गाजीपुर: कोरोना काल में गैर जनपदों और गैर प्रांतों से बड़ी तादाद में प्रवासी मजदूरों की घर वापसी हुई. कोई पैदल लौटा. कोई साइकिल से तो कोई बच्चों को पीठ पर लादे जैसे तैसे घर पहुंचा. कुछ ने सड़क हादसों और रेल की पटरियों पर अपनी जान भी गंवाई. जैसे-तैसे प्रवासी मजदूर अपने गांव घर पहुंचे, तो उनके सामने पेट भरने की समस्या खड़ी हो गई. हालांकि सरकार का दावा है कि ऐसे प्रवासी मजदूरों को मनरेगा के तहत रोजगार दिया जा रहा है, लेकिन सरकारी दावों के उलट उन्हें मनरेगा में मजदूरी नहीं मिल रहा है. किसी को काम मिला भी तो भुगतान अब तक नहीं किया गया और ये हाल सिर्फ एक गांव की नहीं है, बल्कि कई गांवों की है.
3 गांवों में रियलिटी चेक
ईटीवी भारत की टीम ने गाजीपुर के 3 गांवों का रियलिटी चेक किया. गाजीपुर के मोहम्दाबाद के चांदपुर, जखनिया के शादियाबाद और खुटहन गांव में लगभग 400 से 500 मजदूर अपने हक की लड़ाई लड़ रहे हैं. मजदूरों का कहना है कि काम नहीं मिल रहा है. काम मिला भी तो किसी गांव में 10 दिन तो किसी गांव में 40 दिन और एक पैसे का भुगतान भी अब तक नहीं किया गया है.
मजदूर लगा चुके हैं अधिकारियों से गुहार
बेबस मजदूर काम के लिए जिले के सीडीओ, बीडीओ और एसडीएम तक का दरवाजा खटखटा चुके हैं, लेकिन 100 दिन का रोजगार नहीं मिल पा रहा है. बता दें कि सरकार के द्वारा शासन को निर्देशित किया गया था कि अधूरे कामों को चिन्हित कराकर पूरा कराएं, ताकि मजदूरों को काम मिले. इसके लिए जिले में कई स्थानों पर काम चिन्हित किए गए हैं, लेकिन स्थानीय प्रशासन की हीला हवाली के चलते काम नहीं हो पा रहे हैं, जिससे मजदूरों को काम मिलना मुश्किल हो गया है.
आंकड़ों का खेल
जिला प्रशासन के आंकड़ों की मानें तो गाजीपुर में कुल 3,69,852 जॉब कार्ड है. वहीं सक्रिय जॉब कार्डों की संख्या दो लाख 21 हजार लाख 65 है. मांग के मुताबिक प्रवासियों को कुल 45,560 जॉब कार्ड जारी किए गए हैं. इसके सापेक्ष 30,867 प्रवासी मजदूरों को काम मिला है. वहीं एनआईसी के आंकड़ों की बात करें तो कोरोना काल में 58,131 प्रवासी मजदूर गाजीपुर आए हैं.
गत वर्ष की तुलना में इस वर्ष 4 गुना ज्यादा काम
मजदूरों को काम न मिलने और डीबीटी के माध्यम खाते में भुगतान न होने के मामले को लेकर जब जिलाधिकारी ओमप्रकाश आर्य से बात की गई तो उन्होंने बताया कि गत वर्ष की तुलना में इस वर्ष मनरेगा के तहत 4 गुना ज्यादा काम दिया गया है. यह बात सही हो सकती है कि जितने लोग काम मांग रहे हैं, उन सभी को काम नहीं दिया गया है, लेकिन 1 वर्ष में कम से कम 90 दिन काम दिए जाने की गारंटी है, तो हम उनको इतना काम जरूर काम जरूर देंगे.
10 से 35 रुपये के भुगतान का संभव नहीं
डीएम का कहना है कि अभी हम प्रतिदिन एक लाख से ज्यादा मजदूरों को काम दे रहे हैं. यदि किसी गांव विशेष में काम न मिलने मिलने की समस्या है तो हम उन्हें अन्य कार्यदाई संस्थाओं द्वारा कराए जा रहे कामों में लगाएंगे. वहीं जब जिलाधिकारी से मजदूरों के 10 से 35 रुपये के भुगतान को लेकर सवाल किया गया तो, डीएम ने कहा कि यह संभव नहीं है, क्योंकि मनरेगा के तहत सब कुछ ऑनलाइन है. सारी प्रक्रिया पूरी करने के बाद ही मजदूरी ऑनलाइन ट्रांसफर की जाती की जाती है.
1137 गांव में मनरेगा के तहत चल रहा काम
गाजीपुर में वर्तमान समय में 16 विकासखंड है, जिसमें भावरकोल, भदौरा, देवकली, गाजीपुर, जखनिया, करंडा, कासिमाबाद, मनिहारी, मरदह, मोहम्मदाबाद, रेवतीपुर, सादात, सैदपुर, बाराचवर, बिरनो और जमानिया शामिल हैं. प्रशासन का दावा कि प्रवासी मजदूरों समेत स्थानीय मजदूरों को काम देने के लिए गाजीपुर के अलग-अलग विकास खंडों में कुल 1137 गांव में मनरेगा के तहत काम चल रहा है.