गाजीपुर: जिले में टिड्डी दल का खतरा टला नहीं है. लगातार बारिश से कई खेमों में बटे टिड्डी दल का छिटपुट झुंड कभी भी हमला कर सकता है. बीते दिनों जिले में टिड्डी दल का हमला हुआ था. कुछ स्थानों पर अभी भी इनकी मौजूदगी है. कृषि विभाग की मानें तो कुछ टिड्डियों के दल छोटे-छोटे टुकड़ों में बंट गए हैं. टिड्डियों की संख्या कम होने की वजह से फिहलाल किसानों को कोई विशेष समस्या नहीं है, लेकिन आने वाले दिनों में टिड्डियों का प्रकोप बढ़ सकता है.
'फिर से टिड्डी दल कर सकते हैं आक्रमण'
ओंकार सिंह ने बताया कि हमें लगता है कि टिड्डियों का आक्रमण फिर होने वाला है. यह शुरुआत में फैलकर अलग-अलग राज्यों में गईं. इसके बाद से इनके दल टुकड़ों में बंट गए. टिड्डी दलों के टुकड़ों में अलग-अलग बंटने से इनका प्रभाव कम हुआ और क्षति भी कम हुई. लेकिन यह जहां भी रुके उन्होंने प्रजनन कर वहां अपने अंडे दिए हैं. वातावरण में भी अभी आद्रता ज्यादा है. मानसून की वजह से बारिश ज्यादा हो रही है, इसलिए यह समय टिड्डियों के प्रजनन के लिए बिल्कुल मुफीद है.
'किसानों को किया जा रहा प्रशिक्षित'
प्रजनन के बाद उनके अंडे से बड़ी संख्या में नए बच्चे आएंगे, इनकी बड़ी फौज तैयार हो रही है. यदि इनका आक्रमण हुआ तो वह फसलों को लिए खतरनाक होगा. उन्होंने बताया कि दोबारा होने वाले टिड्डियों के हमले के लिए किसानों को विशेष तौर पर प्रशिक्षित किया जा रहा है. इसके लिए किसानों का हमेशा अपने खेतों का सर्विलांस करते रहना जरूरी है. टिड्डियों का प्रकोप होने पर किसान तत्काल इसकी जानकारी कृषि विशेषज्ञों को दें.
'लाखों की संख्या में टिड्डियां देती हैं अंडे'
कृषि विशेषज्ञ ने बताया कि किसान टिड्डियों से बचाव के लिए क्लोरो पायरो फॉस का छिड़काव करें, साथ ही अपने खेतों में लाइट ट्रैप लगाएं. टिड्डिया जहां भी बैठती हैं वह लाखों की संख्या में अंडे देती हैं. वह फसलों और मिट्टी में अपने अंडे छोड़ देती हैं. कुछ नए बच्चे उनके साथ उड़ जाते हैं, बाकी अंडे वहीं छूट जाते हैं. तब तक टिड्डी दल काफी दूर निकल चुका होता है. इसके बाद छूटे अंडों में से नए शिशु पैदा होते हैं.
'खेत की करें गहरी जुताई'
टिड्डियों के प्रजनन को रोकने के लिए किसान सबसे पहले अपने खेत की गहरी जुताई करें. गहरी जुताई से टिड्डियों के अंडे नष्ट हो जाएंगे. यदि किसान चाहें तो कृषि विशेषज्ञ की सलाह लेकर 25 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर की दर से मेलेथियान पाउडर का छिड़काव कर सकते हैं. इसका छिड़काव कृषि विशेषज्ञ से अनुमति लेकर ही करें. किसानों को खुद जागरूक होकर टिड्डी दलों के आक्रमणों से बचाव करना होगा.