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NGT के निर्देश पर मचा घमासान, नो कंस्ट्रक्शन जोन को लेकर कोर्ट जाएगा पीड़ित पक्ष

यूपी के गाजीपुर जिले में प्रशासन ने शम्म ए हुसैनी मेडिकल कॉलेज को एनजीटी के निर्देशों की अनदेखी का हवाला देकर जमींदोज कर दिया है. अब इस नो कंस्ट्रक्शन जोन के मामले को लेकर पीड़ित पक्ष कोर्ट जाने की तैयारी में है.

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Published : Oct 28, 2020, 1:31 PM IST

प्रशासन ने शम्म ए हुसैनी मेडिकल कॉलेज को एनजीटी के निर्देशों की अनदेखी का हवाला देकर जमींदोज कर दिया
प्रशासन ने शम्म ए हुसैनी मेडिकल कॉलेज को एनजीटी के निर्देशों की अनदेखी का हवाला देकर जमींदोज कर दिया

गाजीपुर: जिले में वीर अब्दुल हमीद सेतु के बगल में बनाए गए शम्म ए हुसैनी मेडिकल कॉलेज को एनजीटी के नियमों का हवाला देकर गाजीपुर जिला प्रशासन जमींदोज करा रहा था. इस मामले में हाई कोर्ट ने अस्पताल के ध्वस्तीकरण पर 3 नवंबर तक रोक लगा दी है. वहीं अब अस्पताल प्रशासन और जिला प्रशासन के बीच एनजीटी के नो कंस्ट्रक्शन जोन की गाइडलाइन और मास्टर प्लान के अधिकार क्षेत्र को लेकर नया विवाद छिड़ गया है.

प्रशासन ने शम्म ए हुसैनी मेडिकल कॉलेज ढहाया
एनजीटी का 200 मीटर है नो कंस्ट्रक्शन ज़ोन
गाजीपुर जिला प्रशासन की माने तो शम्म ए हुसैनी अस्पताल का निर्माण एनजीटी के निर्देशों को ताक पर रखते हुए गंगा के 200 मीटर के दायरे में किया गया. इसके साथ ही विनियमित क्षेत्र गाजीपुर का अधिकार क्षेत्र होने के बावजूद मास्टर प्लान से नक्शा स्वीकृत कराये बगैर निर्माण कराया गया था. इस मामले में नियत प्राधिकारी विनियमित क्षेत्र एसडीएम सदर प्रभास कुमार ने मामले की जांच के बाद सुनवाई करते हुए ध्वस्तीकरण का आदेश दिया था.
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जिला प्रशासन ने भारी पुलिस फोर्स के साथ शम्म ए हुसैनी मेडिकल कॉलेज का 24 अक्टूबर से ध्वस्तीकरण शुरू कर दिया.
अस्पताल प्रशासन की मानें तो एनजीटी की गाइडलाइंस के मुताबिक गाजीपुर में केवल 100 मीटर ही कंस्ट्रक्शन जोन है, जबकि जिला प्रशासन ने 200 मीटर नो कंस्ट्रक्शन जोन बताकर गंगा किनारे से अस्पताल की दीवार की दूरी नापी. अस्पताल और गंगा के बीच की दूरी का मापन हमीद सेतु के दूसरे पिलर के पास गंगबरार से किया जाना था, जो रिकॉर्ड में दर्ज है. वहीं गंगबरार से शम्म ए हुसैनी अस्पताल की मध्य 201 मीटर दूरी रखने का बाद ही अस्पताल का निर्माण कराया गया है, जो जिला प्रशासन द्वारा बनाई गई एनजीटी की परिधि के भी बाहर है.
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अस्पताल प्रशासन और जिला प्रशासन के बीच एनजीटी के नो कंस्ट्रक्शन जोन की गाइडलाइन और मास्टर प्लान के अधिकार क्षेत्र को लेकर नया विवाद छिड़ गया है.
अस्पताल प्रशासन की मानें तो अस्पताल का निर्माण स्थल रौज़ा शाह बरखुरदार में है, जो मास्टर प्लान के तहत नहीं, बल्कि ग्राम सभा में आता है, जो मास्टर प्लान का अधिकार क्षेत्र नहीं है. ऐसे में गाजीपुर जिला प्रशासन द्वारा नक्शा पास कराए बगैर अस्पताल निर्माण कराने की बात भी गलत है. क्योंकि विनियमित क्षेत्र गाजीपुर की सीमा विस्तार के समय शासन को भेजे गए प्रस्ताव में रौजा शाह बरखुदार मास्टर प्लान का हिस्सा था. लेकिन लखनऊ से स्वीकृत मास्टर प्लान के सीमा क्षेत्र में इसे शामिल नहीं किया गया. केवल झींगुर पट्टी तक ही विनियमित क्षेत्र है. अस्पताल प्रशासन के मुताबिक यदि मामला एनजीटी की गाइडलाइन की अनदेखी का था तो एनजीटी के समक्ष मामला भेजा जाता.
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स्पताल प्रशासन की मानें तो अस्पताल का निर्माण स्थल रौज़ा शाह बरखुरदार में है, जो मास्टर प्लान के तहत नहीं, बल्कि ग्राम सभा में आता है, जो मास्टर प्लान का अधिकार क्षेत्र नहीं है.
मेडिकल कॉलेज का निर्माण गंगबरार से 201 मीटर दूर
योगी सरकार एंटी माफिया अभियान के तहत लगातार बड़ी कार्रवाई कर रही है. एंटी माफिया अभियान के तहत गाजीपुर जिला प्रशासन ने बाहुबली विधायक मुख्तार अंसारी के खास करीबी डॉ आज़म के मेडिकल कालेज और ट्रॉमा सेंटर को ढहा दिया. वहीं डॉ आज़म कादरी ने खुद को मुख्तार अंसारी से अलग बताया है.
ghAZIPUR NEWS
बाहुबली विधायक मुख्तार अंसारी के खास करीबी डॉ आज़म कादरी

