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ETV Bharat Reality Check: दावों से अलग गौशाला की हकीकत, "30 रुपये में नहीं भरता पशुओं का पेट"

ईटीवी भारत ने गाजीपुर के करीमुद्दीनपुर स्थित निराश्रित गौआश्रय स्थल की हकीकत जानी. यहां देखने को मिला कि पशुओं को सूखा चारा दिया जा रहा है. वहीं, गौशाला प्रबंधक ने बताया कि 30 रुपये में पशुओं का पेट भरना असंभव है.

गौशाला की हकीकत
गौशाला की हकीकत
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Published : May 30, 2022, 9:17 AM IST

Updated : May 30, 2022, 11:52 AM IST

गाजीपुर: सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के अध्यक्ष एवं जहुराबाद से विधायक ओमप्रकाश राजभर हमेशा अपने बयानों को लेकर चर्चाओं में रहते हैं. अब सदन में भी वे चर्चा में हैं. शनिवार को सदन में उन्होंने निराश्रित पशुओं को लेकर बीजेपी सरकार को घेरा था. इसमें उन्होंने कहा था पशुओं के लिए 30 रुपये प्रति पशु के हिसाब से दिया जा रहा है. गौशालाओं में जो भी स्वस्थ पशु जा रहा है, वह भी वहां डुगुर-डुगुर हो जाता है, यानी कि खाए बगैर टूट जाता है. इसकी पड़ताल के लिए ईटीवी भारत की टीम गाजीपुर के करीमुद्दीनपुर स्थित निराश्रित गौआश्रय स्थल पहुंची और वहां की हकीकत जानने का प्रयास किया.

गौआश्रय स्थल प्रबंधक जितेंद्र कुमार विश्वकर्मा ने बताया कि 30 रुपये में पशुओं का पेट भरना असंभव है, इसलिए सरकार को पशुओं को दी जाने वाली धनराशि को बढ़ा देना चाहिए. अभी वर्तमान समय में करीमुद्दीनपुर की निराश्रित गौशाला में 427 पशु रखे गए हैं. इनकी एक टाइम की लागत 10 से 12 क्विंटल भूसा आती है. पशुपालकों ने बताया कि सरकार पशुओं के लिए जितनी धनराशि देती है, उतने में पशुओं का पेट भरना संभव नहीं है. किसी तरह से अनुदान में भूसा मिल जाने से काम चल रहा है. पशुपालक अरुण कुमार राय ने बताया कि इतनी मात्रा में भूसा नहीं है, जिससे कि पशुओं को लगातार एक या दो माह खिलाया जा सके.

करीमुद्दीनपुर गौशाला की हकीकत

यह भी पढ़ें: सीएम योगी को पता ही नहीं अफसर पर्दे के पीछे लूट मचाए हैं- भाकियू अध्यक्ष नरेश टिकैत

गौआश्रय स्थल में रखे गए पशुओं के स्वास्थ्य के बारे में भी जानकारी ली गई. इस दौरान पशुओं का उपचार करने वाले डॉक्टर जितेंद्र यादव भी मिले. उन्होंने बताया कि पशुओं के बीमार होने पर उनकी देखभाल की जाती है और दवाई भी दी जाती हैं. यदि दवाओं की कमी होती है तो एनजीओ के माध्यम से खरीद कर पशुओं की दवा की जाती है.

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गाजीपुर: सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के अध्यक्ष एवं जहुराबाद से विधायक ओमप्रकाश राजभर हमेशा अपने बयानों को लेकर चर्चाओं में रहते हैं. अब सदन में भी वे चर्चा में हैं. शनिवार को सदन में उन्होंने निराश्रित पशुओं को लेकर बीजेपी सरकार को घेरा था. इसमें उन्होंने कहा था पशुओं के लिए 30 रुपये प्रति पशु के हिसाब से दिया जा रहा है. गौशालाओं में जो भी स्वस्थ पशु जा रहा है, वह भी वहां डुगुर-डुगुर हो जाता है, यानी कि खाए बगैर टूट जाता है. इसकी पड़ताल के लिए ईटीवी भारत की टीम गाजीपुर के करीमुद्दीनपुर स्थित निराश्रित गौआश्रय स्थल पहुंची और वहां की हकीकत जानने का प्रयास किया.

गौआश्रय स्थल प्रबंधक जितेंद्र कुमार विश्वकर्मा ने बताया कि 30 रुपये में पशुओं का पेट भरना असंभव है, इसलिए सरकार को पशुओं को दी जाने वाली धनराशि को बढ़ा देना चाहिए. अभी वर्तमान समय में करीमुद्दीनपुर की निराश्रित गौशाला में 427 पशु रखे गए हैं. इनकी एक टाइम की लागत 10 से 12 क्विंटल भूसा आती है. पशुपालकों ने बताया कि सरकार पशुओं के लिए जितनी धनराशि देती है, उतने में पशुओं का पेट भरना संभव नहीं है. किसी तरह से अनुदान में भूसा मिल जाने से काम चल रहा है. पशुपालक अरुण कुमार राय ने बताया कि इतनी मात्रा में भूसा नहीं है, जिससे कि पशुओं को लगातार एक या दो माह खिलाया जा सके.

करीमुद्दीनपुर गौशाला की हकीकत

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गौआश्रय स्थल में रखे गए पशुओं के स्वास्थ्य के बारे में भी जानकारी ली गई. इस दौरान पशुओं का उपचार करने वाले डॉक्टर जितेंद्र यादव भी मिले. उन्होंने बताया कि पशुओं के बीमार होने पर उनकी देखभाल की जाती है और दवाई भी दी जाती हैं. यदि दवाओं की कमी होती है तो एनजीओ के माध्यम से खरीद कर पशुओं की दवा की जाती है.

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Last Updated : May 30, 2022, 11:52 AM IST
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