गाजीपुर: केंद्र की मोदी सरकार लगातार 'बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ' और महिला सशक्तीकरण के लिए काम कर रही है. साथ ही कन्या भ्रूण जांच और हत्या पर रोक लगाने के लिए भी प्रभावी कदम उठाए गए हैं. इससे समाज की सूरत और सोच बदल रही है. गाजीपुर में महिला सशक्तीकरण का जीता जागता उदाहरण सामने आया, जहां एक मां ने समाज के ताने की परवाह किए बगैर अपनी बेटियों का नाम बेटों के नाम पर रखा. ऐसी ही महिला हैं ममता पांडे. जिनकी केवल दो बेटियां मोहित पांडे और राज पांडे हैं. बेटी मोहित ने राष्ट्रीय स्तर पर अपनी मां और गाजीपुर का नाम रोशन किया हैं. मोहित ने वाराणसी के सम्पूर्णानन्द स्टेडियम में आयोजित नेशनल कराटे चैंपियनशिप में दो गोल्ड मेडल प्राप्त कर जिले का मान बढ़ाया है.
मोहित को मिल चुके हैं दो गोल्ड मेडल
मोहित की मां ममता अपनी बेटियों को बेटे से कम नहीं मानती. जब बेटियों का जन्म हुआ तो चारों तरफ से मिठाइयों की जगह ताने मिले थे, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी और अपनी बेटी को पढ़ा-लिखा कर काबिल बनाया. मोहित 12वीं की छात्रा हैं. साथ ही साथ वह जूडो कराटे की बेहतरीन प्लेयर हैं. उन्होंने अपने बेहतरीन खेल का प्रदर्शन करते हुए राष्ट्रीय कराटे कुंगफू प्रतियोगिता में स्वर्ण पदक हासिल कर अपने मां द्वारा दिए गए नाम को सार्थक भी किया है.
आत्मरक्षा के लिए कराटे को चुना
ईटीवी भारत से बातचीत करते हुए मोहित की मां ममता ने कहा कि उन्हें अपनी बेटियों का नाम बेटों के नाम पर इसलिए रखा, क्योंकि उनके गांव में लड़कियों को सम्मान नहीं दिया जाता है. इसलिए एक मां होते हुए उन्होंने अपनी बेटी को कराटे जैसे खतरनाक खेल में भेजना पड़ा. उन्होंने बताया कि बेटी को भेजते वक्त डर तो लगा, लेकिन हम डर के साथ तो नहीं जी सकते. साथ ही कहा कि समाज में सोच की गंदगी से आए दिन लड़कियां शिकार बन रही हैं. इसलिए वह नहीं चाहती हैं कि उनकी बेटियां किसी की शिकार बने, बल्कि वह अपने आत्मसम्मान की रक्षा खुदकर सके. साथ ही दूसरी बच्चियों को भी प्रशिक्षित कर सके.
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कराटे एकेडमी की शुरुआत की
मोहित की मां ममता बताती हैं कि मोहित जैसी बेटियों के लिए उनके द्वारा एक एकेडमी की भी शुरुआत की गई है, जिसमें कम उम्र की छोटी बच्चियों को जूडो कराटे जैसे विधाओं की ट्रेनिंग दी जाती है, ताकि वह खुद अपनी आत्मरक्षा कर सकें. बता दें कि इस ट्रेनिंग सेंटर में खुद मोहित प्रशिक्षण देती हैं. मोहित की मां ममता ने अपनी जैसी देश की अन्य मांओं से अपील की कि वह भी अपनी बच्चियों को पढ़ाई-लिखाई के साथ ही स्पोर्ट्स और कराटे की ट्रेनिंग जरूर दिलाएं.
परिवार और गांव वालों का नहीं मिला था समर्थन
ईटीवी भारत से बात करते हुए मोहित ने बताया कि उनकी मां ने दोनों बहनों को लेकर काफी परेशानियां झेली है. उन्होंने खुद लड़की होते हुए काफी परेशानी झेली है. उनको यह मुकाम उनकी मां के संघर्षों की वजह से मिला है. उन्होंने बताया कि परिवार और गांव के लोगों ने भी उनकी मां का समर्थन नहीं किया, लेकिन मां नहीं हारी. मोहित ने बताया कि उन्होंने समाज और परिवार के लोगों की परवाह किए बगैर हमें आगे बढ़ाकर काबिल बनाया.
कराटे प्लेयर मोहित बताती हैं कि एक बार कोचिंग जाते वक्त किसी ने उन्हें परेशान करने की कोशिश की, तो उन्होंने उनकी जमकर खातिरदारी कर दी. मामले का पता चलने पर उनके पिता ने कहा, "मेरी छोरियां छोरों से कम है के". वहीं मोहित की बहन राज पांडे ने कहा कि जब मोहित गोल्ड मेडल लेकर आती हैं तो उन्हें काफी खुशी होती है.