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अर्थला में बेघर होने के दर्द का डर, लोग बोले- बम गिरा के हमें मार दो - लखनऊ समाचार

अर्थला झील की जमीन पर अवैध रूप से बने लगभग साढ़े पांच सौ मकानों को तोड़ने के लिए प्रशासन ने 23 जून की तारीख मुकर्रर कर दी है. इस संबंध में जब ईटीवी भारत की टीम ने अर्थला झील की जमीन पर बसे लोगों से बात की तो उनका प्रशासन के प्रति आक्रोश फूट पड़ा.

पीड़ित लोग.
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Published : Jun 20, 2019, 9:09 PM IST

नई दिल्ली/गाजियाबाद: अर्थला झील की जमीन पर अवैध रूप से घर बनाना सैकड़ों परिवारों को अब भारी पड़ रहा है. नगर निगम द्वारा अवैध रूप से निर्मित मकानों को तोड़ने का नोटिस भेजे जाने से यहां के परिवार चौतरफा मुश्किलों में घिर गए हैं.

ईटीवी भारत से बातचीत करते पीड़ित लोग.

प्रशासन की तैयारी पूरी

  • अर्थला झील की जमीन पर अवैध रूप से बने लगभग साढ़े पांच सौ मकानों को तोड़ने के लिए प्रशासन ने 23 जून की तारीख तय की है.
  • हालांकि, इससे पहले भी कुछ मकानों को तोड़ा गया था.
  • रमजान के पवित्र महीने को देखते हुए ध्वस्तीकरण की कार्रवाई ईद तक के लिए टाल दी गई थी.

ईटीवी भारत ने की पीड़ितों से बातचीत

  • इस संबंध में जब ईटीवी भारत की टीम ने अर्थला झील की जमीन पर बसे लोगों से बात की तो उनका प्रशासन के प्रति आक्रोश फूट पड़ा.
  • उन्होंने अधिकारियों पर आरोप लगाते हुए कहा कि जब यह जमीन बेची जा रही थी, तब अधिकारियों को झील की चिंता नहीं हुई.
  • अब जब परिवार पूरी तरह से बस गए हैं तो हमें उजाड़ने पर लगे हैं. अगर प्रशासन द्वारा हमारे घरों को उजाड़ा जाता है तो हम सभी इसी झील में कूदकर अपनी जान दे देंगे.

'निगम के तत्कालीन अफसरों पर हो कार्रवाई'

  • कुछ लोगों का यह भी कहना है कि यहां के निवासियों को आयुष्मान योजना, प्रधानमंत्री आवास योजना का लाभ मिला है.
  • जब हमारे घर का पता ही अवैध है तो हमें आखिर इन योजनाओं का लाभ कैसे मिला.
  • हमारे घरों में बिजली के पक्के मीटर है और हम हाउस टैक्स का भी भुगतान करते हैं.
  • यह बात समझ से परे हैं कि आखिर क्यों हमारे मकानों को तोड़ा जा रहा है.
  • अगर कार्रवाई करनी है तो नगर निगम के तत्कालीन अफसरों पर कार्रवाई की जाए, जिनकी शह पर यहां अवैध रूप से कॉलोनियां बसी हैं.

भू-माफियाओं ने सस्ते में बेची जमीन
आपको बता दें कि हिंडन नदी के समीप अर्थला गांव में झील की यह जमीन है, जिसका खसरा नंबर 1445 तहसील रिकॉर्ड में दर्ज है. दरअसल दो दशक पहले भू-माफियाओं ने झील की जमीन की प्लॉटिंग कर इसे सस्ते दामों पर बेच दिया था.

नई दिल्ली/गाजियाबाद: अर्थला झील की जमीन पर अवैध रूप से घर बनाना सैकड़ों परिवारों को अब भारी पड़ रहा है. नगर निगम द्वारा अवैध रूप से निर्मित मकानों को तोड़ने का नोटिस भेजे जाने से यहां के परिवार चौतरफा मुश्किलों में घिर गए हैं.

ईटीवी भारत से बातचीत करते पीड़ित लोग.

प्रशासन की तैयारी पूरी

  • अर्थला झील की जमीन पर अवैध रूप से बने लगभग साढ़े पांच सौ मकानों को तोड़ने के लिए प्रशासन ने 23 जून की तारीख तय की है.
  • हालांकि, इससे पहले भी कुछ मकानों को तोड़ा गया था.
  • रमजान के पवित्र महीने को देखते हुए ध्वस्तीकरण की कार्रवाई ईद तक के लिए टाल दी गई थी.

