गाजीपुर : जिले का एक ऐसा गांव जहां के बच्चे सड़क ना होने के अभाव में नाव की सवारी कर प्रतिदिन अपने स्कूल जाते हैं. जी हां, हम बात कर रहे हैं जहुराबाद विधानसभा क्षेत्र के सरदरपुर गांव की. यह गांव बाढ़ और बारिश की पानी से चारों तरफ से घिरा हुआ है. इस गांव का मुख्य मार्ग भी पानी में डूबकर जलमग्न है. इसकी वजह से जनजीवन अस्त व्यस्त हो गया है. स्वास्थ्य सुविधाओं से लेकर शिक्षा व्यवस्था तक दम तोड़ती नजर आ रही है. हालात ये हैं कि परिजन अपने बच्चों की जान जोखिम में डालकर नाव से स्कूल भेजने को मजबूर हैं. ग्रामीणों का जीवन जीना मानो किसी पिजड़े में कैद हो गया है.
आपको बता दें, इस गांव का मुख्य मार्ग पानी में डूबा हुआ है. गांव चारों तरफ से पानी से घिरा हुआ है. यदि गांव का कोई व्यक्ति बीमार पड़ जाए तो मात्र एक नाव ही सहारा है. नाव के सहारे स्वास्थ्य एवं शिक्षा संचालित हो रही हैं. गांव के लोगों की दिनचर्या भी नाव पर ही चलती है. इसके बावजूद भी अभी तक कोई भी जिम्मेदार जनप्रतिनिधि, सांसद, विधायक या फिर किसी जिम्मेदार अधिकारी का पहुंचना तो समझिए गांव वालों के लिए सपना ही हो गया है.
गांव वालों का कहना था, जहूराबाद विधायक ओमप्रकाश राजभर आज तक इस गांव में एक बार भी नहीं आए हैं. वहीं सांसद वीरेंद्र सिंह मस्त भी इसकी सुध लेना मुनासिब नहीं समझ रहे हैं. आपको बता दें, इस गांव से महज 1 किलोमीटर की दूरी पर भाजपा विधायक अलका राय का गांव गोड़उर भी है . उनसे भी गांव के लोगों ने समस्या को अवगत कराया, लेकिन इसकी जिम्मेदारी किसके ऊपर है यह तय कर पाना काफी मुश्किल काम है. क्योंकि यह गांव मोहम्मदाबाद विधानसभा और जहुराबाद विधानसभा का बॉर्डर है. वहीं विधायक अलका राय का गांव सरदरपुर गांव के ठीक बगल में है.
दरअसल, सरदरपुर गांव जहुराबाद विधानसभा क्षेत्र में आता है. गांव वाले काफी चिंतित हैं कि वास्तव में हमारा जनप्रतिनिधि कौन है. भाजपा के सांसद वीरेंद्र सिंह मस्त या फिर ओमप्रकाश राजभर. यहां तक कि उस गांव के बच्चों को यह भी नहीं पता कि हमारे क्षेत्र का विधायक कौन है. इसको लेकर ग्रामीणों में खासा नाराजगी है. एक युवा ने तो यहां तक कह दिया कि इस बार यदि ओमप्रकाश राजभर चुनाव में वोट मांगने आते हैं तो उनका डंडे व जूते से स्वागत होगा.
अगर इस गांव के प्राथमिक विद्यालय की बात करें तो यहां पर 52 बच्चों का नामकरण हुआ है. लेकिन एक भी बच्चे विद्यालय में पढ़ते नहीं हैं. क्योंकि इस विद्यालय को जर्जर घोषित किया जा चुका है. और अन्य कोई जगह नहीं बनाया गया है जहां पर बच्चों की पढ़ाई हो सके. इसी जर्जर भवन में वहां के तैनात शिक्षा मित्र, सहायक अध्यापक एवं प्रधानाचार्य अपना कार्यालय चलाते हैं. इसको लेकर गांव वालों में काफी नाराजगी है. वहीं, गांव के युवा ने बताया कि गांव के किसी व्यक्ति की तबीयत खराब हो जाए तो सड़क के अभाव में गांव से बाहर निकलते ही कई बार मौत हो जाती है. यह अपने आप में शासन प्रशासन व जनप्रतिनिधियों पर बड़ा सवाल खड़ा करता है. अगर हम स्वास्थ्य की बात करें तो सड़कों के अभाव में इस गांव में कई वर्षों से एंबुलेंस भी नहीं पहुंच पायी है.
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इस मामले को लेकर जब हमने गाजीपुर जिला अधिकारी मंगला प्रसाद सिंह से बात किया तो उन्होंने मामले को संज्ञान में लेते हुए तत्काल मोहम्मदाबाद एसडीएम आशुतोष कुमार को मौके पर पहुंचकर निरीक्षण करके रास्ते को सही कराने का निर्देश दिया. अब यह पूरे मामले का पाला जिलाधिकारी के पास है. गांव वालों को अब उम्मीद है तो सिर्फ जिलाधिकारी महोदय से हैं. क्योंकि तमाम राजनीतिक विधायक, सांसद व जनप्रतिनिधियों से इस गांव वालों का भरोसा उठ चुका है. आगे क्या हो पाता है यह तो आने वाला वक्त ही बताएगा. फिलहाल जिलाधिकारी ने मोहम्मदाबाद एसडीएम को मौके का निरीक्षण कर तत्काल मुख्य मार्ग को सही कराने का निर्देश दिया है.