गाजीपुर : जनपद के सैदपुर तहसील के नसीरपुर गांव में पिछली सरकार ने फायर स्टेशन के निर्माण के लिए बजट की सौगात दी थी. इसके बाद लोगों में यह उम्मीद जग गई थी कि अब उनके इलाके में लोग आगलगी की घटना का शिकार नहीं होंगे, लेकिन जैसे-जैसे समय बीतता गया, लोगों की उम्मीदें टूटने लगी. मौजूदा समय में 497 लाख की लागत से बनने वाला फायर स्टेशन आज भी अधूरा पड़ा हुआ है. लोग लगातार आगलगी की घटना का शिकार होकर अपना सब कुछ लुटाने पर मजबूर हैं. इसी को देखते हुए स्थानीय जनप्रतिनिधियों ने प्रभारी मंत्री को इसके निर्माण के संबंध में पत्रक सौंपा है.
...जब जिंदा जल गया था दुकानदार
बीते दिनों नगर के तहसील मुख्यालय के सामने स्थित दुकानों में हुई अगलगी के मामले में नगर की कई संस्थाओं के तत्वावधान में नगर निवासी अनुराग जायसवाल द्वारा जिले के प्रभारी मंत्री आनंद स्वरूप शुक्ला को पत्रक देकर नसीरपुर सेहमलपुर में बन रहे फायर स्टेशन को जल्द से जल्द पूर्ण कराने की मांग की. बीते दिनों तहसील के सामने मोबाइल व फोटो स्टेट की 3 दुकानों में आग लगने से करीब 18 लाख रुपये का सामान खाक हो गया. दुकानदारों ने कर्ज लेकर दुकान को दोबारा शुरू किया. वहीं कुछ दिनों पूर्व लॉकडाउन में मुख्य बाजार स्थित रजनीश झुनझुनवाला की दुकान में आग लगने से जहां करोड़ों का नुकसान हुआ, वहीं रजनीश की जिंदा जलने से मौत हो गई. दोनों मामलों में सैदपुर या आसपास फायर स्टेशन की कमी काफी खली थी.
प्रभारी मंत्री से लोगों ने की मांग
गौरतलब है कि नसीरपुर सेहमलपुर में फायर स्टेशन का निर्माण हो रहा है, लेकिन यह अभी तक शासन-प्रशासन की लापरवाहियों व अनदेखी की भेंट चढ़ा हुआ है और अब तक अधूरा ही है. ऐसे में जिले के प्रभारी मंत्री आनंद स्वरूप शुक्ला को पत्रक देकर स्टेशन को बनवाने की मांग की गई है. स्थानीय निवासी अनुराग जायसवाल ने बताया कि 2015 में 479.17 लाख की लागत से फायर स्टेशन बन रहा है. वह 40 फीसदी बन भी चुका है, लेकिन अब भी अधूरा पड़ा हुआ है. उन्होंने मांग की है कि इस फायर स्टेशन को तत्काल बनवाकर जनता को समर्पित किया जाए.
प्रभारी मंत्री ने दिया आश्वासन
इस पूरे प्रकरण को लेकर अनूप जायसवाल के द्वारा प्रभारी मंत्री आनंद स्वरूप शुक्ला को पत्रक सौंपा गया, जिस पर प्रभारी मंत्री ने बताया कि कोरोना काल के चलते विकास के कार्यों की गति धीमी पड़ी है. उन सभी कार्यों को आने वाले बजट में प्रावधान कर गति प्रदान किया जाएगा.
आज भी अधूरा है लोगों का सपना
बताते चलें कि इस फायर स्टेशन के निर्माण का मुख्य उद्देश्य गर्मी के दिनों में खेतों में लगी फसल में होने वाली आगलगी की घटनाओं पर तत्काल काबू पाने के लिए तत्कालीन सरकार के द्वारा इस निर्माण की स्वीकृति दी गई थी, लेकिन 6 साल बीत जाने के बाद भी यहां के लोगों का यह सपना आज भी अधूरा पड़ा हुआ है. ऐसे में यहां पर यह कहावत चरितार्थ होती है कि 9 दिन चले अढ़ाई कोस.