ईटीवी भारत ने की पीड़ितों से बातचीत

  • इस संबंध में जब ईटीवी भारत की टीम ने अर्थला झील की जमीन पर बसे लोगों से बात की तो उनका प्रशासन के प्रति आक्रोश फूट पड़ा.
  • उन्होंने अधिकारियों पर आरोप लगाते हुए कहा कि जब यह जमीन बेची जा रही थी, तब अधिकारियों को झील की चिंता नहीं हुई.
  • अब जब परिवार पूरी तरह से बस गए हैं तो हमें उजाड़ने पर लगे हैं. अगर प्रशासन द्वारा हमारे घरों को उजाड़ा जाता है तो हम सभी इसी झील में कूदकर अपनी जान दे देंगे.

'निगम के तत्कालीन अफसरों पर हो कार्रवाई'

  • कुछ लोगों का यह भी कहना है कि यहां के निवासियों को आयुष्मान योजना, प्रधानमंत्री आवास योजना का लाभ मिला है.
  • जब हमारे घर का पता ही अवैध है तो हमें आखिर इन योजनाओं का लाभ कैसे मिला.
  • हमारे घरों में बिजली के पक्के मीटर है और हम हाउस टैक्स का भी भुगतान करते हैं.
  • यह बात समझ से परे हैं कि आखिर क्यों हमारे मकानों को तोड़ा जा रहा है.
  • अगर कार्रवाई करनी है तो नगर निगम के तत्कालीन अफसरों पर कार्रवाई की जाए, जिनकी शह पर यहां अवैध रूप से कॉलोनियां बसी हैं.

भू-माफियाओं ने सस्ते में बेची जमीन
आपको बता दें कि हिंडन नदी के समीप अर्थला गांव में झील की यह जमीन है, जिसका खसरा नंबर 1445 तहसील रिकॉर्ड में दर्ज है. दरअसल दो दशक पहले भू-माफियाओं ने झील की जमीन की प्लॉटिंग कर इसे सस्ते दामों पर बेच दिया था.

Intro:गाजियाबाद : अर्थला झील की जमीन पर अवैध रूप से घर बनाना सैकड़ों परिवारों को अब भारी पड़ रहा है. नगर निगम द्वारा अवैध रूप से निर्मित मकानों को तोड़ने का नोटिस भेजे जाने से यहां के परिवार चौतरफा मुश्किलों में घिर गए हैं.


Body:अर्थला झील की जमीन पर अवैध रूप से बने लगभग साढ़े 5 सौ मकानों को तोड़ने के लिए प्रशासन द्वारा 23 जून की तारीख मुकर्रर की गई है. हालांकि इससे पहले भी कुछ मकानों को तोड़ा गया था. लेकिन रमजान के पवित्र महीने को देखते हुए ध्वस्तीकरण की कार्यवाही ईद तक के लिए टाल दी गई थी.


इस संबंध में जब ईटीवी भारत की टीम ने अर्थला झील की जमीन पर बसे लोगों से बात की तो उनका प्रशासन के प्रति आक्रोश फूट पड़ा. उन्होंने अधिकारियों पर आरोप लगाते हुए कहा कि जब यह जमीन बेची जा रही थी तब अधिकारियों को झील की चिंता नहीं हुई. लेकिन अब जब परिवार पूरी तरह से बस गए हैं तो हमें उजाड़ने पर लगे हैं. अगर प्रशासन द्वारा हमारे घरों को उजाड़ा जाता है तो हम सभी इसी झील में कूदकर अपनी जान दे देंगे.कुछ निवासियों का यह भी कहना है कि यहां के निवासियों को आयुष्मान योजना, प्रधानमंत्री आवास योजना का लाभ मिला है. जब हमारे घर का पता ही अवैध है तो हमें आखिर इन योजनाओं का लाभ कैसे मिला. हमारे घरों में बिजली के पक्के मीटर है और हम हाउस टैक्स का भी भुगतान करते हैं. लेकिन यह बात समझ से परे हैं कि आखिर क्यों हमारे मकानों को तोड़ा जा रहा है. अगर कार्यवाही करनी है तो नगर निगम के तत्कालीन अफसरों पर कार्रवाई की जाए जिनकी शाह पर यहां अवैध रूप से कॉलोनियां काटी गई है.


Conclusion:आपको बता दें कि हिंडन नदी के समीप अर्थला गांव में झील की यह जमीन है जिसका खसरा नंबर 1445 तहसील रिकॉर्ड में दर्ज है. दो दशक पहले भू माफियाओं ने झील की जमीन की प्लॉटिंग करा कर इसे सस्ते दामों पर बेच दिया था.
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