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वाह रे अधिकारी! जिंदा व्यक्ति को मृत दिखा बंद कर दी पेंशन - Ghazipur District Headquarters

उत्तर प्रदेश के गाजीपुर में एक दिव्यांग व्यक्ति को मृत घोषित करते हुए मिलने वाली पेंशन बंद कर दी गई. अब दिव्यांग खुद को जिंदा साबित करने के लिए सरकारी दफ्तरों के चक्कर लगाने के लिए मजबूर है.

दिव्यांग को मृत घोषित कर पेंशन बंद कर दी गई.
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Published : Sep 11, 2019, 8:36 PM IST

गाजीपुर: सरकार दिव्यांगों की बेहतरी के लाख दावे कर ले, लेकिन सरकारी योजनाएं भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ रही हैं. पूरा मामला मोहमदाबाद के भांवरकोल का है. यहां एक दिव्यांग व्यक्ति को मृत घोषित करते हुए पेंशन बंद कर दी गई. अब दिव्यांग खुद को जिंदा साबित करने के लिए सरकारी दफ्तरों के चक्कर लगाने को मजबूर है.

दिव्यांग को मृत घोषित कर बंद कर दी पेंशन.
पति-पत्नी दोनों हैं दिव्यांग
जिला मुख्यालय से तकरीबन 35 किलोमीटर दूर महेशपुर द्वितीय का नकटिकोल गांव है. यहां की दलित बस्ती में दिव्यांग दंपति चंद्रमा राम और उनकी पत्नी कौशल्या देवी रहते हैं. चंद्रमा राम दोनों पैरों से चल नहीं सकते और एक हाथ से दिव्यांग हैं. वहीं, उनकी पत्नी एक आंख से देख नहीं सकती है. अपना और पति का पेट पालने के लिए एक आंख से न दिखाई देने के बावजूद कौशल्या खेतों में मजदूरी करती हैं.
2017 से बंद है पेंशन
दिव्यांग पेंशन योजना का लाभ चंद्रमा राम को सन 2008 से मिला था, लेकिन 2017 में उन्हें मृत घोषित करते हुए मिलने वाली पेंशन बंद कर दी गई. इस बात की जानकारी 2017 में तब हुई जब चंद्रमा के खाते में 6 महीने बीत जाने के बाद भी पेंशन नहीं आई. परेशान चन्द्रमा राम ने ब्लाक के संबंधित अधिकारियों को जानकारी दी, लेकिन निराशा ही हाथ लगी. अब दिव्यांग दंपति अपने हक के लिए सरकारी कार्यालयों के चक्कर काट रहे हैं.

यह भी पढ़ें: स्कूल शिफ्ट होने से दिव्यांग साक्षी की टूटी आस, छोड़नी पड़ी पढ़ाई

साल दो साल पहले पेंशन आनी बंद हो गई. जब इस बारे में पता लगाया तो पता चला कि मुझे मृत घोषित कर दिया गया है.
चंद्रमा राम, पीड़ित दिव्यांग
जिंदा होने के बावजूद पति को मृत घोषित कर दिया गया है और पेंशन बंद कर दी गई.
कौशल्या देवी, पीड़ित दिव्यांग की पत्नी
राशन कार्ड और पेंशन की तत्काल जांच कराई जाएगी. जिम्मेदार कर्मचारियों और अधिकारियों की लापरवाही से ऐसा हुआ है. उनके खिलाफ सख्त से सख्त कार्रवाई की जाएगी.
के. बालाजी, जिलाधिकारी, गाजीपुर

गाजीपुर: सरकार दिव्यांगों की बेहतरी के लाख दावे कर ले, लेकिन सरकारी योजनाएं भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ रही हैं. पूरा मामला मोहमदाबाद के भांवरकोल का है. यहां एक दिव्यांग व्यक्ति को मृत घोषित करते हुए पेंशन बंद कर दी गई. अब दिव्यांग खुद को जिंदा साबित करने के लिए सरकारी दफ्तरों के चक्कर लगाने को मजबूर है.

दिव्यांग को मृत घोषित कर बंद कर दी पेंशन.
पति-पत्नी दोनों हैं दिव्यांग
जिला मुख्यालय से तकरीबन 35 किलोमीटर दूर महेशपुर द्वितीय का नकटिकोल गांव है. यहां की दलित बस्ती में दिव्यांग दंपति चंद्रमा राम और उनकी पत्नी कौशल्या देवी रहते हैं. चंद्रमा राम दोनों पैरों से चल नहीं सकते और एक हाथ से दिव्यांग हैं. वहीं, उनकी पत्नी एक आंख से देख नहीं सकती है. अपना और पति का पेट पालने के लिए एक आंख से न दिखाई देने के बावजूद कौशल्या खेतों में मजदूरी करती हैं.
2017 से बंद है पेंशन
दिव्यांग पेंशन योजना का लाभ चंद्रमा राम को सन 2008 से मिला था, लेकिन 2017 में उन्हें मृत घोषित करते हुए मिलने वाली पेंशन बंद कर दी गई. इस बात की जानकारी 2017 में तब हुई जब चंद्रमा के खाते में 6 महीने बीत जाने के बाद भी पेंशन नहीं आई. परेशान चन्द्रमा राम ने ब्लाक के संबंधित अधिकारियों को जानकारी दी, लेकिन निराशा ही हाथ लगी. अब दिव्यांग दंपति अपने हक के लिए सरकारी कार्यालयों के चक्कर काट रहे हैं.

