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सावन का पहला सोमवार: सोशल डिस्टेंसिंग के साथ दूधेश्वरनाथ मंदिर में लगी भक्तों की कतार

गाजियाबाद के प्राचीन दूधेश्वरनाथ मंदिर में सुबह से ही भक्तों की कतार लगनी शुरू हो गई है. इस दौरान सोशल डिस्टेंसिंग के नियमों का पूरा पालन किया जा रहा है. एक वक्त में मंदिर में सिर्फ दो ही भक्तों को जाने की अनुमति है.

दूधेश्वरनाथ मंदिर में लगी भक्तों की कतार
दूधेश्वरनाथ मंदिर में लगी भक्तों की कतार
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Published : Jul 6, 2020, 12:57 PM IST

गाजियाबाद: सावन के पहले सोमवार को लेकर शिवभक्तों में काफी उत्साह देखने को मिल रहा है. गाजियाबाद के प्राचीन दूधेश्वरनाथ मंदिर में सुबह से भक्तों की कतार लगनी शुरू हो गई है. इस दौरान सोशल डिस्टेंसिंग के नियमों का पूरा पालन किया जा रहा है. एक वक्त में मंदिर में सिर्फ दो ही भक्तों को प्रवेश दिया जा रहा है. पूरा माहौल शिवभक्ति में डूबा हुआ है.

दूधेश्वरनाथ मंदिर में लगी भक्तों की कतार.

सावन के पहले सोमवार का काफी महत्व होता है. भगवान भोले बाबा भक्तों की हर मनोकामना पूरी करते हैं. प्राचीन दूधेश्वर नाथ मंदिर के पीछे एक कहानी है कि प्राचीन काल में मंदिर वाली जगह पर एक टीला हुआ करता था. जहां पर एक गाय आती थी और स्वयं दूध दिया करती थी. बाद में वहीं पर खुदाई करके देखा गया तो भगवान दूधेश्वर प्रकट हुए. इसके बाद इस मंदिर में रावण के पिता ने पूजा-अर्चना की और आगामी काल में रावण ने भगवान दूधेश्वर के चरणों में अपना 10वां शीष समर्पित किया था.

सोमवार है शिव भक्तों को प्रिय

मंदिर में भले ही पहले की तुलना में भक्तों की संख्या कम हो, लेकिन उत्साह कम नहीं है. मौका सोमवार का हो और उसमें भी शुरुआत सावन के महीने की हो रही हो, तो इस दिन का अलग ही महत्व होता है.

सावन के पहले सोमवार के दिन भक्त व्रत रखते हैं और भगवान शिव का जलाभिषेक करते हैं. कोरोना काल में भक्तों को सोशल डिस्टेंसिंग से संबंधित सभी सावधानी रखने के लिए दिशा निर्देश जारी किए गए थे. मंदिर के द्वार पर ही सैनिटाइजिंग टनल बनाई गई है.

गाजियाबाद: सावन के पहले सोमवार को लेकर शिवभक्तों में काफी उत्साह देखने को मिल रहा है. गाजियाबाद के प्राचीन दूधेश्वरनाथ मंदिर में सुबह से भक्तों की कतार लगनी शुरू हो गई है. इस दौरान सोशल डिस्टेंसिंग के नियमों का पूरा पालन किया जा रहा है. एक वक्त में मंदिर में सिर्फ दो ही भक्तों को प्रवेश दिया जा रहा है. पूरा माहौल शिवभक्ति में डूबा हुआ है.

दूधेश्वरनाथ मंदिर में लगी भक्तों की कतार.

सावन के पहले सोमवार का काफी महत्व होता है. भगवान भोले बाबा भक्तों की हर मनोकामना पूरी करते हैं. प्राचीन दूधेश्वर नाथ मंदिर के पीछे एक कहानी है कि प्राचीन काल में मंदिर वाली जगह पर एक टीला हुआ करता था. जहां पर एक गाय आती थी और स्वयं दूध दिया करती थी. बाद में वहीं पर खुदाई करके देखा गया तो भगवान दूधेश्वर प्रकट हुए. इसके बाद इस मंदिर में रावण के पिता ने पूजा-अर्चना की और आगामी काल में रावण ने भगवान दूधेश्वर के चरणों में अपना 10वां शीष समर्पित किया था.

सोमवार है शिव भक्तों को प्रिय

मंदिर में भले ही पहले की तुलना में भक्तों की संख्या कम हो, लेकिन उत्साह कम नहीं है. मौका सोमवार का हो और उसमें भी शुरुआत सावन के महीने की हो रही हो, तो इस दिन का अलग ही महत्व होता है.

सावन के पहले सोमवार के दिन भक्त व्रत रखते हैं और भगवान शिव का जलाभिषेक करते हैं. कोरोना काल में भक्तों को सोशल डिस्टेंसिंग से संबंधित सभी सावधानी रखने के लिए दिशा निर्देश जारी किए गए थे. मंदिर के द्वार पर ही सैनिटाइजिंग टनल बनाई गई है.

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