गाजीपुर: जिले में वीर अब्दुल हमीद सेतु के बगल में बनाए गए शम्म ए हुसैनी मेडिकल कॉलेज को एनजीटी के नियमों का हवाला देकर गाजीपुर जिला प्रशासन जमींदोज करा रहा था. इस मामले में हाई कोर्ट ने अस्पताल के ध्वस्तीकरण पर 3 नवंबर तक रोक लगा दी है. वहीं अब अस्पताल प्रशासन और जिला प्रशासन के बीच एनजीटी के नो कंस्ट्रक्शन जोन की गाइडलाइन और मास्टर प्लान के अधिकार क्षेत्र को लेकर नया विवाद छिड़ गया है.
ईटीवी भारत से खास बातचीत में उन्होंने बताया कि वह 1990 से शिक्षण कार्य से जुड़े हैं. क्राइम, जमीन या किसी भी मामले में मुख्तार अंसारी से उनका कोई लेना देना नहीं है. अस्पताल निर्माण के बाबत उन्होंने बताया कि गाजीपुर के लिए एनजीटी के गाइडलाइंस के मुताबिक गंगा किनारे 100 मीटर नो कंस्ट्रक्शन जोन है, जबकि मेडिकल कॉलेज का निर्माण 201 मीटर दूरी पर कराया गया है.
ध्वस्तीकरण पर हाई कोर्ट ने लगाई रोक
कादरी ने बताया कि अस्पताल का निर्माण एनजीटी के दायरे से बाहर है. निर्माण के वक्त तहसीलदार से रिपोर्ट लेकर ही निर्माण कराया गया, अब जिला प्रशासन ने यह दूरी महज पचास मीटर बताई है. यदि वह ऐसा मानते थे तो इन्हें एनजीटी को मामला संदर्भित करना था. एनजीटी खुद एक्शन लेती, लेकिन जिला प्रशासन द्वारा एनजीटी के नियमों का दुरुपयोग कर यह कार्रवाई की गई है.
इस मामले को लेकर हम हाई कोर्ट गए थे. हाई कोर्ट ने स्टे दिया है. 3 नवंबर को सुनवाई होनी है. वहीं निर्माण स्थल मास्टर प्लान एरिया से बाहर है. उन्होंने बताया कि अस्पताल की बिल्डिंग बनने के बाद 2010 में नोटिस जारी किया गया था. मामला हाई कोर्ट गया तब हाई कोर्ट ने 14 दिन के अंदर नक्शा पास करने का निर्देश दिया था. हाईकोर्ट के आदेश के बावजूद मास्टर प्लान द्वारा कोई नक्शा पास नहीं किया, क्योंकि वह इनका अधिकार क्षेत्र नहीं था.
डीएम कोर्ट कर चुका है अपील खारिज
शम्म ए हुसैनी मेडिकल कालेज के अवैध निर्माण के बाबत जिला प्रशासन ने पिछले 8 अक्टूबर को नोटिस जारी किया था, जिसमें मालिकानों को खुद 14 अक्टूबर तक निर्माण ध्वस्त करने का आदेश दिया था, जिसके बाद अस्पताल प्रशासन ने जिला प्रशासन के आदेश को हाईकोर्ट में चुनौती दी. हाईकोर्ट याची को डीएम के समक्ष अपील करने का निर्देश दिया था. डीएम मंगला प्रसाद सिंह ने 23 अक्टूबर को अस्पताल की अपील खरीज कर दी.
अस्पताल का तीन चौथाई हिस्सा मलबे में तब्दील
जिला प्रशासन ने भारी पुलिस फोर्स के साथ शम्म ए हुसैनी मेडिकल कॉलेज का 24 अक्टूबर से ध्वस्तीकरण शुरू कर दिया. जिला प्रशासन लगभग 90 करोड़ रुपये की अवैध सम्पत्ति को बुलडोजर चला कर जमींदोज कर दिया है. बीते 26 अक्टूबर को हाईकोर्ट ने ध्वस्तीकरण पर रोक लगा दी. फिलहाल अस्पताल का तीन चौथाई हिस्सा मलबे में तब्दील हो चुका है. अब देखना यह है कि इस मामले में एनजीटी की गाइडलाइंस के घमासान पर कोर्ट का क्या रुख रहता है. क्योंकि मामला अब हाई कोर्ट में चल रहा है, जिसकी सुनवाई 3 नवंबर को होनी है.