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कोरोना का कहर: नहीं मिल रहा उचित दाम, बेबस किसान पशुओं को खिला रहे सब्जियां

गाजीपुर में कोरोना के कारण हरे सब्जियों का भाव नहीं मिल रहा है. जिसके कारण इसकी खेती में लगे किसान काफी परेशान दिख रहे हैं. मजबूरी में किसान सब्जियों को बाजार में बेचने के बजाए पशुओं को खिला रहे हैं.

बेबस किसान पशुओं को खिला रहे सब्जियां
बेबस किसान पशुओं को खिला रहे सब्जियां
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Published : Jun 5, 2020, 11:22 AM IST

गाजीपुर: उत्तर प्रदेश के गाजीपुर जिले में किसान काफी परेशान हैं. बिक्री और भाव नहीं होने की वजह से किसानों की सब्जियां खेतों में पड़े-पड़े बर्बाद हो रही हैं. मजबूरन किसान लौकी और नेनुआ की फसल को चारा मशीन से काटकर पशुओं को खिला रहे हैं. वहीं केसीसी का लोन लॉकडाउन में बर्बादी के बाद किसानों को दूसरों के खेतों में मजदूरी करने को मजबूर कर रहा है.

बेबस किसान पशुओं को खिला रहे सब्जियां

लोन लेकर की थी खेती
जिले के भांवरकोल निवासी किसान उमाशंकर यादव का कहना है कि 22 हजार बीघा की दर से 20 बीघा खेत लिया था. इसके अलावा बनिहार की मजदूरी, खाद, पानी, खुद की मेहनत भी लगाई. बेबस किसान ने बताया कि पिछली बार बाढ़ ने सब कुछ खत्म कर दिया, और अब बची कसर कोरोना ने पूरी कर दी.

6 बीघे में उगाई लौकी की फसल
किसान के खेत में 6 बीघे लौकी की फसल है और बाकी बचे खेत में नेनुआ की फसल उगाई थी. किसान का कहना है कि लॉकडाउन में सब्जी की खेप न बिकने से खेतों में पड़े-पड़े लौकी और नेनुआ रूढ़ हो गए. अब चारा मशीन से काटकर मजबूरन पशुओं को खिला रहे हैं और आसपास के लोगों को मुफ्त में ही सब्जियां बांट रहे हैं. रोजाना किसान दंपति मिलकर सब्जियों को चारा मशीन में काटते हैं और पशुओं को खिलाते हैं. किसान उमाशंकर यादव की पत्नी शिव कुमारी से जब पूछा गया कि कैसे परिवार का गुजर-बसर चल रहा है ? इसका जवाब साफ-साफ उनकी आंखों से झलक रहा था.. जवाब बस यही था कि 'कूल चीज बर्बाद हो गईल.'

ईटीवी भारत की टीम जब किसान के खेत का जायजा लेने पहुंची तो पाया कि हजारों की संख्या में रूढ़ लौकी और नेनुआ खेत में बिखरे पड़े हैं. किसान ने खेत दिखाते हुए कहा कि आप खुद देख लीजिए यह सही है या गलत है, सब रुढा पड़ा हुआ है. किसान ने बताया कि केसीसी से 2,60,000 का लोन भी लिया है. ब्याज भी काफी बढ़ गया होगा. कितना बढ़ा होगा यह बैंक और भगवान जाने. कैसे चुकाऊंगा यही सोच रहा हूं. कैसे बाल-बच्चों का पालन होगा यही सोच रहा हूं ? इसलिए कलेजे को पत्थर बना रहा हूं.

बता दें, कि उमाशंकर ने पेशगी पर 20 बीघा खेत खेती करने के लिए लिया था. लेकिन लॉकडाउन में खेती बर्बाद होने के बाद अब किसान के सामने केसीसी की किस्त चुकाने की समस्या पहाड़ बनकर खड़ी है.

गाजीपुर: उत्तर प्रदेश के गाजीपुर जिले में किसान काफी परेशान हैं. बिक्री और भाव नहीं होने की वजह से किसानों की सब्जियां खेतों में पड़े-पड़े बर्बाद हो रही हैं. मजबूरन किसान लौकी और नेनुआ की फसल को चारा मशीन से काटकर पशुओं को खिला रहे हैं. वहीं केसीसी का लोन लॉकडाउन में बर्बादी के बाद किसानों को दूसरों के खेतों में मजदूरी करने को मजबूर कर रहा है.

बेबस किसान पशुओं को खिला रहे सब्जियां

लोन लेकर की थी खेती
जिले के भांवरकोल निवासी किसान उमाशंकर यादव का कहना है कि 22 हजार बीघा की दर से 20 बीघा खेत लिया था. इसके अलावा बनिहार की मजदूरी, खाद, पानी, खुद की मेहनत भी लगाई. बेबस किसान ने बताया कि पिछली बार बाढ़ ने सब कुछ खत्म कर दिया, और अब बची कसर कोरोना ने पूरी कर दी.

6 बीघे में उगाई लौकी की फसल
किसान के खेत में 6 बीघे लौकी की फसल है और बाकी बचे खेत में नेनुआ की फसल उगाई थी. किसान का कहना है कि लॉकडाउन में सब्जी की खेप न बिकने से खेतों में पड़े-पड़े लौकी और नेनुआ रूढ़ हो गए. अब चारा मशीन से काटकर मजबूरन पशुओं को खिला रहे हैं और आसपास के लोगों को मुफ्त में ही सब्जियां बांट रहे हैं. रोजाना किसान दंपति मिलकर सब्जियों को चारा मशीन में काटते हैं और पशुओं को खिलाते हैं. किसान उमाशंकर यादव की पत्नी शिव कुमारी से जब पूछा गया कि कैसे परिवार का गुजर-बसर चल रहा है ? इसका जवाब साफ-साफ उनकी आंखों से झलक रहा था.. जवाब बस यही था कि 'कूल चीज बर्बाद हो गईल.'

ईटीवी भारत की टीम जब किसान के खेत का जायजा लेने पहुंची तो पाया कि हजारों की संख्या में रूढ़ लौकी और नेनुआ खेत में बिखरे पड़े हैं. किसान ने खेत दिखाते हुए कहा कि आप खुद देख लीजिए यह सही है या गलत है, सब रुढा पड़ा हुआ है. किसान ने बताया कि केसीसी से 2,60,000 का लोन भी लिया है. ब्याज भी काफी बढ़ गया होगा. कितना बढ़ा होगा यह बैंक और भगवान जाने. कैसे चुकाऊंगा यही सोच रहा हूं. कैसे बाल-बच्चों का पालन होगा यही सोच रहा हूं ? इसलिए कलेजे को पत्थर बना रहा हूं.

बता दें, कि उमाशंकर ने पेशगी पर 20 बीघा खेत खेती करने के लिए लिया था. लेकिन लॉकडाउन में खेती बर्बाद होने के बाद अब किसान के सामने केसीसी की किस्त चुकाने की समस्या पहाड़ बनकर खड़ी है.

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