हमारे खाता 2016 में खुला है तो फिर दो हजार सात - आठ में उनका पैसा किस खाते में भेजा गया। इंदिरा आवास का पैसा खाते में ही जाता है। जब हमारी भाभी का खाता था ही नहीं तो फिर पैसा कहां चला गया। वहीं इस मामले पर Conclusion:जिले के मुख्य विकास अधिकारी आशीस कुमार ने बताया कि अभी एक प्रार्थी आए हैं ।उन्होंने शिकायत की है। वीडियो को लेटर लिखा गया है। पूरे प्रकरण की जांच कराई जाएगी। मामला काफी पुराना है ।पैसा किस के खाते में गया है या इसमें कौन दोषी है। पैसा गया है कि नहीं जांच के बाद कार्यवाही की जाएगी।

बाईट- राजेश्वरी(पीड़िता)
बाईट- संदीप पांडेय(पीड़ित)
बाईट- आशीष कुमार(सीडीओ गोण्डा)
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