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गाजीपुर में अब तक क्या रहा है सियासी समीकरण, कब कौन जीता और हारा, देखें यह खास रिपोर्ट

यूपी विधानसभा चुनाव 2022 में सोमवार को गाजीपुर में अंतिम चरण का मतदान होना है. वहीं, इस जिले की सभी विधानसभा सीटों का यूपी चुनाव में अलग महत्व है.

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Published : Mar 6, 2022, 8:33 PM IST

गाजीपुर. जनपद में सोमवार को यूपी विधानसभा चुनाव 2022 में सातवें चरण का मतदान होना है. वहीं, अगर यूपी चुनाव में गाजीपुर की विधानसभा सीटों की बात करें तो सभी सीटों का अपना एक अलग महत्व है.

इस बार गाजीपुर विधानसभा सीट के परिणाम किस सियासी पार्टी के पक्ष में होंगे, यह जनता को तय करना है लेकिन उससे पहले गाजीपुर में अब तक का सियासी समीकरण क्या रहा है, इस पर एक नजर..

जखनियां विधानसभा सीट (Jakhania Vidhansabha Seat)

जखनिया विधानसभा सीट भाजपा के लिए एक चुनौती बन गई है. 1967 से 2017 तक एक भी बार इस सीट पर भाजपा का कमल नहीं खिला है जबकि 1989 से 2017 तक यहां सपा-बसपा की जीत हार का सिलसिला बना हुआ है.

2017 में सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के त्रिवेणी राम विधायक बने थे. अगर वोटरों की बात करें तो इस सीट पर दलित वोटरों की संख्या ज्यादा है. जखनिया विधानसभा में 3,99,269 मतदाता है. इसमें दलित मतदाताओं की संख्या 91,048, यादव 68,490, राजभर 48,815, चौहान 36,665, कुशवाहा 31,530, वैश्य 18,416, मुस्लिम 18,338, ब्राह्मण 14,683 और बिंद 9770 है.

यह भी पढ़ें- उद्यमिता संस्थान के निदेशक के घर IT की छापेमारी, 4.5 करोड़ से ज्यादा की नकदी बरामद

मोहम्मदाबाद विधानसभा सीट (Mohammdabad Vidhansabha Seat)

यह सीट भूमिहार बाहुल मानी जाती है. अंसारी बंधुओं के कब्जे में काफी लंबे समय से रही है. इस सीट पर मुख़्तार अंसारी के मंझले भाई अफजाल अंसारी साल 1985 से 1996 तक अगल-अलग दलों से विधायक निर्वाचित होते रहे हैं. साल 2002 में बीजेपी के कृष्णानंद राय ने अंसारी का वर्चस्व तोड़ा. साल 2005 में कृष्णानंद राय की हत्या के बाद 2006 उपचुनाव में उनकी पत्नी अलका राय विधायक निर्वाचित हुईं.

2007 और 2012 में मुख्तार के सबसे बड़े भाई सिबगतुल्लाह अंसारी इस सीट से विधायक निर्वाचित हुए जबकि वर्तमान में बीजेपी की अलका राय इस सीट से विधायक है. अगर वोटरों की बात की जाए तो इस सीट पर अनुसूचित जाति, यादव, बनिया, ब्राह्राण मतदाता अच्छी तादाद में है जबकि मुस्लिम और अन्य पिछड़ी जातियों के मतदाता भी चुनाव में महत्पूर्ण भूमिका निभाते हैं.

जहूराबाद विधानसभा सीट (Jahoorabad Vidhansabha Seat)

इस सीट पर 2017 में सुहेलदेव भारती समाज पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष ओपी राजभर विधायक निर्वाचित हुए जबकि इससे पहले समाजवादी पार्टी की शादाब फातिमा विधायक थी. एसपी सरकार में फातिमा महिला और बाल कल्याण मंत्री भी रही है. 2017 के चुनावों में ओमप्रकाश राजभर ने इस सीट पर कुल 86583 वोट पाकर विजयी रहे. वहीं बीएसपी के कालीचरण 68502 वोट पाकर दूसरे स्थान पर रहे.

2012 में एसपी कैंडिडेट के जितने से पहले लगातार 2 चुनावों में(2002 और 2007) में बीएसपी कैंडिडेट विजयी रहे है. अगर वोटरों की बात की जाए तो इस सीट पर कुलमतदाता 377379 है. इनमें दलित 75490, राजभर 66328, यादव 43840, चौहान 33997, मुस्लिम 27697 और ब्राह्राण 14891 है.

