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गाजीपुर: अकीदत के साथ निकाला गया चेहल्लुम का जुलूस - chehalum procession ghazipur

गाजीपुर जिले में चेहल्लुम का जुलूस निकाला गया. यह जुलूस इमामबाड़ा वक्‍फ उम्‍मे लैला बीबी नुरुद्दीनपुरा, लोटन इमली पुलिस चौकी से निकला गया. जाकिरे अह्लेबैत इमाम हुसैन की शहादत के बाद उनके की काफिले की औरतों व बच्‍चों के ऊपर हुए जुल्‍म के बारे में एमान फरमाया गया.

अकीदत के साथ निकाला गया चेहल्लुम का जुलूस
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Published : Oct 21, 2019, 11:29 PM IST

गाजीपुर: जिले में चेहल्‍लुम का जुलूस निकाला गया. यह जुलूस इमामबाड़ा वक्‍फ उम्‍मे लैला बीबी नुरुद्दीनपुरा, लोटन इमली पुलिस चौकी से निकला गया. अंजुमन गुल्‍जारे मुहम्‍मदी की निगरानी में यह जुलूस अपने कदीमी रास्‍ते नई सब्‍जी मंडी, एमएएच इंटर कालेज, रजदेपुर टेढ़वा, रौजा, टैक्‍सी स्‍टैंड, विशेश्‍वरगंज होते हुए इमामबाड़ा पहुंचा. जाकिरे अह्लेबैत इमाम हुसैन की शहादत के बाद उनके की काफिले की औरतों व बच्‍चों के ऊपर हुए जुल्‍म के बारे में एमान फरमाया गया. जुलूस उन असीरों की याद में निकाला गया.

अकीदत के साथ निकाला गया चेहल्लुम का जुलूस
चेहल्लुम का जुलूस निकाला गया
जायरीनों ने बताया कि मुसीबतों के कारण इमाम हुसैन की चार साल की बच्‍ची जनाबे सकीना की शहादत कैदखाने में ही हो गयी थी. वहीं असीराने में इमाम हुसैन के सिद्धांतों और ऊसूलों को नहीं छोड़ा. बल्कि लोगों के इस वाकये के बारे में बताया और जागरूक किया. इमाम हुसैन ने कहा था कि मुझ जैसा इंसान मजद जैसे जालिम व जाबिर की बैमत नहीं मिल सकता.

इज्‍जत की मौत जिल्‍लत की जिंदगी से बेहतर है
जायरीनों ने बताया कि उन्‍हीं के आसिराने के कर्बला की याद में यह चेहल्‍लुम मनाया जाता है, जिसमें शहर की तमाम अंजुमे आय मातमी, नौहाख्‍वानी करती हैं. साथ ही यह संदेश भी दिया जाता है की वह सभी कर्बला में हुए शहीदों के साथ हैं. साथ ही उनकी शहादत को याद किया जाता है. अंजुमन गुल्‍जारे मुहम्‍मदी की निगरानी में यह जुलूस अपने कदीमी रास्‍ते नई सब्‍जी मंडी, एमएएच इंटर कालेज, रजदेपुर टेढ़वा, रौजा, टैक्‍सी स्‍टैंड, विशेश्‍वरगंज होते हुए इमामबाड़ा पहुंचा.

गाजीपुर: जिले में चेहल्‍लुम का जुलूस निकाला गया. यह जुलूस इमामबाड़ा वक्‍फ उम्‍मे लैला बीबी नुरुद्दीनपुरा, लोटन इमली पुलिस चौकी से निकला गया. अंजुमन गुल्‍जारे मुहम्‍मदी की निगरानी में यह जुलूस अपने कदीमी रास्‍ते नई सब्‍जी मंडी, एमएएच इंटर कालेज, रजदेपुर टेढ़वा, रौजा, टैक्‍सी स्‍टैंड, विशेश्‍वरगंज होते हुए इमामबाड़ा पहुंचा. जाकिरे अह्लेबैत इमाम हुसैन की शहादत के बाद उनके की काफिले की औरतों व बच्‍चों के ऊपर हुए जुल्‍म के बारे में एमान फरमाया गया. जुलूस उन असीरों की याद में निकाला गया.