ईटीवी भारत से खास बातचीत में उन्होंने बताया कि वह 1990 से शिक्षण कार्य से जुड़े हैं. क्राइम, जमीन या किसी भी मामले में मुख्तार अंसारी से उनका कोई लेना देना नहीं है. अस्पताल निर्माण के बाबत उन्होंने बताया कि गाजीपुर के लिए एनजीटी के गाइडलाइंस के मुताबिक गंगा किनारे 100 मीटर नो कंस्ट्रक्शन जोन है, जबकि मेडिकल कॉलेज का निर्माण 201 मीटर दूरी पर कराया गया है.

ध्वस्तीकरण पर हाई कोर्ट ने लगाई रोक

कादरी ने बताया कि अस्पताल का निर्माण एनजीटी के दायरे से बाहर है. निर्माण के वक्त तहसीलदार से रिपोर्ट लेकर ही निर्माण कराया गया, अब जिला प्रशासन ने यह दूरी महज पचास मीटर बताई है. यदि वह ऐसा मानते थे तो इन्हें एनजीटी को मामला संदर्भित करना था. एनजीटी खुद एक्शन लेती, लेकिन जिला प्रशासन द्वारा एनजीटी के नियमों का दुरुपयोग कर यह कार्रवाई की गई है.

इस मामले को लेकर हम हाई कोर्ट गए थे. हाई कोर्ट ने स्टे दिया है. 3 नवंबर को सुनवाई होनी है. वहीं निर्माण स्थल मास्टर प्लान एरिया से बाहर है. उन्होंने बताया कि अस्पताल की बिल्डिंग बनने के बाद 2010 में नोटिस जारी किया गया था. मामला हाई कोर्ट गया तब हाई कोर्ट ने 14 दिन के अंदर नक्शा पास करने का निर्देश दिया था. हाईकोर्ट के आदेश के बावजूद मास्टर प्लान द्वारा कोई नक्शा पास नहीं किया, क्योंकि वह इनका अधिकार क्षेत्र नहीं था.

डीएम कोर्ट कर चुका है अपील खारिज

शम्म ए हुसैनी मेडिकल कालेज के अवैध निर्माण के बाबत जिला प्रशासन ने पिछले 8 अक्टूबर को नोटिस जारी किया था, जिसमें मालिकानों को खुद 14 अक्टूबर तक निर्माण ध्वस्त करने का आदेश दिया था, जिसके बाद अस्पताल प्रशासन ने जिला प्रशासन के आदेश को हाईकोर्ट में चुनौती दी. हाईकोर्ट याची को डीएम के समक्ष अपील करने का निर्देश दिया था. डीएम मंगला प्रसाद सिंह ने 23 अक्टूबर को अस्पताल की अपील खरीज कर दी.