जंगीपुर विधानसभा सीट (Jangipur Vidhansabha Seat)

यूपी चुनाव में यह सीट अपना एक विश्ष महत्व रखती है. 2017 के चुनावों में एसपी कैंडिडेट वीरेंद्र कुमार यादव इस सीट पर विजयी रहे. वहीं, रामनरेश कुशवाहा, बीजेपी कैंडिडेट के तौर पर चुनाव लड़े और 68202 वोट पाकर दूसरे स्थान पर रहे. इससे पहले वीरेंद्र के पिता कैलाश यादव इस इलाके से विधायक निर्वाचित हुए थे.

कैलाश यादव एसपी सरकार में पंचायती राज मंत्री भी रहें हैं. अगर वोटरों की बात की जाए तो इस सीट पर कुलमतदाता 3,72,858 है. इसमें दलित 52 हजार, राजभर 16 हजार, मुस्लिम 12 हजार, क्षत्रिय 47 हजार, वैश्य 20 हजार, ब्राह्राण 7 हजार और कुशवाहा 7 हजार है.

जमानियां विधानसभा सीट (Zamania Vidhansabha Seat)

जमानियां को धान का कटोरा कहा जाता है. यह क्षेत्र कृषि प्रधान है और साथ ही एशिया का सबसे बड़ा गांव भी गहमर जमानियां में ही आता है. अगर राजनीति के तौर पर देखा जाए तो 2017 के चुनावों में बीजेपी की सुनीता सिंह 76823 वोट पाकर बीएसपी कैंडिडेट अतुल राय से विजयी रहीं. इस चुनाव में अतुल राय को कुल 67559 वोट प्राप्त हुए थे.

वहीं, एसपी सरकार में पर्यटन मंत्री रहे ओपी सिंह को तीसरे स्थान पर संतोष करना पड़ा. हालांकि, इसके बाद 2019 के लोक सभा चुनावों में अतुल राय मऊ जिले की घोषी लोक सभा सीट से सांसद निर्वाचित हो गए.

बिहार के JDU एमएलए दद्दन पहलवान ने अपने बेटे करतार सिंह को जमानियां विधानसभा से निर्दल के रूप में उम्मीदवार बनाया था. अगर वोटरों की बात की जाए तो इस सीट पर कुलमतदाता 4,19,772 है. इसमें दलित 50 हजार, कुशवाहा 40 हजार, यादव 40 हजार, क्षत्रिय 30 हजार और ब्राह्मण 25 हजार हैं.

गाजीपुर सदर विधानसभा सीट (Ghazipur Vidhansabha Seat)

गाजीपुर सदर सामाजिक समरसता के लिए जानी जाती है. चुनावी समीकरण पर नजर डालें तो यहां सबसे ज्यादा कांग्रेस को सफलता मिली है. 2017 के चुनावों में बीजेपी कैंडिडेट डॉ. संगीत बलवंत 92,090 वोट पाकर विजयी रही. वहीं, एसपी कैंडिडेट राजेश कुशवाहा 59,483 वोट पाकर दूसरे स्थान पर रहे जबकि संगीत बलवंत पहली बार चुनाव लड़ने के साथ ही विधायक चुनी गयी है.

इससे पहले वह जनपद के सबसे बड़े काॅलेज पीजी काॅलेज की छात्र संघ अध्यक्ष रहीं हैं. अगर वोटरों की बात करें तो इस सीट पर कुल मतदाता 3,62,226 हैं जबकि यादव, बिंद और दलित मतदाता सबसे ज्यादा है. इसके बाद मुस्लिम और क्षत्रिय वोटरों की संख्या है. गेमचेंजर के तौर पर यहां ब्राह्मण, वैश्य, कुशवाहा, राजभर हैं.

सैदपुर विधानसभा सीट (Saidpur Vidhansabha Seat)

सैदपुर विधानसभा सीट पर पिछले दो बार के चुनावों में सपा का पलड़ा ज्यादा भारी रहा है. 2012 और 2017 में सपा के सुभाष पासी ने जीत का परचम लहराया था. वहीं, बीएसपी के राजीव किरण 59,726 वोट पाकर दूसरे स्थान पर रहे.