अकीदत के साथ निकाला गया चेहल्लुम का जुलूस
चेहल्लुम का जुलूस निकाला गया
जायरीनों ने बताया कि मुसीबतों के कारण इमाम हुसैन की चार साल की बच्‍ची जनाबे सकीना की शहादत कैदखाने में ही हो गयी थी. वहीं असीराने में इमाम हुसैन के सिद्धांतों और ऊसूलों को नहीं छोड़ा. बल्कि लोगों के इस वाकये के बारे में बताया और जागरूक किया. इमाम हुसैन ने कहा था कि मुझ जैसा इंसान मजद जैसे जालिम व जाबिर की बैमत नहीं मिल सकता.

इज्‍जत की मौत जिल्‍लत की जिंदगी से बेहतर है
जायरीनों ने बताया कि उन्‍हीं के आसिराने के कर्बला की याद में यह चेहल्‍लुम मनाया जाता है, जिसमें शहर की तमाम अंजुमे आय मातमी, नौहाख्‍वानी करती हैं. साथ ही यह संदेश भी दिया जाता है की वह सभी कर्बला में हुए शहीदों के साथ हैं. साथ ही उनकी शहादत को याद किया जाता है. अंजुमन गुल्‍जारे मुहम्‍मदी की निगरानी में यह जुलूस अपने कदीमी रास्‍ते नई सब्‍जी मंडी, एमएएच इंटर कालेज, रजदेपुर टेढ़वा, रौजा, टैक्‍सी स्‍टैंड, विशेश्‍वरगंज होते हुए इमामबाड़ा पहुंचा.

Intro:अकीदत के साथ निकाला गया चेहल्लुम का जुलूस

गाजीपुर। ख़बर गाजीपुर से है। जहाँ चहल्‍लुम का जुलूस निकाला गया। जुलूस इमामबाड़ा वक्‍फ उम्‍मे लैला बीबी नुरुद्दीनपुरा, लोटन इमली पुलिस चौकी से निकला गया। अंजुमन गुल्‍जारे मुहम्‍मदी की निगरानी में यह जुलूस अपने कदीमी रास्‍ते नई सब्‍जी मंडी, एमएएच इंटर कालेज, रजदेपुर टेढ़वा, रौजा, टैक्‍सी स्‍टैंड, विशेश्‍वरगंज होते हुए इमामबाड़ा पहुंचा। जिसमे जाकिरे अह्लेबैत इमाम हुसैन की शहादत के बाद उनके की काफिले की औरतों व बच्‍चों के उपर हुए जुल्‍म के बारे में एमान फरमाया गया। जुलूस उन असीरों की याद में निकल गया।इस दौरान इमाम हुसैन की शहादत, उनके हाथों में हथकड़ी, पांव में बेड़ी, गले में खारदार तौक पहनाकर कर्बला कूफा जुलूस निकाला।


Body:जायरीनों ने बताया कि मुसीबतों के कारण इमाम हुसैन की चार साल की बच्‍ची जनाबे सकीना की शहादत कैदखाने में ही हो गयी थी। वहीं असीराने में इमाम हुसैन के सिद्धांतों और ऊसूलों को नही छोड़ा। बल्कि लोगों के इस वाकये के बारे में बताया और जागरुक किया। इमाम हुसैन ने कहा था कि मुझ जैसा इंसान मजद जैसे जालिम व जाबिर की बैमत नही मिल सकता। Conclusion:इज्‍जत की मौत जिल्‍लत की जिंदगी से बेहतर है। जायरीनों ने बताया कि उन्‍ही के आसिराने के कर्बला की याद में यह चहल्‍लुम मनाया जाता है। जिसमे शहर की तमाम अंजुमे आय मातमी, नौहाख्‍वानी करती हैं। साथ ही यह संदेश भी दिया जाता है की वह सभी कर्बला में हुए शहीदों के साथ हैं। साथ ही उनकी शहादत को याद किया जाता है।

बाइट - इकबाल ( जायरीन )
बाइट - आज़म ( जायरीन ), विजुअल

उज्ज्वल कुमार राय, 7905590960


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