गाजीपुर: पीएम मोदी ने कोरोना से बचाव के लिए पूरे देश में लॉकडाउन घोषित कर दिया है. लॉकडाउन की वजह से दिहाड़ी मजदूर सबसे ज्यादा प्रभावित हो रहे हैं. सरकार ने दिहाड़ी मजदूरों को चिन्हित कर उनके खाते में एक हजार रुपये देने की बात कही, लेकिन मजदूरों को अभी तक पैसा नहीं मिला है. इसके कारण वह भुखमरी के कगार पर आ गए हैं.
गाजीपुर में लॉगडाउन की वजह से आज मजदूरों के थालियों पर भी ताला जड़ चुका है. मजदूरों को खाने के लिए रोटी तक मयस्सर नहीं है, जिसकी वजह से वनवासी समाज के दिहाड़ी मजदूर और उनका परिवार नमक आलू खाकर अपना पेट पाल रहे हैं.
ईटीवी भारत की टीम ने गाजीपुर जिले के मनिहारी ब्लॉक अंतर्गत बुजुर्गा कोठवा गांव के वनवासी बस्ती का रियलिटी चेक किया. वहां मौजूद ईंट भट्टों पर दिहाड़ी मजदूरी करने वाले लोगों से बातचीत की. उन्होंने बताया कि कोरोना वायरस से पहले उनके सामने अभी जिंदा रहने का संकट है.
लॉकडाउन की की वजह से काम बंद हो जाने से परिवार का पेट पालना भी मुश्किल हो गया है. बमुश्किल दूसरे खेतों से आलू की खुदाई में बचे छोटे-छोटे आलू खाकर खुद और अपने बच्चों का पेट भर रहे हैं. अब तक सरकार और जिला प्रशासन की तरफ से कोई मदद नहीं मिली है.
इसे भी पढ़ें- लॉकडाउन : सीमा सील होने के बावजूद पैदल घर लौट रहे प्रवासी मजदूर
ईटीवी भारत से बातचीत के दौरान 70 वर्षीय वनवासी बजरी ने बताया कि अब तक जिला प्रशासन का कोई भी अफसर गांव में नहीं पहुंचा. आज गांव के कुछ लोग आए थे. उन्होंने गांव वालों के सामने अपनी समस्या रखी और कहा कि अगर खाना तक नहीं मिलेगा तो कोरोना वायरस तो दूर भूख से ही मौत हो जाएगी. वहीं पनवा देवी ने बताया कि घर में दो वक्त की रोटी नहीं है, जिसके कारण उनका परिवार केवल आलू खाकर जी रहा है. लगातार आलू खाने से उल्टी हो जा रही है.