साथ ही कहा जाता है कि यह सीट एससी उम्मीदवारों के लिए रिजर्व है. वोटरों की बात करें तो इस सीट पर कुल मतदाता 3,98,243 हैं. इसमें दलित 75 हजार, राजभर 33 हजार, यादव 70 हजार, चौहान 12 हजार, मुस्लिम 26 हजार, कुशवाहा 22 हजार, बिंद 11 हजार और ब्राह्मण 17 हजार है.

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गाजीपुर. जनपद में सोमवार को यूपी विधानसभा चुनाव 2022 में सातवें चरण का मतदान होना है. वहीं, अगर यूपी चुनाव में गाजीपुर की विधानसभा सीटों की बात करें तो सभी सीटों का अपना एक अलग महत्व है.

इस बार गाजीपुर विधानसभा सीट के परिणाम किस सियासी पार्टी के पक्ष में होंगे, यह जनता को तय करना है लेकिन उससे पहले गाजीपुर में अब तक का सियासी समीकरण क्या रहा है, इस पर एक नजर..

जखनियां विधानसभा सीट (Jakhania Vidhansabha Seat)

जखनिया विधानसभा सीट भाजपा के लिए एक चुनौती बन गई है. 1967 से 2017 तक एक भी बार इस सीट पर भाजपा का कमल नहीं खिला है जबकि 1989 से 2017 तक यहां सपा-बसपा की जीत हार का सिलसिला बना हुआ है.

2017 में सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के त्रिवेणी राम विधायक बने थे. अगर वोटरों की बात करें तो इस सीट पर दलित वोटरों की संख्या ज्यादा है. जखनिया विधानसभा में 3,99,269 मतदाता है. इसमें दलित मतदाताओं की संख्या 91,048, यादव 68,490, राजभर 48,815, चौहान 36,665, कुशवाहा 31,530, वैश्य 18,416, मुस्लिम 18,338, ब्राह्मण 14,683 और बिंद 9770 है.

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मोहम्मदाबाद विधानसभा सीट (Mohammdabad Vidhansabha Seat)

यह सीट भूमिहार बाहुल मानी जाती है. अंसारी बंधुओं के कब्जे में काफी लंबे समय से रही है. इस सीट पर मुख़्तार अंसारी के मंझले भाई अफजाल अंसारी साल 1985 से 1996 तक अगल-अलग दलों से विधायक निर्वाचित होते रहे हैं. साल 2002 में बीजेपी के कृष्णानंद राय ने अंसारी का वर्चस्व तोड़ा. साल 2005 में कृष्णानंद राय की हत्या के बाद 2006 उपचुनाव में उनकी पत्नी अलका राय विधायक निर्वाचित हुईं.

2007 और 2012 में मुख्तार के सबसे बड़े भाई सिबगतुल्लाह अंसारी इस सीट से विधायक निर्वाचित हुए जबकि वर्तमान में बीजेपी की अलका राय इस सीट से विधायक है. अगर वोटरों की बात की जाए तो इस सीट पर अनुसूचित जाति, यादव, बनिया, ब्राह्राण मतदाता अच्छी तादाद में है जबकि मुस्लिम और अन्य पिछड़ी जातियों के मतदाता भी चुनाव में महत्पूर्ण भूमिका निभाते हैं.

जहूराबाद विधानसभा सीट (Jahoorabad Vidhansabha Seat)

इस सीट पर 2017 में सुहेलदेव भारती समाज पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष ओपी राजभर विधायक निर्वाचित हुए जबकि इससे पहले समाजवादी पार्टी की शादाब फातिमा विधायक थी. एसपी सरकार में फातिमा महिला और बाल कल्याण मंत्री भी रही है. 2017 के चुनावों में ओमप्रकाश राजभर ने इस सीट पर कुल 86583 वोट पाकर विजयी रहे. वहीं बीएसपी के कालीचरण 68502 वोट पाकर दूसरे स्थान पर रहे.

2012 में एसपी कैंडिडेट के जितने से पहले लगातार 2 चुनावों में(2002 और 2007) में बीएसपी कैंडिडेट विजयी रहे है. अगर वोटरों की बात की जाए तो इस सीट पर कुलमतदाता 377379 है. इनमें दलित 75490, राजभर 66328, यादव 43840, चौहान 33997, मुस्लिम 27697 और ब्राह्राण 14891 है.