अस्पताल का तीन चौथाई हिस्सा मलबे में तब्दील

जिला प्रशासन ने भारी पुलिस फोर्स के साथ शम्म ए हुसैनी मेडिकल कॉलेज का 24 अक्टूबर से ध्वस्तीकरण शुरू कर दिया. जिला प्रशासन लगभग 90 करोड़ रुपये की अवैध सम्पत्ति को बुलडोजर चला कर जमींदोज कर दिया है. बीते 26 अक्टूबर को हाईकोर्ट ने ध्वस्तीकरण पर रोक लगा दी. फिलहाल अस्पताल का तीन चौथाई हिस्सा मलबे में तब्दील हो चुका है. अब देखना यह है कि इस मामले में एनजीटी की गाइडलाइंस के घमासान पर कोर्ट का क्या रुख रहता है. क्योंकि मामला अब हाई कोर्ट में चल रहा है, जिसकी सुनवाई 3 नवंबर को होनी है.

गाजीपुर: जिले में वीर अब्दुल हमीद सेतु के बगल में बनाए गए शम्म ए हुसैनी मेडिकल कॉलेज को एनजीटी के नियमों का हवाला देकर गाजीपुर जिला प्रशासन जमींदोज करा रहा था. इस मामले में हाई कोर्ट ने अस्पताल के ध्वस्तीकरण पर 3 नवंबर तक रोक लगा दी है. वहीं अब अस्पताल प्रशासन और जिला प्रशासन के बीच एनजीटी के नो कंस्ट्रक्शन जोन की गाइडलाइन और मास्टर प्लान के अधिकार क्षेत्र को लेकर नया विवाद छिड़ गया है.

प्रशासन ने शम्म ए हुसैनी मेडिकल कॉलेज ढहाया
एनजीटी का 200 मीटर है नो कंस्ट्रक्शन ज़ोन
गाजीपुर जिला प्रशासन की माने तो शम्म ए हुसैनी अस्पताल का निर्माण एनजीटी के निर्देशों को ताक पर रखते हुए गंगा के 200 मीटर के दायरे में किया गया. इसके साथ ही विनियमित क्षेत्र गाजीपुर का अधिकार क्षेत्र होने के बावजूद मास्टर प्लान से नक्शा स्वीकृत कराये बगैर निर्माण कराया गया था. इस मामले में नियत प्राधिकारी विनियमित क्षेत्र एसडीएम सदर प्रभास कुमार ने मामले की जांच के बाद सुनवाई करते हुए ध्वस्तीकरण का आदेश दिया था.
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जिला प्रशासन ने भारी पुलिस फोर्स के साथ शम्म ए हुसैनी मेडिकल कॉलेज का 24 अक्टूबर से ध्वस्तीकरण शुरू कर दिया.
अस्पताल प्रशासन की मानें तो एनजीटी की गाइडलाइंस के मुताबिक गाजीपुर में केवल 100 मीटर ही कंस्ट्रक्शन जोन है, जबकि जिला प्रशासन ने 200 मीटर नो कंस्ट्रक्शन जोन बताकर गंगा किनारे से अस्पताल की दीवार की दूरी नापी. अस्पताल और गंगा के बीच की दूरी का मापन हमीद सेतु के दूसरे पिलर के पास गंगबरार से किया जाना था, जो रिकॉर्ड में दर्ज है. वहीं गंगबरार से शम्म ए हुसैनी अस्पताल की मध्य 201 मीटर दूरी रखने का बाद ही अस्पताल का निर्माण कराया गया है, जो जिला प्रशासन द्वारा बनाई गई एनजीटी की परिधि के भी बाहर है.
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अस्पताल प्रशासन और जिला प्रशासन के बीच एनजीटी के नो कंस्ट्रक्शन जोन की गाइडलाइन और मास्टर प्लान के अधिकार क्षेत्र को लेकर नया विवाद छिड़ गया है.
अस्पताल प्रशासन की मानें तो अस्पताल का निर्माण स्थल रौज़ा शाह बरखुरदार में है, जो मास्टर प्लान के तहत नहीं, बल्कि ग्राम सभा में आता है, जो मास्टर प्लान का अधिकार क्षेत्र नहीं है. ऐसे में गाजीपुर जिला प्रशासन द्वारा नक्शा पास कराए बगैर अस्पताल निर्माण कराने की बात भी गलत है. क्योंकि विनियमित क्षेत्र गाजीपुर की सीमा विस्तार के समय शासन को भेजे गए प्रस्ताव में रौजा शाह बरखुदार मास्टर प्लान का हिस्सा था. लेकिन लखनऊ से स्वीकृत मास्टर प्लान के सीमा क्षेत्र में इसे शामिल नहीं किया गया. केवल झींगुर पट्टी तक ही विनियमित क्षेत्र है. अस्पताल प्रशासन के मुताबिक यदि मामला एनजीटी की गाइडलाइन की अनदेखी का था तो एनजीटी के समक्ष मामला भेजा जाता.
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स्पताल प्रशासन की मानें तो अस्पताल का निर्माण स्थल रौज़ा शाह बरखुरदार में है, जो मास्टर प्लान के तहत नहीं, बल्कि ग्राम सभा में आता है, जो मास्टर प्लान का अधिकार क्षेत्र नहीं है.
मेडिकल कॉलेज का निर्माण गंगबरार से 201 मीटर दूर
योगी सरकार एंटी माफिया अभियान के तहत लगातार बड़ी कार्रवाई कर रही है. एंटी माफिया अभियान के तहत गाजीपुर जिला प्रशासन ने बाहुबली विधायक मुख्तार अंसारी के खास करीबी डॉ आज़म के मेडिकल कालेज और ट्रॉमा सेंटर को ढहा दिया. वहीं डॉ आज़म कादरी ने खुद को मुख्तार अंसारी से अलग बताया है.
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बाहुबली विधायक मुख्तार अंसारी के खास करीबी डॉ आज़म कादरी

