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गाजियाबाद: शिवरात्रि को लेकर दूधेश्वर नाथ मंदिर में बढ़ाई गई सुरक्षा व्यवस्था

महाशिवरात्रि को लेकर गाजियाबाद के प्राचीन दूधेश्वर नाथ मंदिर में सुरक्षा बढ़ा दी गई है. मंदिर के परिसर और बाहर गुंडा दमन दल की भी तैनाती कर दी गई है.

शिवरात्रि को लेकर दूधेश्वर नाथ मंदिर में बढ़ाई गई सुरक्षा व्यवस्था
शिवरात्रि को लेकर दूधेश्वर नाथ मंदिर में बढ़ाई गई सुरक्षा व्यवस्था
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Published : Mar 10, 2021, 1:09 PM IST

गाजियाबाद: 11 मार्च को देश भर के मंदिरों में शिवरात्रि महापर्व पर श्रद्धालुओं की भीड़ उमरेगी. देश के 8 प्रसिद्ध मंदिर मठों में से एक दूधेश्वर नाथ मंदिर मठ में शिवरात्रि के मौके पर लाखों श्रद्धालु पहुंचते हैं. जिसको देखते हुए यहां सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए हैं.

रिपोर्ट देखिए

मान्यता है कि प्राचीन काल में इस मंदिर में रावण ने भी पूजा अर्चना की थी. महाशिवरात्रि को लेकर मंदिर को सजाया भी गया है. भक्तों के आने और उन्हें व्यवस्थित करने की व्यवस्था भी मंदिर प्रशासन की तरफ से की जा रही है. मंदिर की सजावट में परिसर से लेकर बाहर के हिस्से तक फूलों की सजावट की व्यवस्था की जा रही है. इस दौरान कोरोना प्रोटोकॉल कॉल का भी ध्यान रखा जाएगा.

पढ़ें-जानिए केजरीवाल सरकार ने किस सेक्टर को कितना बजट दिया...!

मान्यता है कि प्राचीन काल में मंदिर वाली जगह पर एक टीला होता था और एक गाय यहां रोजाना आती थी. गाय स्वयंभू दूध दिया करती थी. लोगों ने जब वहां पर खुदाई की तो भगवान दूधेश्वर प्रकट हुए और तभी से यहां भगवान दूधेश्वर का मंदिर है.

गाजियाबाद: 11 मार्च को देश भर के मंदिरों में शिवरात्रि महापर्व पर श्रद्धालुओं की भीड़ उमरेगी. देश के 8 प्रसिद्ध मंदिर मठों में से एक दूधेश्वर नाथ मंदिर मठ में शिवरात्रि के मौके पर लाखों श्रद्धालु पहुंचते हैं. जिसको देखते हुए यहां सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए हैं.

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मान्यता है कि प्राचीन काल में इस मंदिर में रावण ने भी पूजा अर्चना की थी. महाशिवरात्रि को लेकर मंदिर को सजाया भी गया है. भक्तों के आने और उन्हें व्यवस्थित करने की व्यवस्था भी मंदिर प्रशासन की तरफ से की जा रही है. मंदिर की सजावट में परिसर से लेकर बाहर के हिस्से तक फूलों की सजावट की व्यवस्था की जा रही है. इस दौरान कोरोना प्रोटोकॉल कॉल का भी ध्यान रखा जाएगा.

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मान्यता है कि प्राचीन काल में मंदिर वाली जगह पर एक टीला होता था और एक गाय यहां रोजाना आती थी. गाय स्वयंभू दूध दिया करती थी. लोगों ने जब वहां पर खुदाई की तो भगवान दूधेश्वर प्रकट हुए और तभी से यहां भगवान दूधेश्वर का मंदिर है.

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