जंगीपुर विधानसभा सीट (Jangipur Vidhansabha Seat)

यूपी चुनाव में यह सीट अपना एक विश्ष महत्व रखती है. 2017 के चुनावों में एसपी कैंडिडेट वीरेंद्र कुमार यादव इस सीट पर विजयी रहे. वहीं, रामनरेश कुशवाहा, बीजेपी कैंडिडेट के तौर पर चुनाव लड़े और 68202 वोट पाकर दूसरे स्थान पर रहे. इससे पहले वीरेंद्र के पिता कैलाश यादव इस इलाके से विधायक निर्वाचित हुए थे.

कैलाश यादव एसपी सरकार में पंचायती राज मंत्री भी रहें हैं. अगर वोटरों की बात की जाए तो इस सीट पर कुलमतदाता 3,72,858 है. इसमें दलित 52 हजार, राजभर 16 हजार, मुस्लिम 12 हजार, क्षत्रिय 47 हजार, वैश्य 20 हजार, ब्राह्राण 7 हजार और कुशवाहा 7 हजार है.

जमानियां विधानसभा सीट (Zamania Vidhansabha Seat)

जमानियां को धान का कटोरा कहा जाता है. यह क्षेत्र कृषि प्रधान है और साथ ही एशिया का सबसे बड़ा गांव भी गहमर जमानियां में ही आता है. अगर राजनीति के तौर पर देखा जाए तो 2017 के चुनावों में बीजेपी की सुनीता सिंह 76823 वोट पाकर बीएसपी कैंडिडेट अतुल राय से विजयी रहीं. इस चुनाव में अतुल राय को कुल 67559 वोट प्राप्त हुए थे.

वहीं, एसपी सरकार में पर्यटन मंत्री रहे ओपी सिंह को तीसरे स्थान पर संतोष करना पड़ा. हालांकि, इसके बाद 2019 के लोक सभा चुनावों में अतुल राय मऊ जिले की घोषी लोक सभा सीट से सांसद निर्वाचित हो गए.

बिहार के JDU एमएलए दद्दन पहलवान ने अपने बेटे करतार सिंह को जमानियां विधानसभा से निर्दल के रूप में उम्मीदवार बनाया था. अगर वोटरों की बात की जाए तो इस सीट पर कुलमतदाता 4,19,772 है. इसमें दलित 50 हजार, कुशवाहा 40 हजार, यादव 40 हजार, क्षत्रिय 30 हजार और ब्राह्मण 25 हजार हैं.

गाजीपुर सदर विधानसभा सीट (Ghazipur Vidhansabha Seat)

गाजीपुर सदर सामाजिक समरसता के लिए जानी जाती है. चुनावी समीकरण पर नजर डालें तो यहां सबसे ज्यादा कांग्रेस को सफलता मिली है. 2017 के चुनावों में बीजेपी कैंडिडेट डॉ. संगीत बलवंत 92,090 वोट पाकर विजयी रही. वहीं, एसपी कैंडिडेट राजेश कुशवाहा 59,483 वोट पाकर दूसरे स्थान पर रहे जबकि संगीत बलवंत पहली बार चुनाव लड़ने के साथ ही विधायक चुनी गयी है.

इससे पहले वह जनपद के सबसे बड़े काॅलेज पीजी काॅलेज की छात्र संघ अध्यक्ष रहीं हैं. अगर वोटरों की बात करें तो इस सीट पर कुल मतदाता 3,62,226 हैं जबकि यादव, बिंद और दलित मतदाता सबसे ज्यादा है. इसके बाद मुस्लिम और क्षत्रिय वोटरों की संख्या है. गेमचेंजर के तौर पर यहां ब्राह्मण, वैश्य, कुशवाहा, राजभर हैं.

सैदपुर विधानसभा सीट (Saidpur Vidhansabha Seat)

सैदपुर विधानसभा सीट पर पिछले दो बार के चुनावों में सपा का पलड़ा ज्यादा भारी रहा है. 2012 और 2017 में सपा के सुभाष पासी ने जीत का परचम लहराया था. वहीं, बीएसपी के राजीव किरण 59,726 वोट पाकर दूसरे स्थान पर रहे.

साथ ही कहा जाता है कि यह सीट एससी उम्मीदवारों के लिए रिजर्व है. वोटरों की बात करें तो इस सीट पर कुल मतदाता 3,98,243 हैं. इसमें दलित 75 हजार, राजभर 33 हजार, यादव 70 हजार, चौहान 12 हजार, मुस्लिम 26 हजार, कुशवाहा 22 हजार, बिंद 11 हजार और ब्राह्मण 17 हजार है.

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