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गाजियाबाद: सफाई कर्मचारियों की मौत पर परिजनों ने जताया दुख

सफाई कर्मचारियों के परिजनों का कहना है कि प्रशासन की ओर से पूरे घटना की जांच की बात तो की जा रही है, लेकिन दोषियों पर कार्रवाई कब तक होगी यह किसी को नहीं पता.

परिजनों ने जताया दुख.
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Published : Aug 25, 2019, 9:12 AM IST

नई दिल्ली/गाजियाबाद : गाजियाबाद का मोर्चरी हाउस एक ऐसा स्थान जहां शाम होते ही सन्नाटा छा जाता था, लेकिन शुक्रवार देर शाम तक यहां प्रशासनिक अधिकारियों का जमावड़ा लगा रहा. यहां कुछ आंखें ऐसी भी थी जो अपनों को तलाश तो रही थी, लेकिन उन्हें पता था कि उनके अपने अब लौट कर नहीं आने वाले.

परिजनों ने जताया दुख.

गाजियाबाद में शिविर की सफाई के दौरान पांच कर्मचारियों की मौत हो गई थी. इसके बाद हिंडन नदी के किनारे स्थित मोर्चरी हाउस में शुक्रवार को सीवर दुर्घटना में मरे सफाईकर्मियों के शव का पोस्टमार्टम किया गया. इस दौरान मोर्चरी के बाहर खड़े सफाईकर्मियों के परिजनों के चेहरे पर अपनों के खोने का गम साफ देखा जा सकता था.

परिजनों का कहना है कि प्रशासन की ओर से पूरे घटना की जांच की बात तो की जा रही है, लेकिन दोषियों पर कार्रवाई कब तक होगी यह किसी को नहीं पता. सरकार की ओर से 10 लाख रुपये का मुआवजा तो दिया जा रहा है, लेकिन क्या दस लाख रुपये में अपनों को वापस लाया जा सकता है.

नई दिल्ली/गाजियाबाद : गाजियाबाद का मोर्चरी हाउस एक ऐसा स्थान जहां शाम होते ही सन्नाटा छा जाता था, लेकिन शुक्रवार देर शाम तक यहां प्रशासनिक अधिकारियों का जमावड़ा लगा रहा. यहां कुछ आंखें ऐसी भी थी जो अपनों को तलाश तो रही थी, लेकिन उन्हें पता था कि उनके अपने अब लौट कर नहीं आने वाले.

परिजनों ने जताया दुख.

गाजियाबाद में शिविर की सफाई के दौरान पांच कर्मचारियों की मौत हो गई थी. इसके बाद हिंडन नदी के किनारे स्थित मोर्चरी हाउस में शुक्रवार को सीवर दुर्घटना में मरे सफाईकर्मियों के शव का पोस्टमार्टम किया गया. इस दौरान मोर्चरी के बाहर खड़े सफाईकर्मियों के परिजनों के चेहरे पर अपनों के खोने का गम साफ देखा जा सकता था.

परिजनों का कहना है कि प्रशासन की ओर से पूरे घटना की जांच की बात तो की जा रही है, लेकिन दोषियों पर कार्रवाई कब तक होगी यह किसी को नहीं पता. सरकार की ओर से 10 लाख रुपये का मुआवजा तो दिया जा रहा है, लेकिन क्या दस लाख रुपये में अपनों को वापस लाया जा सकता है.

Intro:गाजियाबाद : शाम का धुंधलका और गाज़ियाबाद का मोर्चरी हाउस.एक ऐसा स्थान जहां शाम होते ही सन्नाटा छा जाता था. लेकिन आज देर शाम तक यहां प्रशासनिक अधिकारियों का जमावड़ा था.यहां कुछ आंखें ऐसी भी थी जो अपनो को तलाश तो रही थी. लेकिन उन्हें पता था कि उनके अपने अब लौट कर नही आने वाले.








Body:हिंडन नदी के किनारे स्थित मोर्चरी हाउस में जब कल सीवर दुर्घटना में मरे सफाई कर्मियों के शव का पोस्टमार्टम किया जा रहा था. तो बाहर खड़े उनके परिजनों के चेहरे पर अपनों के खोने का गम साफ देखा जा सकता था. हर किसी को यह चिंता सता रही थी कि अब उनके परिवार को कौन संभालेगा. किसी ने अपने बेटे को खोया था तो किसी ने अपने पति को.

बिहार के समस्तीपुर से आए मृतकों के परिजनों में इस बात का आक्रोश भी था की प्रशासन और ठेकेदार की लापरवाही के कारण उनके अपने उनसे हमेशा के लिए दूर चले गए. परिजनों का यह भी कहना था कि प्रशासन द्वारा पूरे घटना की जांच की बात तो की जा रही है लेकिन दोषियों पर कार्रवाई कब तक होगी यह किसी को नहीं पता. सरकार द्वारा 10 लाख रुपय का मुआवजा तो दिया जा रहा है. लेकिन क्या दस लाख रुपए में अपनों को वापस लाया जा सकता है.







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