यह भी पढ़ें: स्कूल शिफ्ट होने से दिव्यांग साक्षी की टूटी आस, छोड़नी पड़ी पढ़ाई

साल दो साल पहले पेंशन आनी बंद हो गई. जब इस बारे में पता लगाया तो पता चला कि मुझे मृत घोषित कर दिया गया है.
चंद्रमा राम, पीड़ित दिव्यांग
जिंदा होने के बावजूद पति को मृत घोषित कर दिया गया है और पेंशन बंद कर दी गई.
कौशल्या देवी, पीड़ित दिव्यांग की पत्नी
राशन कार्ड और पेंशन की तत्काल जांच कराई जाएगी. जिम्मेदार कर्मचारियों और अधिकारियों की लापरवाही से ऐसा हुआ है. उनके खिलाफ सख्त से सख्त कार्रवाई की जाएगी.
के. बालाजी, जिलाधिकारी, गाजीपुर

Intro:अभी जिंदा हूँ साहब, कर्मचारियों ने दो साल पहले मार डाला

गाजीपुर। सरकार दिव्यांगो की बेहतरी के लाख दावे कर ले। लेकिन सरकारी योजनाएं भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ रही है। गाजीपुर में भ्रष्टाचार का आलम यह है कि विभागीय कर्मचारियों ने दिव्यांग चंद्रमा राम को दो साल पहले ही मृत घोषित कर दिया। पूरा मामला मोहमदाबाद के भांवरकोल का है। दिव्यांग को न पेंशन मिल रही है न ही उसके हिस्से का रासन। चल न सकने के बावजूद दिव्यांग चंद्रमा राम खुद को जिंदा साबित करने के लिए सरकारी दफ्तरों के चक्कर लगाने के मजबूर हैं।





Body:जिला मुख्यालय से तकरीबन 35 किलोमीटर दूर महेशपुर द्वितीय का नकटिकोल गांव। जहां के दलित बस्ती में रहने वाले दिव्यांग दंपत्ति चंद्रमा राम एवं उनकी पत्नी कौशल्या देवी। चंद्रमा राम दोनों पैरों से चल नहीं सकते और एक हाथ से दिव्यांग है। वहीं उनकी पत्नी एक आंख से देख नहीं सकती। लेकिन भ्रष्टाचार का खेल ऐसा की दिव्यांग को मृत घोषित कर दिया गया। घर में खाने को नहीं है। लेकिन पेट भरने को रोटी तो चाहिये। अपना और पति का पेट पालने एक आंख से ना दिखाई देने के बावजूद कौशल्या खेतों में मजदूरी करती हैं।


दिव्यांग पेंशन योजना का लाभ चंद्रमा राम को सन 2008 से मिला। लेकिन 2017 मे उन्हें मृत घोषित करते हुए मिलने वाली दिव्यांग पेंशन बंद कर दी गई। इस बात की जानकारी 2017 में  तब हुई जब चंद्रमा के खाते में 6 महीना बीत जाने के बाद भी पेंशन नहीं आई। परेशान चन्द्रा राम ने ब्लॉक के संबंधित अधिकारियों को जानकारी दी। लेकिन निराशा ही हाथ लगी। अब यह दिव्यांग दंपति अपने हक के लिए सरकारी कार्यालयों के चक्कर काट रहे हैं।









Conclusion:इस मामले में जिलाधिकारी के बालाजी से बात की तो उन्होंने बताया कि राशन कार्ड और पेंशन की तत्काल जांच कराई जाएगी। साथ ही जिम्मेदार कर्मचारियों और अधिकारियों की लापरवाही से ऐसा हुआ है उनके खिलाफ सख्त से सख्त कार्रवाई की जाएगी।

बाइट - चंद्रमा राम ( पीड़ित दिव्यांग ), विजुअल
बाइट - कौशल्या देवी ( पीड़ित दिव्यांग की पत्नी )
काउंटर बाइट - के बालाजी ( जिलाधिकारी गाजीपुर )

उज्ज्वल कुमार राय, 7905590960

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