ईटीवी भारत से खास बातचीत में उन्होंने बताया कि वह 1990 से शिक्षण कार्य से जुड़े हैं. क्राइम, जमीन या किसी भी मामले में मुख्तार अंसारी से उनका कोई लेना देना नहीं है. अस्पताल निर्माण के बाबत उन्होंने बताया कि गाजीपुर के लिए एनजीटी के गाइडलाइंस के मुताबिक गंगा किनारे 100 मीटर नो कंस्ट्रक्शन जोन है, जबकि मेडिकल कॉलेज का निर्माण 201 मीटर दूरी पर कराया गया है.

ध्वस्तीकरण पर हाई कोर्ट ने लगाई रोक

कादरी ने बताया कि अस्पताल का निर्माण एनजीटी के दायरे से बाहर है. निर्माण के वक्त तहसीलदार से रिपोर्ट लेकर ही निर्माण कराया गया, अब जिला प्रशासन ने यह दूरी महज पचास मीटर बताई है. यदि वह ऐसा मानते थे तो इन्हें एनजीटी को मामला संदर्भित करना था. एनजीटी खुद एक्शन लेती, लेकिन जिला प्रशासन द्वारा एनजीटी के नियमों का दुरुपयोग कर यह कार्रवाई की गई है.

इस मामले को लेकर हम हाई कोर्ट गए थे. हाई कोर्ट ने स्टे दिया है. 3 नवंबर को सुनवाई होनी है. वहीं निर्माण स्थल मास्टर प्लान एरिया से बाहर है. उन्होंने बताया कि अस्पताल की बिल्डिंग बनने के बाद 2010 में नोटिस जारी किया गया था. मामला हाई कोर्ट गया तब हाई कोर्ट ने 14 दिन के अंदर नक्शा पास करने का निर्देश दिया था. हाईकोर्ट के आदेश के बावजूद मास्टर प्लान द्वारा कोई नक्शा पास नहीं किया, क्योंकि वह इनका अधिकार क्षेत्र नहीं था.

डीएम कोर्ट कर चुका है अपील खारिज

शम्म ए हुसैनी मेडिकल कालेज के अवैध निर्माण के बाबत जिला प्रशासन ने पिछले 8 अक्टूबर को नोटिस जारी किया था, जिसमें मालिकानों को खुद 14 अक्टूबर तक निर्माण ध्वस्त करने का आदेश दिया था, जिसके बाद अस्पताल प्रशासन ने जिला प्रशासन के आदेश को हाईकोर्ट में चुनौती दी. हाईकोर्ट याची को डीएम के समक्ष अपील करने का निर्देश दिया था. डीएम मंगला प्रसाद सिंह ने 23 अक्टूबर को अस्पताल की अपील खरीज कर दी.


अस्पताल का तीन चौथाई हिस्सा मलबे में तब्दील

जिला प्रशासन ने भारी पुलिस फोर्स के साथ शम्म ए हुसैनी मेडिकल कॉलेज का 24 अक्टूबर से ध्वस्तीकरण शुरू कर दिया. जिला प्रशासन लगभग 90 करोड़ रुपये की अवैध सम्पत्ति को बुलडोजर चला कर जमींदोज कर दिया है. बीते 26 अक्टूबर को हाईकोर्ट ने ध्वस्तीकरण पर रोक लगा दी. फिलहाल अस्पताल का तीन चौथाई हिस्सा मलबे में तब्दील हो चुका है. अब देखना यह है कि इस मामले में एनजीटी की गाइडलाइंस के घमासान पर कोर्ट का क्या रुख रहता है. क्योंकि मामला अब हाई कोर्ट में चल रहा है, जिसकी सुनवाई 3 नवंबर को होनी है.

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